ऊना: जिला में कोविड-19 संक्रमण के चलते एकाएक बड़े मौतों के मामलों के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने तमाम निजी मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और मेडिकल स्टोर्स के संचालकों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है. इसी के तहत डीसी ऊना राघव शर्मा ने एक आदेश जारी करते हुए जिला भर के निजी चिकित्सकों और मेडिकल स्टोर्स के संचालकों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने यहां दवा लेने के लिए आने वाले कोविड-19 लक्षणों के हर मरीज की जानकारी अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य विभाग को देंगे.
गौरतलब है कि जिला में संक्रमण के चलते हुई कुछ मौतों में निजी चिकित्सकों और मेडिकल स्टोर्स की अहम भूमिका सामने आई है. इसी के चलते जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने अब निजी स्वास्थ्य संस्थानों और मेडिकल स्टोर्स के संचालकों पर शिकंजा कसने का निर्णय लिया है. जिसके चलते प्रशासन द्वारा बकायदा एक आदेश भी जारी कर दिया गया है.
जिला में कोविड-19 संक्रमण के चलते मार्च माह में सामने आई अधिक मौतों के मामलों के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने निजी मेडिकल प्रैक्टिस और मेडिकल स्टोर्स के संचालकों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है. जिसका कारण इन मौतों में निजी स्वास्थ्य संस्थानों और मेडिकल स्टोर्स की भूमिका का सामने आना है.
डीसी ऊना राघव शर्मा ने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण जिला ऊना में गत दो सप्ताह में काफी मौतें हुई हैं, जिनका विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आया है कि बहुत से ऐसे मरीज शामिल हैं जो निजी अस्पतालों व क्लीनिकों से इलाज करवा रहे थे और इनके अंदर कोविड-19 के लक्षण मौजूद थे. इन्होंने न तो कोविड टेस्ट करवाया और न ही समय पर स्वास्थ्य विभाग को इस सूचना दी गई और हालत गंभीर होने पर जब कोविड पॉजीटिव पाए गए ऐसी स्थिति में उनको बचाया जाना संभव नहीं हो पा रहा था.
'नजदीकी अस्पताल में कोविड-19 टेस्ट के लिए रेफर करें'
इस तथ्य ध्यान में रखते हुए आदेश जारी किया गया है कि जिला के निजी चिकित्सक अपने अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे कोविड-19 लक्ष्णों वाले व्यक्तियों की सूचना तुरन्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दें और किसी भी नजदीकी अस्पताल में कोविड-19 टेस्ट के लिए रेफर करें, ताकि संक्रमण का जल्दी पता लग सके.
निजी चिकित्सा संस्थानों पर कार्रवाई की जा सकती है
इसके अलावा किसी कैमिस्ट से भी लक्ष्ण प्रभावित व्यक्ति दवाई लेता है उसे बिना चिकित्सा पर्ची के दवाई न दी जाए. चिकित्सा विभाग किसी भी कोरोना पॉजीटिव मरीज से जानकारी प्राप्त करेगा कि किसी निजी चिकित्सक ने पहले उसका इलाज तो नहीं किया है और स्वास्थ्य विभाग को सूचित नहीं किया है. यदि ऐसा मामला सामने आता है तो इसे अधिसूचना का उल्लंघन माना जाएगा. ऐसी स्थिति में निजी चिकित्सा संस्थानों पर कार्रवाई की जा सकती है.
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