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सुनो सरकार! 20 सालों सड़क के लिए तरस रहे 3 गांवों के लोग - Solan News

सोलन शहर से सटी पंचायत धरोट के कई गांवों के लोगों को सड़क सुविधा के आभाव के चलते कई किलोमीटर का पैदल सफर कर सड़क तक पहुंचना पडता है. ग्रामीणों की माने तो यहां पर सड़क के लिए कई बार सर्वे हो चुका है, लेकिन अभी तक सड़क का काम शुरू नहीं हो पाया है.

सोलन
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Published : Aug 7, 2019, 2:56 PM IST

सोलनः आजादी के 72 वर्ष बाद भी सोलन जिला की धरोट ग्राम पंचायत के आंजी, जीयूं, खंडोल सहित आस पास के गांवो के लोग अपनी बदहाली के आंसू बहा रहे है. पिछले करीब 20 वर्षों से इन गांवों के लोग एक अदद सड़क की मांग को सरकार और प्रशासन पूरा नहीं कर पाया है.

सड़क सुविधा के आभाव के चलते ग्रामीणों को करीब तीन किलोमीटर का पैदल सफर कर सड़क तक पहुंचना पडता है. गर्भवती महिलाओं सहित बीमार व्यक्ति को सडक तक पहुंचाने मे कठिनाईयों का सामना करना पडता है. यहां समय पर सड़क तक न पहुंचने से कई मरीज बिना अस्पताल पहुंचे रास्ते में भी दम तोड़ चुके हैं.

raod problem in dharot panchayat
डिजाइन फोटो

इन गांवों के लोगों की आजिविका कृषि से चलती है. दूध समेत अपनी नकदी फसलों को यहां के किसान को पीठ पर सड़क ढोते हैं. पहले समान ढोने के लिए एक क्रेन का सहारा था, लेकिन भारी बरसात के चलते वो भी जमींदोज हो गई है. ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि उन्हें केवल एक मात्र एंबुलेंस मार्ग उपलब्ध करवाया जाए.

वीडियो

ग्रामीणों की माने तो यहां पर सड़क के लिए कई बार सर्वे हो चुका है, लेकिन अभी तक सड़क का काम शुरू नहीं हो पाया है. लोगों ने सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी मांग को जल्द पूरा किया जाए.

सोलनः आजादी के 72 वर्ष बाद भी सोलन जिला की धरोट ग्राम पंचायत के आंजी, जीयूं, खंडोल सहित आस पास के गांवो के लोग अपनी बदहाली के आंसू बहा रहे है. पिछले करीब 20 वर्षों से इन गांवों के लोग एक अदद सड़क की मांग को सरकार और प्रशासन पूरा नहीं कर पाया है.

सड़क सुविधा के आभाव के चलते ग्रामीणों को करीब तीन किलोमीटर का पैदल सफर कर सड़क तक पहुंचना पडता है. गर्भवती महिलाओं सहित बीमार व्यक्ति को सडक तक पहुंचाने मे कठिनाईयों का सामना करना पडता है. यहां समय पर सड़क तक न पहुंचने से कई मरीज बिना अस्पताल पहुंचे रास्ते में भी दम तोड़ चुके हैं.

raod problem in dharot panchayat
डिजाइन फोटो

इन गांवों के लोगों की आजिविका कृषि से चलती है. दूध समेत अपनी नकदी फसलों को यहां के किसान को पीठ पर सड़क ढोते हैं. पहले समान ढोने के लिए एक क्रेन का सहारा था, लेकिन भारी बरसात के चलते वो भी जमींदोज हो गई है. ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि उन्हें केवल एक मात्र एंबुलेंस मार्ग उपलब्ध करवाया जाए.

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ग्रामीणों की माने तो यहां पर सड़क के लिए कई बार सर्वे हो चुका है, लेकिन अभी तक सड़क का काम शुरू नहीं हो पाया है. लोगों ने सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी मांग को जल्द पूरा किया जाए.

Intro:Pacakage story:-आजादी के 72 वर्ष पूरे होने को लेकीन सोलन जिला मुख्यालय से कुछ ही दूर एक गाँव आज भी लगा रहा सड़क सुवीधा की गुहार
:-गर्भवती महिलाओ सहित बिमार व्यक्ति को सडक न होने का भुगतना पड़ता है खामियाजा
:-पिछले बीस सालो मे जितनी भी सरकारे आई है उन्होने सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की,काम नही किया साहब

आजादी को 72 वर्ष पूर्ण होंने को है लेकिन आजादी के 72 वर्ष बाद भी सोलन जिला की धरोट ग्राम पंचायत के आंजी जीयूं खंडोल सहित आस पास के गांवो के लोग अपनी बदहाली के आंसू बहा रहे है। पिछले करीब 20 वर्षों से इन गांवो के लोगो ने हर जगह सडक के लिए गुहार लगाई लेकिन सरकार प्रशासन ने इनकी सडक की मांग को ठंडे बस्ते मे डाल रखा है। जिससे आंजी , खंडोल , जीयूं गांवो के लोगो को विभिन्न परेशानियों से दो चार होना पड रहा है। समान ढुलाई के लिए लगाई गई क्रेन भी बरसात के कारण धवस्त हो गई है जिससे किसानो की समस्यां और अधिक बढ गई है।


Body:Voice over:-
विकास की गाथाए गडी जा रही है। चंद्रयान के नाम पर दुनियां भर मे वाहवाही लुटी जा रही है। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी कई गांव ऐसे है जो कि मुलभूत सुविधाओ के लिए तरस रहे है। आज हम आपको सोलन जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर धरोट पंचायत के आंजी , जीयूं , खंडोल व आस पास के ग्रामीणो का दर्द दिखा रहे है। इन गा्रमीणो के पास सडक की सुविधा नहीं है जिसके चलते इन्हे करीब तीन किलोमीटर का पैदल सफर कर सडक पहुंचना पडता है। गर्भवती महिलाओ सहित बिमार व्यक्ति को सडक तक पहुचाने मे कठिनाईयो का सामना करना पडता है। यहां तक की कई बार तो समय पर सडक तक न पहुचने से घर मे ही लोगो को मौत की नींद सोना पडा है। इन तीन गांवो के लोगो की आजिविका कृषी से चलती है दूध सहित अपनी नकदी फस्लो को यहां के किसानो को पीठ पर सडक तक ढ़ोना पडता है। एकमात्र सहारा समान ढोने के लिए क्रेन थी लेकिन इन दिनो बरसात के चलते वह भी जमीदोंज हो गई है जिसके चलते अब करीब तीन किलोमीटर तक पीठ मे बोझा लेकर यह ग्रामीण सडक तक पहुचते है। व सरकार से मांग कर रहे है कि भले ही आप चंद्रयान से वाहवाही लूटे लेकिन उन्हे एकमात्र एबुलेस मार्ग उपलब्ध करवा दे ।

Conclusion:ग्रामीणों की माने तो यहां पर सडक के लिए कई बार सर्वे हो चुका है मौके पर संबधित विभाग के आलाअधिकारी आये है लेकिन उनकी इस जायज मांग को ठंडे बस्ते मे डालकर उन्हे मुलभुत सुविधा प्रदान नहीं की जा रही है। तस्वीरे साफ दर्शा रही है कि पीठ पर 50 किलो की दो करेटे लेकर किस हालत मे यहां के लोग सडक तक अपनी नकदी फस्लो को पहुचाते है। इनका दर्द देखने वाला कोई नहीं है। सरकार कोई भी हो लेकिन इस और किसी ने ध्यान नहीं दिया । लोग मांग कर रहे है कि उनकी के्रन को प्रशासन द्धारा दरूस्त किया जाये व साथ ही जल्द ही उन्हें सडक की सुविधा प्रदान की जाये।

धरोट पंचाय जीयूं, खंडोल, आंजी व साथ लगते प्रभावित लोगों ने बात करते हुए बताया कि पिछले करीब 20 वर्षो से वह हर स्तर पर अपनी सडक की मांग को उठा रहे है । लेकिन उनकी मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओ सहित वृद्ध लोगो को सडक तक पहुचने मे खासी परेशानियों से दोचार होना पड रहा है। उन्हांेने कहा कि पिछले बीस सालो मे जितनी भी सरकारे आई है उन्हंेाने सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की है। लेकिन उनके गांवों को विराना छोड रखा है। लोगो ने बताया कि कई बार सर्वे होने के बाद भी इनकी सडक की मांग को ठंडे बस्ते मे डाला जा रहा है।.
         

निश्चित तौर पर सरकार भले ही विकास की गाथाए गडते नहीं थकती लेकिन हकीकत तो यह है कि आज भी धरोट पंचायत के इन गांवो के लोगो को गधे की तरह लद कर तीन किलोमीटर अपनी नकदी फस्ले सडक तक पहुचानी पडती है। निश्चित तौर पर चंद्रयान जरूरी है लेकिन इन तस्वीरों को बदलना उस से भी ज्यदा जरूरी है।

बाइट:-ग्रामीण
शॉट:-सड़क सुवीधा न होने के कारण अपना सामान और सब्जियां ढोते ग्रामीण

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