नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने को लेकर भारतीय और चीनी कमांडरों के बीच आज वार्ता हो रही है. कॉर्प्स कमांडर स्तर की यह वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी क्षेत्र मोल्दो में हो रही है. सैन्य सूत्रों ने बताया कि वार्ता में भारतीय पक्ष की तरफ से फिंगर क्षेत्र से चीनी सैनिकों के पूर्ण विघटन पर जोर दिया जाएगा.
बता दें कि इससे पहले गुरुवार को 'डिसइंगेजमेंट और डि-एस्केलेशन प्रक्रिया' को लेकर होने वाली कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पर स्थगित हो गई थी. कोर कमांडर स्तरीय बैठक का कार्यक्रम बनाने के बावजूद चीनी सेना के साथ सहमति नहीं बन पाई थी.
सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की पांचवें चरण की वार्ता में मुख्य ध्यान टकराव वाले स्थानों से सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने और दोनों सेनाओं के पीछे के अड्डों से बलों एवं हथियारों को हटाने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर होगा.
सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी जब क्षेत्र में तनाव कम करने के तरीकों पर एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच लगभग दो घंटे फोन पर बातचीत हुई.
चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पहले ही पीछे हट चुकी है लेकिन भारत की मांग के अनुसार पेगोंग सो में फिंगर इलाकों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है.
भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि चीन को फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए.
भारत और चीन सेना के बीच हुए गतिरोध के बाद अब तक कोर कमांडर स्तर की छह जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई को चार बैठकें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चुशूल-मोल्दो में हो चुकी हैं.
दोनों पक्षों के बीच 24 जुलाई को, सीमा मुद्दे पर एक और चरण की कूटनीतिक वार्ता हुई थी.
वार्ता के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के तहत एलएसी के पास से सैनिकों का जल्द एवं पूरी तरह पीछे हटना जरूरी है.
सूत्रों ने कहा कि भारत ने चीन को एक कड़ा संदेश दे दिया है कि उसे पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करना ही होगा जैसा कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की चौथे चरण की वार्ता में तय हुआ है.