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हरोली में बंदर नसबंदी केंद्र भवन बना 'सफेद हाथी', करोड़ों खर्च करने के बावजूद समस्या बरकरार

हिमाचल प्रदेश में लगातार बंदरों की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है, जिससे किसान खेतीबाड़ी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. बंदरों के चलते किसानों की सैकड़ों कनाल भूमि बंजर बन चुकी है, लेकिन बंदरों की समस्या ज्यों की त्यों बरकरार है.

हरोली में बंदर नसबंदी केंद्र भवन बना सफेद हाथी, करोड़ों खर्च करने के बाबजूद भी आतंक पर नही लग रही लगाम
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Published : Oct 16, 2019, 12:32 PM IST

ऊना: सरकार किसानों को बंदरों की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए तरह-तरह के उपाय खोज रही है. वहीं, जिला ऊना की हरोली विधानसभा क्षेत्र के ईसपुर में बना नसबंदी केंद्र धूल फांक रहा है. 2015 में एक करोड़ रुपये की अधिक लागत से बना ये भवन किसी भी उपयोग में नहीं लाया जा रहा है. किसानों को बंदरों की समस्या से निजात तो नहीं मिली पर यह भवन सफेद हाथी साबित हो रहा है.

बंदर आए दिन किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. यही नहीं बंदर इतने खूंखार हो चुके हैं कि वे राहगीरों पर झपटकर सामान छीन लेते हैं. हालांकि जिला ऊना के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें बंदरों के हमले से कई लोग घायल हो चुके हैं. वहीं, स्थानीय लोगों ने सरकार से बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए फिर से वानर नसबंदी केंद्र को सुचारु रूप से चलाने की गुहार लगाई है.

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वहीं, वाइल्ड लाइफ विभाग के ब्लॉक अधिकारी जगदेव सिंह की मानें तो कर्मचारियों की कमी के कारण ईसपुर वानर नसबन्दी केंद्र को बंद किया गया है, जिसके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है. सरकार ने प्रस्तावित पदों की स्वीकृति मिलते ही वानर नसबंदी केंद्र को शुरू करने का दावा किया है.

ऊना: सरकार किसानों को बंदरों की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए तरह-तरह के उपाय खोज रही है. वहीं, जिला ऊना की हरोली विधानसभा क्षेत्र के ईसपुर में बना नसबंदी केंद्र धूल फांक रहा है. 2015 में एक करोड़ रुपये की अधिक लागत से बना ये भवन किसी भी उपयोग में नहीं लाया जा रहा है. किसानों को बंदरों की समस्या से निजात तो नहीं मिली पर यह भवन सफेद हाथी साबित हो रहा है.

बंदर आए दिन किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. यही नहीं बंदर इतने खूंखार हो चुके हैं कि वे राहगीरों पर झपटकर सामान छीन लेते हैं. हालांकि जिला ऊना के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें बंदरों के हमले से कई लोग घायल हो चुके हैं. वहीं, स्थानीय लोगों ने सरकार से बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए फिर से वानर नसबंदी केंद्र को सुचारु रूप से चलाने की गुहार लगाई है.

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वहीं, वाइल्ड लाइफ विभाग के ब्लॉक अधिकारी जगदेव सिंह की मानें तो कर्मचारियों की कमी के कारण ईसपुर वानर नसबन्दी केंद्र को बंद किया गया है, जिसके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है. सरकार ने प्रस्तावित पदों की स्वीकृति मिलते ही वानर नसबंदी केंद्र को शुरू करने का दावा किया है.

Intro:स्लग-- हरोली के ईसपुर में बन्दर नसबंदी केंद्र भवन बना सफेद हाथी, करोड़ों खर्च करने के बाबजूद भी बन्दरों के आतंक पर नही लग रही लगाम, लोगों ने सरकार से लगाई नसबंदी केंद्र को शुरू करने की गुहार। Body:एंकर --जहां प्रदेश सरकार ने किसानों को बन्दरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए वानर नसबंदी केंद्र स्थापित हैं। लेकिन ऊना जिला की हरोली विधानसभा क्षेत्र में बना नसबन्दी केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा हैं। सरकार ने 2015 में एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर वानर नसबंदी केंद्र स्थापित किया था। लेकिन अब करोड़ों रुपये से बने भवन का वाइल्ड लाइफ द्वारा कोई उपयोग नहीं किया जा रहा। वहीं वाइल्ड लाइफ विभाग कमर्चारियों की कमी का रोना कर अपने हाथ पीछे खींच रहा है।

वी ओ 1-- हिमाचल प्रदेश में लगातार बन्दरों की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। जिससे किसान खेतीबाड़ी छोड़ने को मजबूर हो गए। बंदरो की अत्यधिक वृद्धि के चलते किसानों की सेंकडों कनाल भूमि बंजर बन चुकी है। लेकिन बन्दरों की समस्या ज्यों की त्यों बरकरार है। जहां सरकार किसानों को बंदरों की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिये तरह -तरह के उपाय खोज रही है। वहीं जिला ऊना की हरोली विधानसभा क्षेत्र के ईसपुर में बना नसबंदी केंद्र धूल फांक रहा है। सरकार द्वारा 2015 में एक करोड़ रुपये की अधिक लागत से बना ये भवन किसी भी उपयोग में नही लाया जा रहा है। किसानों को बंदरों की समस्या से निजात तो नहीं मिली पर यह भवन सफेद हाथी सावित हो रहा है। आये दिन बन्दर किसानों की फ़सलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। यही नही बंदर इतने खूंखार हो चुके हैं कि वे राहगीरों पर झपटकर सामान छीन लेते हैं। हालांकि जिला ऊना के अलग - अलग क्षेत्रों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जिनमें बंदरों के हमले से कई लोग घायल हो चुके हैं। वहीं स्थानीय लोगों ने सरकार से बन्दरों की समस्या से निजात दिलाने के लिये फिर से वानर नसबंदी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने की गुहार लगाई है।

बाइट -- स्थानीय वासी
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बाइट -- स्थानीय वासी
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बाइट -- जगदेव सिंह ब्लॉक अधिकारी (वाइल्ड लाइफ विभाग)
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वी ओ 2 -- वहीं वाइल्ड लाइफ विभाग के ब्लॉक अधिकारी जगदेव सिंह की माने तो कर्मचारियों की कमी के कारण ईसपुर वानर नसबन्दी केंद्र को बंद किया गया है, जिसके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया। सरकार द्वारा प्रस्तावित पदों की स्वीकृति मिलते ही वानर नसबंदी केंद्र को शुरू करने का दावा किया है।
Conclusion:
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