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विशेष : लोक सभा में तीन ऐतिहासिक श्रम कोड विधेयक पारित, जानें महत्व

केंद्र की मोदी सरकार श्रम सुधारों को लेकर लगातार प्रयासरत है. इसी सिलसिले में सरकार ने लोक सभा मे तीन ऐतिहिसिक बिल भी पास कराए हैं. 2014 में सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने करीब 12 श्रम कानूनों को समाप्त भी किया है.

संसद
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Published : Sep 28, 2020, 3:06 PM IST

नई दिल्ली : 23 सितंबर को संसद के उच्च सदन राज्य सभा में ध्वनिमत से औद्योगिक संबंधों, सामाजिक और व्यावसायिक सुरक्षा पर आधारित लेबर कोड बिल पारित हो गए. इस दौरान कांग्रेस और लेफ्ट समेत विपक्षी दलों ने आठ सांसदों के निलंबन को लेकर बहिष्कार भी किया. लोक सभा में पहले ही यह कोड पास हो चुका है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज इन तीनों विधयकों पर हस्ताक्षर किए.

लोक सभा में पास हुए 73 साल से लटके बिल
संसद के निचले सदन लोक सभा में तीन बिल औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 पास हुए. लोक सभा में जो बिल पास हुए वह देश में श्रम कल्याण सुधार लाने को केंद्र की मोदी सरकार की इच्छा का बड़ा हिस्सा हैं. बता दें कि यह बिल पिछले 73 साल से लटके पड़े थे. वहीं पिछले छह सालों में केंद्र सरकार ने सभी हितधारकों जैसे (ट्रे़ड यूनियनों, नियोक्ताओं, राज्य सरकारों और श्रम सेक्टर के विशेषज्ञ) से सुझाव भी मांगे थे. इन सुधारों में नौ त्रिपक्षीय सुझाव, चार उप समिति की बैठकें, दस क्षेत्रीय काॅन्फ्रेंस, दस अंतर-मंत्रालयी और नागरिकों के सुझाव शामिल हैं.

समायोजित किए गए 29 कानूनों के कोड संख्या का नाम

  • वेज कोड- चार कानून
  • आई आर कोड- तीन कानून
  • ओएसएच कोड- 13 कानून
  • सामाजिक सुरक्षा कोड- नौ कानून

दूसरे राष्ट्रीय आयोग ने की थी सिफारिश
इससे पहले 2002 में श्रम पर एकरूपता लाने के लिए दूसरे राष्ट्रीय आयोग ने सौ से अधिक राज्य और 40 केंद्रीय कानूनों को चार से पांच कोड में समायोजित करने की सिफारिश की थी. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा विधानों को जटिल, पुराने प्रावधानों और असंगत परिभाषाओं के साथ पाया गया है. बता दें कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से 12 श्रम कानूनों को निरस्त किया जा चुका है. इसके आलावा 2014 में केंद्र सरकार ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार कोड में बदलने के लिए नया प्रयास किया था.

सामाजिक सुरक्षा कोड
यह कोड नौ सामाजिक सुरक्षा कानूनों की जगह लेगा. जिनमें मातृत्व लाभ अधिनियम, कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, कर्मचारी पेंशन योजना, कर्मचारी मुआवजा अधिनियम समेत अन्य कोड शामिल हैं। बता दें, यह कोड असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों (प्रवासी और प्लेटफॉर्म श्रमिकों) के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज को सार्वभौमिक बनाता है। पहली बार, कोड फ्रीलांसरों को भी इसमें लाया जाएगा, जिन्हें 'गिग वर्कर्स' के रूप में भी जाना जाता है. इसके आलावा इस सुरक्षा कोड के जरिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अन्य संगठनों तक अपनी पहुंच बनाते हैं, जैसे जोमैटो और स्विगी जैसे फूड एग्रीगेटर के साथ काम करने वाले डिलीवरीकर्मी और इसके साथ-साथ एग्रीगेटर जैसे काम करने वाले कैब ड्राइवर सामाजिक सुरक्षा कोड के तहत ओला और उबर के रूप में काम करने वालों को भी सुरक्षा प्रदान करने की बात कही गयी है.

कृषि श्रमिकों के भी लिए व्यवस्था

बता दें कि पहली बार, सामाजिक सुरक्षा के प्रावधानों को कृषि श्रमिकों के लिए भी विस्तारित किया जाएगा. इस कोड में सभी प्रकार के कर्मचारियों के लिए पांच साल की निरंतर सेवा से ग्रेच्युटी भुगतान प्राप्त करने की समय सीमा भी कम कर दी गई है. जिसमें निश्चित अवधि के कर्मचारी भी शामिल हैं. वहीं कामकाजी पत्रकारों के लिए भी सरकार ने ग्रेच्युटी भुगतान प्राप्त करने की समय सीमा को पांच से घटाकर तीन साल कर दिया है.

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने श्रम कोड के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि-

1. प्रवासी मजदूरों की समस्याओं के लिए एक हेल्पलाइन जरूरी है.

2. उन्होंने कहा कि इन मजदूरों के लिए नेशनल डाटाबेस बनाना होगा.

3. श्रम मंत्री ने कहा कि 240 के बजाए 180 दिन काम के रखे गए हैं इस वजह से हर 20 दिन के बाद एक छुट्टी मिलना आवश्यक है.

4. संतोष गंगवार ने महिलाओं के समानता की बात करते हुए कहा कि हर क्षेत्र में महिलाएं रात में भी काम कर सकती हैं. इसके लिए नियोक्ता को उनकी सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने होंगे. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि रात में काम करने से पहले उनकी अनुमति लेनी होगी.

5. श्रम मंत्री ने चालीस करोड़ असंगठित मजदूरों के पक्ष में बोलते हुए कहा कि सभी नियोक्ताओं को उनके लिए एक सामाजिक सुरक्षा फंड को गठन करना होगा.

6. उन्होंने कहा कि पुरुष कर्मियों की तुलना में महिला कर्मियों को भी समानता का अधिकार देना होगा.

7. श्रम कोड के बारे में बताते हुए संतोष गंगवार ने कहा कि हड़ताल के लिए 14 दिन का नोटिस देना पड़ेगा. जिससे कोई हल निकाला जा सके.

राहुल गांधी ने बोला हमला
इस बिल के विरोध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने गुरुवार को ट्वीट करते हुए कहा कि किसानों के बाद कर्मचारी ही लक्ष्य थे.

नई दिल्ली : 23 सितंबर को संसद के उच्च सदन राज्य सभा में ध्वनिमत से औद्योगिक संबंधों, सामाजिक और व्यावसायिक सुरक्षा पर आधारित लेबर कोड बिल पारित हो गए. इस दौरान कांग्रेस और लेफ्ट समेत विपक्षी दलों ने आठ सांसदों के निलंबन को लेकर बहिष्कार भी किया. लोक सभा में पहले ही यह कोड पास हो चुका है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज इन तीनों विधयकों पर हस्ताक्षर किए.

लोक सभा में पास हुए 73 साल से लटके बिल
संसद के निचले सदन लोक सभा में तीन बिल औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 पास हुए. लोक सभा में जो बिल पास हुए वह देश में श्रम कल्याण सुधार लाने को केंद्र की मोदी सरकार की इच्छा का बड़ा हिस्सा हैं. बता दें कि यह बिल पिछले 73 साल से लटके पड़े थे. वहीं पिछले छह सालों में केंद्र सरकार ने सभी हितधारकों जैसे (ट्रे़ड यूनियनों, नियोक्ताओं, राज्य सरकारों और श्रम सेक्टर के विशेषज्ञ) से सुझाव भी मांगे थे. इन सुधारों में नौ त्रिपक्षीय सुझाव, चार उप समिति की बैठकें, दस क्षेत्रीय काॅन्फ्रेंस, दस अंतर-मंत्रालयी और नागरिकों के सुझाव शामिल हैं.

समायोजित किए गए 29 कानूनों के कोड संख्या का नाम

  • वेज कोड- चार कानून
  • आई आर कोड- तीन कानून
  • ओएसएच कोड- 13 कानून
  • सामाजिक सुरक्षा कोड- नौ कानून

दूसरे राष्ट्रीय आयोग ने की थी सिफारिश
इससे पहले 2002 में श्रम पर एकरूपता लाने के लिए दूसरे राष्ट्रीय आयोग ने सौ से अधिक राज्य और 40 केंद्रीय कानूनों को चार से पांच कोड में समायोजित करने की सिफारिश की थी. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा विधानों को जटिल, पुराने प्रावधानों और असंगत परिभाषाओं के साथ पाया गया है. बता दें कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से 12 श्रम कानूनों को निरस्त किया जा चुका है. इसके आलावा 2014 में केंद्र सरकार ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार कोड में बदलने के लिए नया प्रयास किया था.

सामाजिक सुरक्षा कोड
यह कोड नौ सामाजिक सुरक्षा कानूनों की जगह लेगा. जिनमें मातृत्व लाभ अधिनियम, कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, कर्मचारी पेंशन योजना, कर्मचारी मुआवजा अधिनियम समेत अन्य कोड शामिल हैं। बता दें, यह कोड असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों (प्रवासी और प्लेटफॉर्म श्रमिकों) के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज को सार्वभौमिक बनाता है। पहली बार, कोड फ्रीलांसरों को भी इसमें लाया जाएगा, जिन्हें 'गिग वर्कर्स' के रूप में भी जाना जाता है. इसके आलावा इस सुरक्षा कोड के जरिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अन्य संगठनों तक अपनी पहुंच बनाते हैं, जैसे जोमैटो और स्विगी जैसे फूड एग्रीगेटर के साथ काम करने वाले डिलीवरीकर्मी और इसके साथ-साथ एग्रीगेटर जैसे काम करने वाले कैब ड्राइवर सामाजिक सुरक्षा कोड के तहत ओला और उबर के रूप में काम करने वालों को भी सुरक्षा प्रदान करने की बात कही गयी है.

कृषि श्रमिकों के भी लिए व्यवस्था

बता दें कि पहली बार, सामाजिक सुरक्षा के प्रावधानों को कृषि श्रमिकों के लिए भी विस्तारित किया जाएगा. इस कोड में सभी प्रकार के कर्मचारियों के लिए पांच साल की निरंतर सेवा से ग्रेच्युटी भुगतान प्राप्त करने की समय सीमा भी कम कर दी गई है. जिसमें निश्चित अवधि के कर्मचारी भी शामिल हैं. वहीं कामकाजी पत्रकारों के लिए भी सरकार ने ग्रेच्युटी भुगतान प्राप्त करने की समय सीमा को पांच से घटाकर तीन साल कर दिया है.

केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने श्रम कोड के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि-

1. प्रवासी मजदूरों की समस्याओं के लिए एक हेल्पलाइन जरूरी है.

2. उन्होंने कहा कि इन मजदूरों के लिए नेशनल डाटाबेस बनाना होगा.

3. श्रम मंत्री ने कहा कि 240 के बजाए 180 दिन काम के रखे गए हैं इस वजह से हर 20 दिन के बाद एक छुट्टी मिलना आवश्यक है.

4. संतोष गंगवार ने महिलाओं के समानता की बात करते हुए कहा कि हर क्षेत्र में महिलाएं रात में भी काम कर सकती हैं. इसके लिए नियोक्ता को उनकी सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने होंगे. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि रात में काम करने से पहले उनकी अनुमति लेनी होगी.

5. श्रम मंत्री ने चालीस करोड़ असंगठित मजदूरों के पक्ष में बोलते हुए कहा कि सभी नियोक्ताओं को उनके लिए एक सामाजिक सुरक्षा फंड को गठन करना होगा.

6. उन्होंने कहा कि पुरुष कर्मियों की तुलना में महिला कर्मियों को भी समानता का अधिकार देना होगा.

7. श्रम कोड के बारे में बताते हुए संतोष गंगवार ने कहा कि हड़ताल के लिए 14 दिन का नोटिस देना पड़ेगा. जिससे कोई हल निकाला जा सके.

राहुल गांधी ने बोला हमला
इस बिल के विरोध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने गुरुवार को ट्वीट करते हुए कहा कि किसानों के बाद कर्मचारी ही लक्ष्य थे.

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