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हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी के पूर्व सचिव प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा का निधन, कोरोना से थे संक्रमित

हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी में पूर्व सचिव एवं प्रख्यात सहित्यकार प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा का रविवार को निधन हो गया. प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा कोरोना संक्रमित थे. जालंधर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली.

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Published : May 9, 2021, 10:28 PM IST

ऊना: हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी में पूर्व सचिव एवं प्रख्यात सहित्यकार प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा का रविवार को निधन हो गया. कोरोना संक्रमण के चलते उनको पहले कोविड के मेक शिफ्ट अस्पताल पालकवाह ले जाया गया था. उसके बाद तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जालंधर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली.

कोविड नियमों के चलते उनका अंतिम संस्कार दामाद और बेटी की उपस्थिति में जालंधर में ही किया गया. उनके अकस्मात निधन से संस्कृत प्रेमियों, प्रबुद्वजनों, संस्कृत परिषद में शोक की लहर है.

महाविद्यालय के उत्थान रहा है अहम योगदान

गौरतलब है कि प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा ने डोहगी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य अपनी सेवाएं दी थीं. इस दौरान महाविद्यालय के उत्थान के लिए अहम योगदान किया था. इसके साथ साथ उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संगठनों के साथ मिलकर संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने की दिशा में अलख जगाने का काम किया है. वह विगत वर्ष ही डोहगी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे, बावजूद इसके उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए अपने प्रयास निरंतर जारी रखे थे.

प्रोफेसर भक्त वत्सलम पिछले साल ही संस्कृत महाविद्यालय डोहगी से प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वे लगातार 42 साल तक इसी पद पर बने रहे. यह रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा है.

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जताया शोक

प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा के निधन पर ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवदेना जताई है. उन्होंने कहा कि प्रो. वत्सलम का संस्कृत भाषा को शिखर पर ले जाने में अहम योगदान रहा है. इस क्षतिपूर्ण को कभी भूलाया नहीं जा सकता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना से निपटने में सरकार पूरी तरह से नाकाम, लोगों को छोड़ा राम भरोसे: राजीव शुक्ला

ऊना: हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी में पूर्व सचिव एवं प्रख्यात सहित्यकार प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा का रविवार को निधन हो गया. कोरोना संक्रमण के चलते उनको पहले कोविड के मेक शिफ्ट अस्पताल पालकवाह ले जाया गया था. उसके बाद तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जालंधर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली.

कोविड नियमों के चलते उनका अंतिम संस्कार दामाद और बेटी की उपस्थिति में जालंधर में ही किया गया. उनके अकस्मात निधन से संस्कृत प्रेमियों, प्रबुद्वजनों, संस्कृत परिषद में शोक की लहर है.

महाविद्यालय के उत्थान रहा है अहम योगदान

गौरतलब है कि प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा ने डोहगी संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य अपनी सेवाएं दी थीं. इस दौरान महाविद्यालय के उत्थान के लिए अहम योगदान किया था. इसके साथ साथ उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संगठनों के साथ मिलकर संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने की दिशा में अलख जगाने का काम किया है. वह विगत वर्ष ही डोहगी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे, बावजूद इसके उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए अपने प्रयास निरंतर जारी रखे थे.

प्रोफेसर भक्त वत्सलम पिछले साल ही संस्कृत महाविद्यालय डोहगी से प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. वे लगातार 42 साल तक इसी पद पर बने रहे. यह रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा है.

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जताया शोक

प्रो. भक्त वत्सलम शर्मा के निधन पर ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवदेना जताई है. उन्होंने कहा कि प्रो. वत्सलम का संस्कृत भाषा को शिखर पर ले जाने में अहम योगदान रहा है. इस क्षतिपूर्ण को कभी भूलाया नहीं जा सकता है.

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