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राजस्थान में मिला लिथियम का बड़ा खजाना, जम्मू-कश्मीर से भी बड़े भंडार का दावा

राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना इलाके में लिथियम का बड़ा भंडार खोजा (Lithium in Rajasthan) गया है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का दावा है कि ये जम्मू कश्मीर में मिले लिथियम के भंडार से भी बड़ा है.

Lithium Reserve Found in Nagaur
राजस्थान में मिला लिथियम का बड़ा खजाना
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Published : May 9, 2023, 8:18 PM IST

राजस्थान में मिला लिथियम का बड़ा खजाना

नागौर. राजस्थान के नागौर जिले में लिथियम का बड़ा भंडार मिला है. लिथियम को सफेद सोना भी कहा जाता है. नागौर के डेगाना इलाके में ये भंडार मिला है. फरवरी माह में जम्मू में भी 59 लाख टन लिथियम मिला था. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने दावा किया कि नागौर में खोजे गए भंडार जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से भी काफी बड़े हैं. इससे देश में लिथियम की 80% डिमांड को पूरा किया जा सकता है. नागौर जिला प्रशासन ने लिथियम के भंडार को लेकर पुष्टि कर दी है.

केंद्र सरकार 2030 तक ईवी पैठ को 30% तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है. यह योजना लिथियम पर बहुत अधिक निर्भर करती है. राजस्थान में लिथियम के भंडार डेगाना और उसके आसपास के क्षेत्र की उसी रेनवाट पहाड़ी में पाए गए हैं, जहां से कभी देश को टंगस्टन खनिज की आपूर्ति की जाती थी. ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने 1914 में रेनवाट की पहाड़ी पर टंगस्टन खनिज की खोज की थी. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की युद्ध सामग्री बनाने में टंगस्टन का उपयोग किया गया था.

पढ़ें. City Lifeline: रेतीले धोरों में फूटी तेल की धार...बदल गई तस्वीर और तकदीर

सबसे ज्यादा बैटरियों में इस्तेमाल होता है : दुनिया में लिथियम के उत्पादन का ज्यादातर इस्तेमाल बैटरियों में होता है. सेरामिक, कांच, लुब्रिकेटिंग ग्रीस और पॉलिमर के उत्पादन में भी इसका इस्तेमाल होता है. लिथियम के लिए भारत फिलहाल पूरी तरह विदेशों पर निर्भर है. इस साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के रियासी में लिथियम के भंडार पाए गए थे. इससे पहले कर्नाटक में छोटा-सा भंडार खोजा गया था.

लिथियम का अबतक का सबसे बड़ा भंडार : GSI (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) ने दावा किया है कि यह जम्मू-कश्मीर से भी बड़ी लिथियम की खोज है. अब लिथियम के लिए भारत की चीन पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. लिथियम का अब तक का सबसे बड़ा भंडार 210 लाख टन है, जो बोलीविया में है.

पढ़ें. Lithium Mines : जम्मू-कश्मीर में मिला लिथियम का बड़ा भंडार, रियासी इलाके के लोगों की रोजगार, मुआवजे की मांग

खोजने गए टंगस्टन, मिल गया लिथियम : GSI नागौर के डीडवाना में टंगस्टन की खोज करने गई थी. उनके पास यह जानकारी थी की ब्रिटिश इंडिया के समय यहां पर टंगस्टन ज्यादा मात्रा में था, लेकिन टंगस्टन की खोज करते करते GSI ने लिथियम का खजाना ढूंढ लिया. लिथियम मुलायम और हल्का धातु है, जिसे आसानी से काटा जा सकता है. इसका सबसे बड़ा उपयोग इलेक्ट्रिक आइटम में किया जाता है.

सांसद हनुमान बेनीवाल को लोगों ने ज्ञापन दिए थे : आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद क्षेत्र के लोगों ने उनको इस संबंध में ज्ञापन देकर डेगाना में टंगस्टन का खनन फिर से शुरू करवाने की मांग रख थी. नागौर सांसद बेनीवाल ने प्रधानमंत्री से इसकी मांग की, जिसपर केंद्रीय खान मंत्री ने जीएसआई की टीम को सर्वे के लिए भेजा. इस सर्वे में यह पता चला कि यहां टंगस्टन के साथ-साथ लिथियम के भी बड़े भंडार हैं. देश में लिथियम के उत्पादन से इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत में कमी आने का अनुमान है. भारत अब तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है. राजस्थान में भंडार की खोज से चीन के एकाधिकार को चुनौती मिलेगी. लिथियम की खोज मेघालय, छत्तीसगढ़ और आंध्र में भी जारी है.

राजस्थान में मिला लिथियम का बड़ा खजाना

नागौर. राजस्थान के नागौर जिले में लिथियम का बड़ा भंडार मिला है. लिथियम को सफेद सोना भी कहा जाता है. नागौर के डेगाना इलाके में ये भंडार मिला है. फरवरी माह में जम्मू में भी 59 लाख टन लिथियम मिला था. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने दावा किया कि नागौर में खोजे गए भंडार जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से भी काफी बड़े हैं. इससे देश में लिथियम की 80% डिमांड को पूरा किया जा सकता है. नागौर जिला प्रशासन ने लिथियम के भंडार को लेकर पुष्टि कर दी है.

केंद्र सरकार 2030 तक ईवी पैठ को 30% तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है. यह योजना लिथियम पर बहुत अधिक निर्भर करती है. राजस्थान में लिथियम के भंडार डेगाना और उसके आसपास के क्षेत्र की उसी रेनवाट पहाड़ी में पाए गए हैं, जहां से कभी देश को टंगस्टन खनिज की आपूर्ति की जाती थी. ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने 1914 में रेनवाट की पहाड़ी पर टंगस्टन खनिज की खोज की थी. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की युद्ध सामग्री बनाने में टंगस्टन का उपयोग किया गया था.

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सबसे ज्यादा बैटरियों में इस्तेमाल होता है : दुनिया में लिथियम के उत्पादन का ज्यादातर इस्तेमाल बैटरियों में होता है. सेरामिक, कांच, लुब्रिकेटिंग ग्रीस और पॉलिमर के उत्पादन में भी इसका इस्तेमाल होता है. लिथियम के लिए भारत फिलहाल पूरी तरह विदेशों पर निर्भर है. इस साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के रियासी में लिथियम के भंडार पाए गए थे. इससे पहले कर्नाटक में छोटा-सा भंडार खोजा गया था.

लिथियम का अबतक का सबसे बड़ा भंडार : GSI (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) ने दावा किया है कि यह जम्मू-कश्मीर से भी बड़ी लिथियम की खोज है. अब लिथियम के लिए भारत की चीन पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. लिथियम का अब तक का सबसे बड़ा भंडार 210 लाख टन है, जो बोलीविया में है.

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खोजने गए टंगस्टन, मिल गया लिथियम : GSI नागौर के डीडवाना में टंगस्टन की खोज करने गई थी. उनके पास यह जानकारी थी की ब्रिटिश इंडिया के समय यहां पर टंगस्टन ज्यादा मात्रा में था, लेकिन टंगस्टन की खोज करते करते GSI ने लिथियम का खजाना ढूंढ लिया. लिथियम मुलायम और हल्का धातु है, जिसे आसानी से काटा जा सकता है. इसका सबसे बड़ा उपयोग इलेक्ट्रिक आइटम में किया जाता है.

सांसद हनुमान बेनीवाल को लोगों ने ज्ञापन दिए थे : आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद क्षेत्र के लोगों ने उनको इस संबंध में ज्ञापन देकर डेगाना में टंगस्टन का खनन फिर से शुरू करवाने की मांग रख थी. नागौर सांसद बेनीवाल ने प्रधानमंत्री से इसकी मांग की, जिसपर केंद्रीय खान मंत्री ने जीएसआई की टीम को सर्वे के लिए भेजा. इस सर्वे में यह पता चला कि यहां टंगस्टन के साथ-साथ लिथियम के भी बड़े भंडार हैं. देश में लिथियम के उत्पादन से इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत में कमी आने का अनुमान है. भारत अब तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है. राजस्थान में भंडार की खोज से चीन के एकाधिकार को चुनौती मिलेगी. लिथियम की खोज मेघालय, छत्तीसगढ़ और आंध्र में भी जारी है.

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