सोलन: हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में हुए मानव भारती विश्विद्यालय में हुए फर्जी डिग्री मामले को लेकर प्रदेश में सियासत छाई हुई है, लगातार इस मुद्दे के तार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच में पाए जा रहे हैं.
मानव भारती यूनिवर्सिटी में 6 लाख फर्जी डिग्रियों में 2000 करोड़ का फर्जीवाड़ा हुआ है. जिससे कहीं न कहीं प्रदेश की बदनामी हो रही है. ये गोरखधंधा कैसे आगे बढ़ा व किन लोगों ने इसमें पैसा खाया. इन सब मुख्य बातों को ध्यान में रखते हुए इस मामलो को सीबीआई को सौंपे जाने की मांग सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने की.
उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की बात कही है. राजेंद्र राणा ने कहा कि अब प्रदेश सरकार द्वारा मानव भारती यूनिवर्सिटी में एडमिनिस्ट्रेटर लगाया गया है, जिसके बाद से अब मानव भारती यूनिवर्सिटी से रेगुलर डिग्री ग्रहण कर रहे बच्चों को राहत मिलेगी.
वहीं, साथ ही साथ बहुचर्चित फर्जी डिग्री मामले में फंसे मानव भारती विश्वविद्यालय के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन्फोर्समेंट केस इन्फॉरमेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज कर ली है. इसी ईसीआईआर को दर्ज करने के साथ ईडी ने मामले की नियमित जांच शुरू कर दी है.
राजेंद्र राणा ने कहा कि वे लगातार इस मुद्दे को लेकर मीडिया के समक्ष आते रहे वह इस मुद्दे को उन्होंने विधानसभा में भी उठाया था इसके बाद से जांच आगे बढ़ी है,उन्होंने कहा कि करीब पांच से छह लाख फर्जी डिग्रियां इस विश्वविद्यालय से बांटी गई है इसमें कुछ लोग भी गिरफ्तार हुए हैं, उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर देवभूमि हिमाचल की बदनामी हर जगह हुई है.
उन्होंने इस मामले की जांच करने के लिए उन्होंने ईडी की मांग की थी, जिसके बाद ईडी अब इस मामले में जांच कर रही है. उन्होंने बताया कि इस मामले में को देखकर लगता है कि इस मामले करीब 2 हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ है.
अभी तक इन लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी
इन मामलों की जांच सोलन पुलिस की एक एसआईटी को दी थी, जिसने विवि का संचालन करने वाले राजकुमार राणा, विवि रजिस्ट्रार अनुपमा, सहायक रजिस्ट्रार मनीष गोयल, डाटा ऑपरेटर प्रमोद कुमार के अलावा विवि के नशा मुक्ति केंद्र के संचालक जतिन नागर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. मालिक राणा की पत्नी और बेटी की भी भूमिका की जांच की जा रही है.
लाखों युवाओं का भविष्य भी अधर में
सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि करीब चार लाख से ज्यादा फर्जी डिग्रियां बेचने वाले मानव भारती विश्वविद्यालय ने अपने गोरखधंधे से लाखों युवाओं के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है. हालत यह है कि युवा जहां सरकारी या निजी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं, उनकी डिग्री पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.
बड़ी संख्या में युवाओं को उनके नियोक्ताओं ने डिग्री वेरिफाई कराने की चिट्ठियां भी लिख दी हैं. ऐसे में अब फर्जी डिग्री लेने वालों के अलावा उन युवाओं का भविष्य भी अंधकार में जाने की ओर है जिन्होंने दिनरात पढ़ाई कर डिग्री हासिल की थी.