ऊना: जिला ऊना में रविवार देर रात से हो रही भारी बारिश (Heavy rain) के चलते हजारों लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. जिला के दर्जनों स्थानों पर जलभराव की समस्या होने के चलते लोगों को भारी परेशानी हो रही है. वहीं, कई स्थानों पर जलभराव से जूझ रहे लोगों ने चक्का जाम कर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
चक्का जाम की स्थिति से निपटने के लिए पुलिस वालों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाली. लोगों का आरोप है कि सड़कों की अपग्रेडेशन (Upgradation) के दौरान उन्हें ऊंचा तो कर दिया गया, लेकिन सड़कों के किसी भी छोर पर ड्रेनेज की व्यवस्था न होने के कारण आज लोगों को परेशानी हो रही है.
इस दौरान लोगों ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. वहीं, भारी बारिश के चलते जिला भर के नदी नाले उफान पर चल रहे हैं. करीब 2 दिन पूर्व पानी की बूंदों के लिए तरस रही फसलें पूरी तरह से पानी में डूब चुकी हैं. इतना ही नहीं जिला मुख्यालय के महिला थाना में भी जल भराव के कारण पुलिस कर्मचारियों को समस्याओं से दो-चार होना पड़ा.
हालत यह है कि कई स्थानों पर जलभराव की समस्या से लोगों को रात भर घरों से बाहर रहना पड़ा है. इतना ही नहीं कई स्थानों पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी पानी घुसने से लोग भारी नुकसान झेलने को मजबूर हुए हैं. जिला मुख्यालय के महिला थाना परिसर में भी जलभराव की समस्या से पुलिस कर्मचारी पानी की नाकेबंदी करते नजर आए.
जिला के मनोहर मार्केट और झंवर में जलभराव की समस्या से लोग खासे परेशानी में पड़ गए. दोनों स्थानों पर लोगों को प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए चक्का जाम करने का फैसला लेना पड़ा. जलभराव की समस्या से जूझ रहे लोगों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
चक्का जाम से निपटने के लिए पुलिस दल को मौके पर पहुंचना पड़ा. ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़कों को बनाते या उन्हें अपग्रेड करते वक्त ना तो स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया जाता है और न ही भविष्य में उन्हें होने वाली समस्या को लेकर कोई भी नीति निर्माण किया जाता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से यहां रह रहे लोगों को सड़कों के ऊंचा होने से जलभराव की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है, लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग (PWD Department) के द्वारा सड़कों के दोनों छोर पर ड्रेनेज नहीं बनाई जा सकी है. लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि अब भी विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी तो उन्हें डीसी ऑफिस का घेराव करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
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