जेपी नड्डा ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दी जाती है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हत्याएं हुई हैं. कांग्रेस मुद्दे को समझना नहीं चाहती. हिंदू भारत में अधिक हैं, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हैं. भारत में मुसलमानों को बराबरी का अधिकार है.
नड्डा ने कहा कि हमने सभी पक्षों को समझाने की कोशिश की है. विपक्ष मामले को समझना नहीं चाह रहा है. बिल का मकसद प्रताड़ित लोगों को अधिकार देना है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या घटी है.
उन्होंने कहा कि देश में रह रहे अल्पसंख्यकों पर इस बिल से कोई आंच नहीं आएगी.
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि विपक्ष को राजनीतिक हितों के बजाय राष्ट्र के हित साधने की नसीहत दी. नड्डा ने कहा कि यह विधेयक बेहद परेशानियों में जीवन जी रहे लाखों लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने का अधिकार प्रदान करेगा.
नड्डा ने राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 18 दिसंबर 2003 में दिये गये एक बयान का हवाला दिया. उस समय सिंह ने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को सलाह देते हुए कहा था कि ऐसे प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने के मामले में सरकार को अपने ‘‘रवैये को उदार बनाना चाहिए और नागरिकता कानून में बदलाव करने चाहिए. नड्डा ने दावा किया कि मनमोहन सिंह की बात को पूरा करते हुए हमारी सरकार इस विधेयक का लेकर आयी है.
भाजपा नेता ने कहा कि पूर्वोत्तर में यह भ्रम फैलाया गया है कि इस क्षेत्र की सांस्कृति पहचान खत्म हो जाएगी. वहां लोगों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह इस बात का पहले ही स्पष्ट आश्वासन दे चुके हैं कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद भी ‘इनर परमिट’ व्यवस्था जारी रहेगी. पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक पहचान बरकार रहेगी. उनके अस्तित्व को कोई खतरा नहीं हुआ है.
नड्डा ने कहा कि यह सच्चाई भले ही जितनी कड़वी हो पर सच यही है कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ है. विभाजन के समय जितना नरसंहार हुआ और जितनी बड़ी संख्या में लोग अपना घर छोड़कर एक तरफ से दूसरी तरफ गये, इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह स्थिति को समझना नही चाहती है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को किसी भी तरह प्रभावित नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को इंदौर, कच्छ या पश्चिम बंगाल में ऐसे शरणार्थियों के हालात जाकर देखना चाहिए. यदि ऐसे लोगों के हालात देख लिये जाए तो व्यक्ति तुरंत इस विधेयक पर मुहर लगा देगा.