मुंबई : मशहूर मूर्तिकार बाबी बांदेकर (Babi Bandekar) के निधन के बाद उनकी 5 बेटियों ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया है.
2015 में बाबी बांदेकर का निधन हो गया था उसके बाद, उनकी सभी पांच बेटियों ने चेंबूर अमरमहल में गणेश चित्र मंदिर मूर्ति स्कूल (Ganesh Chitra Mandir Murti School) की बागडोर संभाली. तब से सभी पांच बहनें मूर्तिकला विद्यालय की प्रभारी रही हैं.
हालांकि कोरोना ने व्यवसायों को संकट में डाल दिया है, लेकिन फिरभी पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गणेश प्रतिमाओं की अधिक मांग है. प्रतिभा बांदेकर ने कहा कि मुंबई, महाराष्ट्र यहां तक की विदेशों में भी बांदेकर की मूर्तियों की मांग है. गणेश कला मंदिर मुंबई का एक पुराना मूर्तिकला विद्यालय है. यह 53 साल पुराना है.
उनकी बेटियां पिता के विरासत को समान रूप से आगे बढ़ा रही हैं. वे फाइबर, प्लास्टर और प्रकृति के अनुकूल चीजाें और मिट्टी की मूर्तियां बनाती हैं.
पांच बहनें प्रतिभा, विमल, मनीषा, हेमा और तृप्ति हैं. उनका कहना है कि हमने छोटी उम्र से ही बाबा से मूर्तियां बनाना सीखा. प्रतिभा बांदेकर ने कहा कि पांचाें बहनें बाबा के निधन के बाद पिछले छह साल से यह व्यवसाय चला रही हैं.
दो साल पहले हम पांच सौ मूर्तियां बना रहे थे, हालांकि, उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण यह संख्या आधी हो गई है.
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