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उपहार में मिले आभूषण पत्नी की निजी संपत्ति, बिना अनुमति नहीं ले सकता पति: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी को उपहार में मिले आभूषण उसकी निजी संपत्ति हैं. ऐसे में पत्नी को बिना सूचित किए उसके आभूषण लेना अनुचित है. दरअसल, पत्नी ने पति पर आभूषण चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था. कोर्ट ने यह टिप्पणी कर पति को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Dec 31, 2022, 4:17 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पति को आभूषण चोरी मामले में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी को मिले हुए आभूषण उसकी निजी संपत्ति हैं. ऐसे में पत्नी को बिना पूर्व सूचित किए उसके आभूषण लेना अनुचित है. भले ही वह महिला का पति ही क्यों ना हो. न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने अपने आदेश में टिप्पणी की कि भले ही मामले में आवेदक शिकायतकर्ता का पति है, लेकिन कानून उसे बिना पत्नी को सूचित किए हुए इस तरह से आभूषण व घरेलू सामान लेने की अनुमति नहीं देता है.

अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को इस बहाने से कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि उनके बीच में विवाद है. इस आधार पर पति को न तो पत्नी को वैवाहिक घर से बाहर निकालने की अनुमति दी जा सकती है और न ही चोरी-छिपे सामान ले जाने की अनुमति दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच शुरुआती चरण में है और आरोपी न तो जांच में शामिल हुआ है और न ही अभी आभूषण बरामद हुए हैं. यह भी नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी पर झूठे आरोप लगाए गए हैं. ऐसे में आरोपी की गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने का आधार नहीं है और याचिका खारिज की जाती है. याचिकाकर्ता ने मामले में गिरफ्तारी से रोक लगाने का निर्देश देने का आवेदन दिया था.

याचिका के अनुसार आरोपी के खिलाफ रोहिणी के केएन काटजू मार्ग थाने में उसकी पत्नी द्वारा चोरी की शिकायत दी गई थी. आरोप है कि जब वह अपने माता-पिता के घर गईं थी तब उसके पति ने आभूषण, नकद समेत घर से घरेलू सामान की चोरी कर ली थी. वहीं, आरोपी पति ने कहा कि शिकायतकर्ता अपनी मर्जी से गई थी और किराये का मकान छोड़ने के कारण उन्हें सामान हटाना पड़ा था. साथ ही यह भी दलील दी कि दोनों के बीच वैवाहिक विवाद चल रहा है, इसके कारण यह मामला दर्ज कराया गया है.

ये भी पढ़ें : खुफिया एजेंसियों को पीएफआई के फिर से सक्रिय होने का शक

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पति को आभूषण चोरी मामले में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी को मिले हुए आभूषण उसकी निजी संपत्ति हैं. ऐसे में पत्नी को बिना पूर्व सूचित किए उसके आभूषण लेना अनुचित है. भले ही वह महिला का पति ही क्यों ना हो. न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने अपने आदेश में टिप्पणी की कि भले ही मामले में आवेदक शिकायतकर्ता का पति है, लेकिन कानून उसे बिना पत्नी को सूचित किए हुए इस तरह से आभूषण व घरेलू सामान लेने की अनुमति नहीं देता है.

अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को इस बहाने से कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि उनके बीच में विवाद है. इस आधार पर पति को न तो पत्नी को वैवाहिक घर से बाहर निकालने की अनुमति दी जा सकती है और न ही चोरी-छिपे सामान ले जाने की अनुमति दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच शुरुआती चरण में है और आरोपी न तो जांच में शामिल हुआ है और न ही अभी आभूषण बरामद हुए हैं. यह भी नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी पर झूठे आरोप लगाए गए हैं. ऐसे में आरोपी की गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने का आधार नहीं है और याचिका खारिज की जाती है. याचिकाकर्ता ने मामले में गिरफ्तारी से रोक लगाने का निर्देश देने का आवेदन दिया था.

याचिका के अनुसार आरोपी के खिलाफ रोहिणी के केएन काटजू मार्ग थाने में उसकी पत्नी द्वारा चोरी की शिकायत दी गई थी. आरोप है कि जब वह अपने माता-पिता के घर गईं थी तब उसके पति ने आभूषण, नकद समेत घर से घरेलू सामान की चोरी कर ली थी. वहीं, आरोपी पति ने कहा कि शिकायतकर्ता अपनी मर्जी से गई थी और किराये का मकान छोड़ने के कारण उन्हें सामान हटाना पड़ा था. साथ ही यह भी दलील दी कि दोनों के बीच वैवाहिक विवाद चल रहा है, इसके कारण यह मामला दर्ज कराया गया है.

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