सोलन: हिमाचल प्रदेश राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के अध्यक्ष दीपक राठौर ने कहा कि देश की पंचायतें आत्मनिर्भर होंगी तो देश अपने आप आत्मनिर्भर हो जाएगा. उन्होंने मांग की है कि 73वें और 74वें पंचायती राज संशोधन को प्रदेश में लागू किया जाए.
सोलन में पत्रकारवार्ता के दौरान दीपक राठौर ने कहा कि आत्मनिर्भरता का सपना तब तक स्वीकार नहीं हो सकता, जब तक सत्ता का विकेंद्रीकरण ना हो. उन्होंने प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि केरल अगर संशोधन लागू कर सकता है, तो हिमाचल क्यों नहीं कर सकता?
राजीव गांधी पंचायती राज संगठन ने हिमाचल सरकार से प्रदेश के सभी पंचायत में तीन एफ लागू करने की मांग की है, ये तीन एफ है फंड, फंक्शन, फंक्शनरी. उन्होंने कहा कि देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का निचोड़ आत्मनिर्भर बनाने का है, लेकिन भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ बातों को जमीनी स्तर पर लागू करवाना बेहद आवश्यक है.
लोकतंत्र की सबसे छोटी और सख्त इकाई हैं पंचायतें
लोकतंत्र की सबसे छोटी और सख्त इकाई पंचायतें हैं. अगर देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो सबसे पहले हमें केरल की तर्ज पर आत्मनिर्भर बनना होगा. आत्मनिर्भर की ओर पहला कदम है, सत्ता का विकेंद्रीकरण.
देश और प्रदेश दोनों ही जगह देखने में आया है कि सत्ता का केंद्रीकरण है, लेकिन आत्मनिर्भर बनाने के लिए विकेंद्रीकरण करने की बहुत आवश्यकता है, साथ ही पंचायतों में भी इस प्राथमिक तौर पर लागू करना होगा.
दीपक राठौर ने कहा कि अभी देश में केरल ऐसा इकलौता राज्य हैं, जहां संविधान का 73 व 74वां संशोधन लागू है और वहां पंचायत शिक्षक थे. प्रदेश में दिसंबर में पंचायती राज संगठन के चुनाव होने हैं. उससे पहले वे सरकार को 29 सूत्रीय मांगपत्र हर जिले की तरफ से मुख्यमंत्री को भेजने वाले हैं. इस विषय पर पूरे प्रदेश में राजीव गांधी पंचायती राज संगठन जागरूकता अभियान चला रहा है.
20 अगस्त तक उनका दौरा पूरा होगा प्रदेश राजीव गांधी पंचायती राज संगठन एक रेगुलेशन तैयार करेगा और सरकार से मांग करेगा कि इस रिजर्वेशन में पंचायतों के लिए बुनियादी मांगों की घोषणा प्रदेश सरकार दिसंबर में होने वाले पंचायती राज संगठन चुनाव से पहले पूरा करें.
गांव की पीएचसी सीएचसी में मिले एक्स-रे अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था
पीएचसी-सीएचसी में एक्सरे अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था हो ताकि लोगों को बड़े अस्पतालों का रुख ना करना पड़े. उन्होंने कहा कि अभी तक पीएससी सीएससी में सुविधाएं ना के बराबर हैं, जिसके कारण बड़े अस्पतालों में जाने पर लोगों पर भार बढ़ता है और छोटे से छोटे टेस्ट के लिए लोग बड़े अस्पतालों में जाने को मजबूर होते हैं.
पंचायतों के अधीन हो आठवीं तक की शिक्षा
राठौर का कहना है कि सरकारी स्कूलों में आठवीं तक की शिक्षा पंचायतों के अधीन की जानी चाहिए. मौजूदा दौर में गरीब अभिभावक अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाने में असमर्थ हैं, अगर पंचायतें अपने स्तर पर स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाने व अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करे तो गरीब बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों जैसे शिक्षा मिल सकती है.
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