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2012 छावला बलात्कार मामला : SC ने तीन दोषियों को बरी किया, दिल्ली कोर्ट ने सुनाई थी सजा-ए-मौत

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में एक 19 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी तीन लोगों को बरी कर दिया. इन तीन लोगों को दिल्ली की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.

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Published : Nov 7, 2022, 12:16 PM IST

Updated : Nov 7, 2022, 7:07 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में 19 साल की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में सोमवार को तीन लोगों को बरी कर दिया जिन्हें इस मामले में मौत की सजा सुनाई गयी थी. तीनों पुरुषों पर फरवरी 2012 में लड़की का अपहरण करने, उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने और उसकी नृशंस हत्या करने का आरोप है.

लड़की का क्षत-विक्षत शव उसके अपहरण के तीन दिन बाद मिला था. इस मामले में एक निचली अदालत ने 2014 में तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी और मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम करार दिया था. बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसले को बरकरार रखा. अभियोजन पक्ष के अनुसार गुड़गांव के साइबर सिटी इलाके में काम करने वाली पीड़िता उत्तराखंड की रहने वाली थी.

घटना वाले दिन वह अपने दफ्तर से लौट रही थी और अपने घर के पास थी, तभी तीन लोगों ने एक कार में उसका अपहरण कर लिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार लड़की जब घर नहीं लौटी तो उसके माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. बाद में लड़की का शव सड़ी-गली हालत में हरियाणा के रेवाड़ी में एक गांव में मिला. पुलिस को उसके शव पर चोट के अनेक निशान मिले.

आगे जांच और ऑटोप्सी में पता चला कि उस पर कार के औजारों, कांच की बोतलों, किसी पदार्थ से और अन्य हथियारों से हमला किया गया. पुलिस के अनुसार उसके साथ दुष्कर्म भी किया गया. पुलिस ने अपराध में शामिल होने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया और कहा कि एक आरोपी ने उसके शादी के प्रस्ताव को लड़की द्वारा खारिज किये जाने के बाद कथित रूप से उससे बदला लेने के लिए ऐसा किया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में 19 साल की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में सोमवार को तीन लोगों को बरी कर दिया जिन्हें इस मामले में मौत की सजा सुनाई गयी थी. तीनों पुरुषों पर फरवरी 2012 में लड़की का अपहरण करने, उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने और उसकी नृशंस हत्या करने का आरोप है.

लड़की का क्षत-विक्षत शव उसके अपहरण के तीन दिन बाद मिला था. इस मामले में एक निचली अदालत ने 2014 में तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी और मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम करार दिया था. बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसले को बरकरार रखा. अभियोजन पक्ष के अनुसार गुड़गांव के साइबर सिटी इलाके में काम करने वाली पीड़िता उत्तराखंड की रहने वाली थी.

घटना वाले दिन वह अपने दफ्तर से लौट रही थी और अपने घर के पास थी, तभी तीन लोगों ने एक कार में उसका अपहरण कर लिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार लड़की जब घर नहीं लौटी तो उसके माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. बाद में लड़की का शव सड़ी-गली हालत में हरियाणा के रेवाड़ी में एक गांव में मिला. पुलिस को उसके शव पर चोट के अनेक निशान मिले.

आगे जांच और ऑटोप्सी में पता चला कि उस पर कार के औजारों, कांच की बोतलों, किसी पदार्थ से और अन्य हथियारों से हमला किया गया. पुलिस के अनुसार उसके साथ दुष्कर्म भी किया गया. पुलिस ने अपराध में शामिल होने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया और कहा कि एक आरोपी ने उसके शादी के प्रस्ताव को लड़की द्वारा खारिज किये जाने के बाद कथित रूप से उससे बदला लेने के लिए ऐसा किया था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 7, 2022, 7:07 PM IST
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