ऊना: अतीत की दहलीज पर ही वर्तमान की नींव खड़ी होती है, लेकिन हम अपनी विरासत को सहेजने में कितने लाचार हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण हम आपको आज की पेशकश में बताने जा रहे हैं.दरअसल ऊना जिला में स्थित सोलह सिंगीधार किला जो वर्तमान पीढ़ी के बीच बिना अपनी पहचान बताये ही जमींदोज हो रहा है. कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में बना ये किला अब खंडहर बन चुका है. इतिहासकारों का मानना है कि इस प्राचीन किले से बरसों पहले पाकिस्तान के लाहौर का दृश्य भी दूरबीन के माध्यम से दिखाई देता था.
![solah singhidhar fort](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/3975279_una.png)
हिमाचल के शासकों ने अपनी सुरक्षा के लिए जगह-जगह किले बनवाए थे, कुछ किले ऐसे हैं जो रखरखाव के कारण इतिहास को संजोए हुए हैं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. जबकि कुछ ऐसे किले हैं जो अनदेखी के कारण अपना वास्तविक रूप खो रहे हैं.
![solah singhidhar fort](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/3975279_fort.png)
सोलह सिंगी धार किले का निर्माण सैकड़ों साल पहले महाराजा रणजीत सिंह ने अपने सूबे की सुरक्षा और रेवन्यू इकट्ठा करने के लिए करवाया था. इनमें से एक किला ऊना जिले के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के डोलू नामक स्थान पर बना है.
![solah singhidhar fort](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/3975279_singhi.png)
दंडनीय अपराध करने वाले व्यक्ति को यहां मौत की सजा का भी प्रावधान था. काठ यानि किले में ऐसा स्थान जहां संगीन अपराध करने वाले व्यक्ति को दो बेलन के बीच में डालकर कुचल दिया जाता था. इसके अलावा सिल बट्टा यानि एक भारी पत्थर को सिर पर रख कर खड़ा रखने की सजा भी दी जाती थी.
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कुटलैहड़ किले को देखने के लिये लोगों को कई किलोमीटर तक पैदल और घने जंगल के बीच से गुजरना पड़ता है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सरकार के समय इन किलों के जीर्णोद्धार के लिए योजना भी बनाई गई थी, लेकिन इसके सिरे न चढ़ पाने से सोलह सिंगीधार के प्राचीन किले अपनी स्थिति खुद बयां करते नजर आ रहे हैं.