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चिंतपूर्णी के व्यापारियों का अनुरोध, मंदिर खोलने में जल्दबाजी ना करे सरकार

विश्व विख्यात माता चिंतपूर्णी मंदिर में देश-प्रदेश से हजारों श्रद्धालु मात्था टेकने आते हैं. यहां दो हजार परिवारों की रोजी-रोटी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से चलती है. चिंतपूर्णी बिजनेस एसोसिएशन के प्रधान कुंदन गर्ग ने कहा कि चिंतपूर्णी में कम से कम 2000 दुकानदार और उनके परिवार भी काम करते हैं.

Mata Chintpurni temple
स्थानीय व्यापारियों का प्रशासन से माता चिंतपूर्णी मंदिर के कपाट खोलने को लेकर जल्दबाजी न करने का अनुरोध.
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Published : Jun 6, 2020, 8:58 PM IST

ऊना: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में बंद पड़े मंदिरों को 8 जून से खोलने के आदेश दे दिए हैं. इसके लिए प्रदेश सरकारों को अपने स्तर पर निर्णय लेना होगा. हिमाचल में भी कई शक्तिपीठ और मंदिर हैं. कई लोगों की रोजी रोटी इन्हीं मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं से चलती है.

कई लोग मंदिरों के बाहर प्रसाद, होटल और ढाबे चलाते हैं, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से ये सभी मंदिर बंद हैं. ऐसे में मंदिरों के बाहर दुकानें लगाने वाले लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

वीडियो

विश्व विख्यात माता चिंतपूर्णी मंदिर में देश-प्रदेश से हजारों श्रद्धालु मात्था टेकने आते हैं. यहां दो हजार परिवारों की रोजी-रोटी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से चलती है. चिंतपूर्णी बिजनेस एसोसिएशन के प्रधान कुंदन गर्ग ने कहा कि चिंतपूर्णी में कम से कम 2000 दुकानदार और उनके परिवार भी काम करते हैं.

मंदिर के आसपास सभी दुकानदार प्रसाद की दुकानें, होटल, ढाबे चलाते हैं. कुंदन गर्ग ने कहा कि अगर हिमाचल सरकार प्रदेश के मंदिरों को खोलना चाहती है तो दक्षिण भारत की तर्ज पर मंदिरों को खोला जाए, ताकि छोटे से लेकर बड़े दुकानदारों को परेशानी ना हो और उनका व्यवसाय भी चल सके.

वहीं, स्थानीय दुकानदारों और व्यापारियों ने भी कहा की अभी मंदिर में प्रसाद नहीं चढ़ाया जा सकता ऐसे में उनकी दुकानों को बंद ही रखा जाए. उन्होंने हालातों का हवाला देते हुए सरकार से अनुरोध किया है कि मंदिर खोलने में कोई जल्दबाजी ना की जाए. हालात ठीक होने के बाद ही मंदिर के कपाट न खोले जाएं.

ऊना: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में बंद पड़े मंदिरों को 8 जून से खोलने के आदेश दे दिए हैं. इसके लिए प्रदेश सरकारों को अपने स्तर पर निर्णय लेना होगा. हिमाचल में भी कई शक्तिपीठ और मंदिर हैं. कई लोगों की रोजी रोटी इन्हीं मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं से चलती है.

कई लोग मंदिरों के बाहर प्रसाद, होटल और ढाबे चलाते हैं, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से ये सभी मंदिर बंद हैं. ऐसे में मंदिरों के बाहर दुकानें लगाने वाले लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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विश्व विख्यात माता चिंतपूर्णी मंदिर में देश-प्रदेश से हजारों श्रद्धालु मात्था टेकने आते हैं. यहां दो हजार परिवारों की रोजी-रोटी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से चलती है. चिंतपूर्णी बिजनेस एसोसिएशन के प्रधान कुंदन गर्ग ने कहा कि चिंतपूर्णी में कम से कम 2000 दुकानदार और उनके परिवार भी काम करते हैं.

मंदिर के आसपास सभी दुकानदार प्रसाद की दुकानें, होटल, ढाबे चलाते हैं. कुंदन गर्ग ने कहा कि अगर हिमाचल सरकार प्रदेश के मंदिरों को खोलना चाहती है तो दक्षिण भारत की तर्ज पर मंदिरों को खोला जाए, ताकि छोटे से लेकर बड़े दुकानदारों को परेशानी ना हो और उनका व्यवसाय भी चल सके.

वहीं, स्थानीय दुकानदारों और व्यापारियों ने भी कहा की अभी मंदिर में प्रसाद नहीं चढ़ाया जा सकता ऐसे में उनकी दुकानों को बंद ही रखा जाए. उन्होंने हालातों का हवाला देते हुए सरकार से अनुरोध किया है कि मंदिर खोलने में कोई जल्दबाजी ना की जाए. हालात ठीक होने के बाद ही मंदिर के कपाट न खोले जाएं.

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