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आज भी कम नहीं हुई है रेडियो की दीवानगी, वर्ल्ड रेडियो डे पर देखें ETV भारत की खास पेशकश - श्री मति इंदिरा गांधी

वर्ल्ड रेडियो डे के उपलक्ष्य में ईटीवी भारत आज आपको रेडियो के इतिहास और इस दिन को मनाए जाने से जुड़ी खास बाते बताएगा. किस तरीके से रेडियो ने भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर अपनी ख्याति प्राप्त की. आइए जानते हैं.

special story on world radio day
आज भी कम नहीं हुई है रेडियो की दीवानगी
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Published : Feb 13, 2020, 4:07 PM IST

सोलन: रेडियो के सहारे किसी का बचपन बिता तो किसी का बुढ़ापा. इस देश ने जिस माध्यम से आजादी की घोषणा सुनी वह भी रेडियो ही था, जब देश में इमरजेंसी लगी तो वह ऐलान भी भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गांधी ने किया था. जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया.

आज वर्ल्ड रेडियो डे है. मौजूदा वक्त में चाहे स्मार्टफोन का ट्रेंड हो, लेकिन रेडियो के प्रति लोगों की दीवानगी आज भी कम नहीं हुई है. ईटीवी भारत आज आपकों रेडियों से जुड़ी खास बाते बताएगा.

आज भी लोगों के पास पुराने समय के रेडियो देखने को मिलते हैं, लेकिन आधुनिक समय में कहीं ना कहीं रेडियो का महत्व लोगों के बीच खत्म होता जा रहा है. जिस तरह से लोग पहले के समय में सुबह उठकर दिनभर की समाचार सुनने के लिए रेडियो के पास बैठा करते थे. आज सभी के पास एंड्रॉयड फोन होने के कारण उस समय को भूलते जा रहे हैं.

यह शख्स 1957 से चला रहा है सोलन रेडियो सर्विस के नाम से दुकान

सोलन में 1957 से सोलन रेडियो सर्विस के नाम से दुकान चला रहे सुनील राजू ने बताया कि जिस समय रेडियो का दौर था तो लोग दिनभर रेडियो के पास बैठकर खबरें और गानों को सुना करते थे. वह समय कुछ और था, लेकिन आधुनिक समय में लोगों में इसका क्रेज खत्म होता जा रहा है. फिर भी लोग आज तक रेडियो के ऊपर गाने और खबरें सुनने के लिए खुश दिखाई देते हैं.

वर्ल्ड रेडियो डे का क्या है इतिहास

यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड ने जनरल कॉन्फ्रेंस को विश्व रेडियो दिवस की घोषणा करने की सिफारिश की थी. 2011 में यूनेस्को ने एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया की और यह स्पेन द्वारा भी प्रस्तावित है. 1946 में आखिरकार संयुक्त राष्ट्र रेडियो ने पहला कॉलसाइन ट्रांसमिट किया. यूनेस्को के 36वें सत्र ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.संयुक्त राष्ट्र महासभा ने औपचारिक रूप से 14 जनवरी 2013 को यूनेस्को के विश्व रेडियो दिवस की घोषणा का समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67वें सत्र में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित करने के लिए संकल्प अपनाया गया और इसी प्रकार 13 फरवरी को हर साल विश्व रेडियो दिवस मनाया जाने लगा.

क्या है इस दिन का महत्व

विश्व रेडियो दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य जनता और मीडिया के बीच रेडियो के महत्व को बढ़ाने के लिए जागरूकता फैलाना है. यह निर्णयकर्ताओं को रेडियो के माध्यम से सूचनाओं की स्थापना और जानकारी प्रदान करने नेटवर्किंग बढ़ाने और प्रसारकों के बीच एक प्रकार का अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रदान करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है.

वीडियो रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: शिवलिंग पर उकेरा गया बाबा भूतनाथ मंदिर का इतिहास, दर्शन कर निहाल हो रहे भक्तजन

सोलन: रेडियो के सहारे किसी का बचपन बिता तो किसी का बुढ़ापा. इस देश ने जिस माध्यम से आजादी की घोषणा सुनी वह भी रेडियो ही था, जब देश में इमरजेंसी लगी तो वह ऐलान भी भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गांधी ने किया था. जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया.

आज वर्ल्ड रेडियो डे है. मौजूदा वक्त में चाहे स्मार्टफोन का ट्रेंड हो, लेकिन रेडियो के प्रति लोगों की दीवानगी आज भी कम नहीं हुई है. ईटीवी भारत आज आपकों रेडियों से जुड़ी खास बाते बताएगा.

आज भी लोगों के पास पुराने समय के रेडियो देखने को मिलते हैं, लेकिन आधुनिक समय में कहीं ना कहीं रेडियो का महत्व लोगों के बीच खत्म होता जा रहा है. जिस तरह से लोग पहले के समय में सुबह उठकर दिनभर की समाचार सुनने के लिए रेडियो के पास बैठा करते थे. आज सभी के पास एंड्रॉयड फोन होने के कारण उस समय को भूलते जा रहे हैं.

यह शख्स 1957 से चला रहा है सोलन रेडियो सर्विस के नाम से दुकान

सोलन में 1957 से सोलन रेडियो सर्विस के नाम से दुकान चला रहे सुनील राजू ने बताया कि जिस समय रेडियो का दौर था तो लोग दिनभर रेडियो के पास बैठकर खबरें और गानों को सुना करते थे. वह समय कुछ और था, लेकिन आधुनिक समय में लोगों में इसका क्रेज खत्म होता जा रहा है. फिर भी लोग आज तक रेडियो के ऊपर गाने और खबरें सुनने के लिए खुश दिखाई देते हैं.

वर्ल्ड रेडियो डे का क्या है इतिहास

यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड ने जनरल कॉन्फ्रेंस को विश्व रेडियो दिवस की घोषणा करने की सिफारिश की थी. 2011 में यूनेस्को ने एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया की और यह स्पेन द्वारा भी प्रस्तावित है. 1946 में आखिरकार संयुक्त राष्ट्र रेडियो ने पहला कॉलसाइन ट्रांसमिट किया. यूनेस्को के 36वें सत्र ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.संयुक्त राष्ट्र महासभा ने औपचारिक रूप से 14 जनवरी 2013 को यूनेस्को के विश्व रेडियो दिवस की घोषणा का समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67वें सत्र में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित करने के लिए संकल्प अपनाया गया और इसी प्रकार 13 फरवरी को हर साल विश्व रेडियो दिवस मनाया जाने लगा.

क्या है इस दिन का महत्व

विश्व रेडियो दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य जनता और मीडिया के बीच रेडियो के महत्व को बढ़ाने के लिए जागरूकता फैलाना है. यह निर्णयकर्ताओं को रेडियो के माध्यम से सूचनाओं की स्थापना और जानकारी प्रदान करने नेटवर्किंग बढ़ाने और प्रसारकों के बीच एक प्रकार का अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रदान करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है.

वीडियो रिपोर्ट

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