श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में लागू सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) की समीक्षा किए जाने पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Jammu Kashmir Lieutenant Governor Manoj Sinha) ने कहा है कि उन्हें इसकी जरूरत महसूस नहीं होती.
सोमवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से पूछा गया कि क्या नगालैंड की तरह जम्मू-कश्मीर में आफ्स्पा की समीक्षा या निरसन के लिए पैनल गठित करने की जरूरत है ? इस पर उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) की समीक्षा के लिए पैनल गठित करने की कोई जरूरत नहीं है.
सिन्हा ने जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'इसके बारे में चिंता न करें. मैं इसकी जांच कर रहा हूं. मुझे (इसकी समीक्षा के लिए पैनल गठित करने की) ऐसी कोई जरूरत महसूस नहीं होती.'
उपराज्यपाल सिन्हा ने केंद्र शासित प्रदेश में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के बारे में जम्मू-कश्मीर के कुछ राजनीतिक नेताओं की आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया. एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा, 'मैं इसे सिरे से खारिज करता हूं. मैं नेताओं के बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं दूंगा.'
बता दें कि केंद्र सरकार ने रविवार को नगालैंड में लागू विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम की समीक्षा का फैसला लिया था. सरकार ने सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. समिति नगालैंड में विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को निरस्त करने की संभावना की पड़ताल करेगी.
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नगालैंड में आफ्स्पा की समीक्षा (Nagaland AFSPA review) के लिए जो समिति बनाई गई है उसकी अध्यक्षता भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी करेंगे.
पांच सदस्यीय समिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल भी शामिल हैं. उन्हें आफ्स्पा समीक्षा पैनल का सचिव बनाया गया है. समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी हैं.