ऊना: जिला प्रशासन ने कोविड-19 की जांच के लिए पंचायत स्तर पर टेस्टिंग कैंप आयोजित करने का फैसला लिया है. इसके तहत जहां प्रत्येक उपमंडल में प्रति दिन 350 लोगों के सैंपल कोविड-19 की जांच के लिए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, प्रति परिवार एक व्यक्ति का सैंपल देना भी अनिवार्य किया गया है.
जिला प्रशासन का तर्क है कि समुदाय और समाज को संक्रमण की लहर से बचाने के लिए एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को अनिवार्य रूप से अपना सैंपल करवाना जरूरी होगा. यदि कोई व्यक्ति सैपलिंग करवाने से मना करता है तो उसके खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
पंचायत स्तर पर व्यापक सैंपलिंग अभियान छेड़ा जा रहा
जिले में कोविड-19 के एक्टिव केस फाइंडिंग को लेकर पंचायत स्तर पर व्यापक सैंपलिंग अभियान छेड़ा जा रहा है. इसी के चलते जिला प्रशासन ने टेस्टिंग को डबल करने का फैसला लिया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा संक्रमित सामने आ सकें और उन्हें समय रहते जागरूक करके आइसोलेट किया जा सके.
वहीं, जिले के सभी 5 उपमंडलों में प्रतिदिन 350 सैंपल करने का लक्ष्य रखा गया है. स्वास्थ्य विभाग की टीमों का गठन करके उन्हें हर पंचायत में भेजा जा रहा है. जिसके तहत प्रति परिवार एक व्यक्ति का सैंपल कोविड-19 की जांच के लिए जुटाया जाएगा.
प्रति परिवार एक व्यक्ति की टेस्टिंग जरूरी
ग्राम पंचायतों में लगने वाले इस टेस्टिंग कैंप के दौरान परिवारों को सुरक्षित रखने का लक्ष्य रखते हुए प्रति परिवार एक व्यक्ति की टेस्टिंग जरूरी की गई है. अभी हर व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी कि जब भी संबंधित पंचायत में टेस्टिंग कैंप का आयोजन किया जाए तो अपने परिवार से एक व्यक्ति को सैंपल कराने के लिए जरूर भेजें.
सैंपल न देने पर होगी कानूनी कार्रवाई
डीसी राघव शर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अब यह टेस्टिंग अनिवार्य होगी. यह समाज के प्रत्येक समुदाय की सुरक्षा का सवाल है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति संक्रमित रहते हुए अपनी टेस्टिंग नहीं करवाता है तो वह पूरे समुदाय और समाज के लिए खतरा बन सकता है. इस अनिवार्य टेस्टिंग कैंप में यदि कोई व्यक्ति अपना सैंपल कराने के लिए नहीं आता है तो उसके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है.
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