सोलन: शिव जो प्रकृति की हर चीज में वास करते हैं, शायद इसीलिए तो साधारण सी दिखने वाली चीजें भी अद्भुत और रहस्यमयी बन जाती है. शिवरात्रि के पावन अवसर पर ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज रहस्य में आपको भगवान भोलेनाथ के उन रहस्यों से परिचित करवाएगा, जिनका उत्तर विज्ञान के पास भी नहीं है.
![special rahasya story on lutru Mahadev arki solan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6097626_solan.jpg)
जिला सोलन के अर्की में भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर लुटरु महादेव के नाम से जाना जाता है. यहां भगवान भोलेनाथ सिर्फ सिगरेट का कश नहीं लगाते बल्कि सिगरेट के धुए को हवा में भी उड़ाते हैं. सुनने में भले ही अजीब लगे मगर महादेव के भक्त तो यही मानते हैं. पहाड़ियों पर प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां दर्शन करने के लिए आने वाले सभी भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग को सिगरेट अर्पित करते हैं. शिवलिंग पर सिगरेट अर्पित करने के बाद उसे कोई सुलगाता नहीं है बल्कि वह खुद-ब-खुद सुलगती है. बकायदा सिगरेट से धुआं भी निकलता है मानो स्वयं भोले बाबा सिगरेट के कश लगा रहे हों, हालांकि कुछ लोग इसमें विज्ञान तलाश इसे अंधविश्वास भी करार देते हैं किंतु भोले के भक्तों के लिए तो यह शिव की महिमा है, आखिर भक्त और भगवान को विश्वास ही तो जोड़ता है.
![special rahasya story on lutru Mahadev arki solan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6097626_solan1.jpg)
लुटरु महादेव मंदिर का निर्माण 1621 में करवाया गया था. कहा जाता है कि बाघल रियासत के तत्कालीन राजा को भोलेनाथ ने सपने में दर्शन देकर मंदिर निर्माण का आदेश दिया था. एक मान्यता यह भी है कि स्वयं भगवान शिव कभी इस गुफा में रहे थे. आग्नेय चट्टानों से निर्मित इस गुफा की लंबाई पूर्व से पश्चिम की तरफ लगभग 25 फीट और उत्तर से दक्षिण की ओर 42 फीट है. गुफा की ऊंचाई तल से 6 फीट से 30 फीट तक है. गुफा के अंदर भाग में प्राचीन प्राकृतिक शिव की पिंडी विद्यमान है.
मन्दिर के पुजारी की माने तो लुटरु महादेव मंदिर बेहद ही पुराना है और सतयुग काल से है. उन्होंने बताया कि यह अगस्त्य मुनि की तपोस्थली है.वह यहां पर तपस्या किया करते थे. उन्होंने बताया कि जब पृथ्वी को स्थापित किया जा रहा था तो समुद्र को शांत कराने के लिए बहुत प्रयत्न किए गए. उसके बाद भोले बाबा ने यहां आकर अगस्त्यमुनि जी को यहां आकर दर्शन दिए और कहा कि आप समुद्र को शांत करवाएं ताकि पृथ्वी स्थापित हो सके. मन्दिर के पुजारी ने बताया कि सिगरेट चढ़ाने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है.
इसलिए विशेष है लुटरु महादेव मंदिर
■ लुटरु महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी अपने आप में बेहद अनोखा है, शिवलिंग पर जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं इन्हीं गड्ढों में लोग सिगरेट को फंसा देते हैं.
■ लुटरु महादेव गुफा की छत में परतदार चट्टानों के रूप में भिन्न-भिन्न लंबाईओं के छोटे-छोटे गाय के थनों के आकार के शिवलिंग है मान्यता के अनुसार इनसे कभी दूध की धारा बहती थी.
■ शिवलिंग के ठीक ऊपर एक गुफा पर छोटा सा गाय के थन के जैसा एक शिवलिंग बना है, जहां से पानी की एक-एक बूंद ठीक शिवलिंग के ऊपर गिरती रहती है.
■ लुटरु गुफा को भगवान परशुराम की कर्म स्थली भी कहा जाता है, पौराणिक कथाओं की मानें तो सहस्त्रबाहु का वध करने के बाद भगवान परशुराम ने यहा भगवान शिव की आराधना की थी.
■ पंजाब के चमकौर साहिब के शिव मंदिर के महात्मा शीलनाथ भी करीब चार दशक पूर्व महादेव में आराधना करते थे.
■ शिवलिंग पर जलते हुए सिगरेट के अद्भुत नजारों को देखने के बाद लोग इसे कैमरे में कैद करने से खुद को नहीं रोक पाते और ऐसा करने पर कोई पाबंदी भी नहीं है.
■ वर्ष 1982 में केरल राज्य में जन्मे महात्मा सनमोगानन्द सरस्वती जी महाराज लुटरू महादेव मंदिर में पधारे आज भी उनकी समाधि यहां बनी हुई है.
■ गुफा के नीचे दूरदराज से आने वाले भक्तों के लिए धर्मशाला भी बनाई गई है.
ये भी पढें: रहस्य: महादेव ने स्थापित किया था ये शिवलिंग! गड़रिये को भेड़ों के साथ बना दिया था पत्थर
ये भी पढें: रहस्य: इस हाथी की कब्र पर जाते ही चर्म रोग और बुखार से मिलता है छुटकारा!