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कोरोना के चलते बसों का काम ठप, 50 प्रतिशत से भी कम यात्री कर रहे सफर - 50 प्रतिशत से भी कम यात्री कर रहे सफर

सरकार ने 50 प्रतिशत सीटिंग क्षमता के साथ बसें चलाने के निर्देश तो जारी किए हैं लेकिन बसों में 25 प्रतिशत सवारियां ही आ रही हैं. इससे निजी बस ऑपरेटरों सहित सरकारी बसों को भी नुकसान हो रहा है. निजी बस परिचालकों की मानें तो यदि हालत ऐसे ही बने रहे और लोग घरों से बाहर नहीं निकले तो उन्हें मजबूरन अपनी बसों को खड़ा करना पड़ेगा.

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Published : Apr 22, 2021, 5:45 PM IST

सोलन: सरकार के निर्देशों के बाद बसों में 50 प्रतिशत यात्री ही सफर कर रहे हैं. इस फैसले के बाद सोलन बस अड्डा सुनसान नजर आने लगा है. बसों में सवारी ही नहीं है.

बस ऑपरेटर्स को नुकसान

सरकार ने 50 प्रतिशत सीटिंग क्षमता के साथ बसें चलाने के निर्देश तो जारी किए हैं लेकिन बसों में 25 प्रतिशत सवारियां ही जुड़ रही हैं. इससे निजी बस ऑपरेटरों सहित सरकारी बसों को भी नुकसान हो रहा है. निजी बस परिचालकों की मानें तो यदि हालत ऐसे ही बने रहे और लोग घरों से बाहर नहीं निकले तो उन्हें मजबूरन अपनी बसों को खड़ा करना पड़ेगा.

वीडियो.

कोरोना के चलते काम ठप

निजी बस परिचालकों का कहना है कि कोरोना के चलते काम ठप हो चुका है. सरकार ने 50 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने का निर्णय तो लिया है लेकिन सवारियां ही नहीं हैं. उनका कहना है कि बसों में 25 प्रतिशत सवारियां ही बैठ रही हैं. इससे खर्चा पूरा कर पाना बहुत मुश्किल है.

ये भी पढ़ें: कोरोना से लड़ने को हिमाचलियों ने पहले भी दिल खोलकर दिया दान, खजाने में जमा हुए थे 84 करोड़

सोलन: सरकार के निर्देशों के बाद बसों में 50 प्रतिशत यात्री ही सफर कर रहे हैं. इस फैसले के बाद सोलन बस अड्डा सुनसान नजर आने लगा है. बसों में सवारी ही नहीं है.

बस ऑपरेटर्स को नुकसान

सरकार ने 50 प्रतिशत सीटिंग क्षमता के साथ बसें चलाने के निर्देश तो जारी किए हैं लेकिन बसों में 25 प्रतिशत सवारियां ही जुड़ रही हैं. इससे निजी बस ऑपरेटरों सहित सरकारी बसों को भी नुकसान हो रहा है. निजी बस परिचालकों की मानें तो यदि हालत ऐसे ही बने रहे और लोग घरों से बाहर नहीं निकले तो उन्हें मजबूरन अपनी बसों को खड़ा करना पड़ेगा.

वीडियो.

कोरोना के चलते काम ठप

निजी बस परिचालकों का कहना है कि कोरोना के चलते काम ठप हो चुका है. सरकार ने 50 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने का निर्णय तो लिया है लेकिन सवारियां ही नहीं हैं. उनका कहना है कि बसों में 25 प्रतिशत सवारियां ही बैठ रही हैं. इससे खर्चा पूरा कर पाना बहुत मुश्किल है.

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