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हिमालयी क्षेत्रों के सतत विकास के लिए महामंथन शुरू, नौणी विश्वविद्यालय में जुटे इन देशों के शोधकर्ता - नौणी विश्वविद्यालय में हिमसंवाद सम्मेलन

नौणी विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय हिमसंवाद ट्रांस हिमालयन स्थानीय समाधान और कार्यान्वयन रणनीति पर सम्मेलन का आगाज हो गया है. सोमवार को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस सम्मेलन में हिमालयी देशों भूटान, नेपाल तथा भारत के हिमालयी क्षेत्र में स्तिथ राज्यों के 200 से अधिक नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता तीन दिनों तक हिमालय क्षेत्र के सतत विकास पर विचार-विमर्श करेंगे.

हिमालयी क्षेत्रों के सतत विकास के लिए महामंथन
हिमालयी क्षेत्रों के सतत विकास के लिए महामंथन
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Published : Dec 19, 2022, 6:15 PM IST

नौणी विश्वविद्यालय में हिमसंवाद सम्मेलन.

सोलन: नौणी विश्वविद्यालय में (Nauni University of sloan) 19 से 21 दिसंबर तक तीन दिवसीय हिमसंवाद-ट्रांस हिमालयन सम्मेलन (Trans Himalayan conference at Nauni University) का आयोजन किया जा रहा है. सोमवार को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. यह कार्यक्रम नौणी विवि और सेवा इंटरनेशनल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा (Himsamvad conference at Nauni University) है.

इस सम्मेलन में हिमालयी देशों भूटान, नेपाल तथा भारत के हिमालयी क्षेत्र में स्तिथ राज्यों के 200 से अधिक नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता तीन दिनों तक हिमालय क्षेत्र के सतत विकास पर विचार-विमर्श करेंगे. इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि हम विचार लेकर इस महामंथन में आए हैं कि जो हमारे पहाड़ी क्षेत्र होते हैं, उनके अपने प्रश्न, उनकी अपनी समस्या होती हैं. ऐसे में इनकी समस्या का निवारण भी इनके साथ बैठकर ही होगा.

राज्यपाल ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या भूस्खलन है. जिसका अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकाला जा सका है. वैज्ञानिक आज भी इस पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक आपदा के समाधान के लिए एक साथ आगे-आने की जरूरत है. हिमसंवाद कार्यक्रम इन्हीं सब समस्याओं पर विचार विमर्श करने और हिमालयी क्षेत्रों का विकास करने का जरिया है. जहां पर बाहरी देशों के लोग भी एक मंच पर आकर समस्याओं का उत्तर ढूंढने का प्रयास करेंगे.

राज्यपाल ने कहा कि युवा शक्ति आगे आकर हिमालयी क्षेत्रों में आने वाली हर उस समस्या का समाधान कर सकते हैं जिन सब समस्याओं से आज हिमालयी क्षेत्र जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार युवाओं को आगे बढ़ने के लिए और नए-नए शोध करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं. आने वाले समय मे भारत सोने की चिड़िया नहीं सोने का शेर बनकर उभरने वाला है.

ये भी पढ़ें: 6 हजार करोड़ का बहुचर्चित घोटाला: हार्ट कोर्ट की निगरानी में 18 जनवरी को नीलाम होगी इंडियन टेक्नोमेक

नौणी विश्वविद्यालय में हिमसंवाद सम्मेलन.

सोलन: नौणी विश्वविद्यालय में (Nauni University of sloan) 19 से 21 दिसंबर तक तीन दिवसीय हिमसंवाद-ट्रांस हिमालयन सम्मेलन (Trans Himalayan conference at Nauni University) का आयोजन किया जा रहा है. सोमवार को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. यह कार्यक्रम नौणी विवि और सेवा इंटरनेशनल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा (Himsamvad conference at Nauni University) है.

इस सम्मेलन में हिमालयी देशों भूटान, नेपाल तथा भारत के हिमालयी क्षेत्र में स्तिथ राज्यों के 200 से अधिक नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और शोधकर्ता तीन दिनों तक हिमालय क्षेत्र के सतत विकास पर विचार-विमर्श करेंगे. इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि हम विचार लेकर इस महामंथन में आए हैं कि जो हमारे पहाड़ी क्षेत्र होते हैं, उनके अपने प्रश्न, उनकी अपनी समस्या होती हैं. ऐसे में इनकी समस्या का निवारण भी इनके साथ बैठकर ही होगा.

राज्यपाल ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या भूस्खलन है. जिसका अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकाला जा सका है. वैज्ञानिक आज भी इस पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक आपदा के समाधान के लिए एक साथ आगे-आने की जरूरत है. हिमसंवाद कार्यक्रम इन्हीं सब समस्याओं पर विचार विमर्श करने और हिमालयी क्षेत्रों का विकास करने का जरिया है. जहां पर बाहरी देशों के लोग भी एक मंच पर आकर समस्याओं का उत्तर ढूंढने का प्रयास करेंगे.

राज्यपाल ने कहा कि युवा शक्ति आगे आकर हिमालयी क्षेत्रों में आने वाली हर उस समस्या का समाधान कर सकते हैं जिन सब समस्याओं से आज हिमालयी क्षेत्र जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार युवाओं को आगे बढ़ने के लिए और नए-नए शोध करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं. आने वाले समय मे भारत सोने की चिड़िया नहीं सोने का शेर बनकर उभरने वाला है.

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