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कुमारहट्टी हादसा: मजिस्ट्रेट जांच में चौंकाने वाले खुलासे, अनडिजाइंड था 4 मंजिला भवन

कुमारहट्टी हादसे की मजिस्ट्रेट जांच में हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए हैं. जांच के दौरान वहां पर खुदाई करने पर पाया गया कि सैप्टिक टैंक में लगातार रिसाव हो रहा था.

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Published : Aug 6, 2019, 6:45 PM IST

सोलन: कुमारहट्टी हादसे की मजिस्ट्रेट जांच पूरी हो गई है. सोलन एसडीएम ने डीसी को करीब 55 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंप दी है. हालांकि प्रशासन ने इसे सार्वजनिक नहीं किया है.

डीसी ने मंगलवार को सरकार को बंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप दी है. मैजिस्ट्रेट जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. ये 4 मंजिला भवन अनडिजाइंड था. यही सबसे बड़ा हादसे का कारण बना. इस भवन में वैली की तरह सैप्टिक टैंक बना हुआ था, जो आधा भवन के पिल्लर के नीचे था और आधा बाहर को था. जांच में इसे डी 3 क्लास दी गई.

जांच के दौरान वहां पर खुदाई करने पर पाया गया कि सैप्टिक टैंक में भी लगातार रिसाव हो रहा था. इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया. इसके अलावा इस 4 मंजिला भवन का ड्रेनेज सिस्टम भी खराब था. नींव में ही पानी का रिसाव हो रहा था. ये क्षेत्र टीसीपी में न होने के कारण भवन मालिक ने भवन का निर्माण करने से पूर्व स्ट्रक्चर इंजीनियर से मिट्टी की भार क्षमता की जांच नहीं करवाई. जिस जगह पर इस भवन का निर्माण हुआ है, उसकी मिट्टी की क्षमता 4 मंजिला भवन का भार उठाने की नहीं थी.

इस 4 मंजिला भवन में एक मंजिला राइजिंग स्ट्रक्चर है. पिल्लरों के बीच में ईंट की चिनाई नहीं की गई है. पूरा भार पिल्लरों पर ही था. एक पिल्लर के टूटने पर यह पूरा भवन दाहिनी ओर को भरभरा कर गिर गया.

सबसे बड़ी बात ये है कि इस भवन का निर्माण 6 सालों में पूरा हुआ है. इसकी एक मंजिल बेच दी गई थी, जबकि 2 मंजिलें अपने पास ही रखी हुई थीं. इसकी एक मंजिल पर ढाबा चला हुआ था. जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि भरभरा गिरा 4 मंजिला भवन महज 2 बिस्वा भूमि पर बना हुआ था.

राजस्व रिकॉर्ड में भवन मालिक एक बिस्वा का मालिक है जबकि शेष भूमि एग्रीमेंट के आधार पर खरीदी हुई है. जिस जगह पर ये हादसा हुआ था, वह पंचायत क्षेत्र में है. इसलिए टीसीपी और साडा वहां पर लागू नहीं है. यहां पर विदित रहे कि 14 जुलाई को हुए इस हादसे में एक महिला समेत 14 सैनिकों की मौत हो गई जबकि 28 अन्य घायल हो गए थे.

ये भी पढ़ें - कुमारहट्टी हादसा: खनन और एनएचएआई एक्सपर्ट टीम करेगी जांच

सोलन: कुमारहट्टी हादसे की मजिस्ट्रेट जांच पूरी हो गई है. सोलन एसडीएम ने डीसी को करीब 55 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंप दी है. हालांकि प्रशासन ने इसे सार्वजनिक नहीं किया है.

डीसी ने मंगलवार को सरकार को बंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप दी है. मैजिस्ट्रेट जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. ये 4 मंजिला भवन अनडिजाइंड था. यही सबसे बड़ा हादसे का कारण बना. इस भवन में वैली की तरह सैप्टिक टैंक बना हुआ था, जो आधा भवन के पिल्लर के नीचे था और आधा बाहर को था. जांच में इसे डी 3 क्लास दी गई.

जांच के दौरान वहां पर खुदाई करने पर पाया गया कि सैप्टिक टैंक में भी लगातार रिसाव हो रहा था. इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया. इसके अलावा इस 4 मंजिला भवन का ड्रेनेज सिस्टम भी खराब था. नींव में ही पानी का रिसाव हो रहा था. ये क्षेत्र टीसीपी में न होने के कारण भवन मालिक ने भवन का निर्माण करने से पूर्व स्ट्रक्चर इंजीनियर से मिट्टी की भार क्षमता की जांच नहीं करवाई. जिस जगह पर इस भवन का निर्माण हुआ है, उसकी मिट्टी की क्षमता 4 मंजिला भवन का भार उठाने की नहीं थी.

इस 4 मंजिला भवन में एक मंजिला राइजिंग स्ट्रक्चर है. पिल्लरों के बीच में ईंट की चिनाई नहीं की गई है. पूरा भार पिल्लरों पर ही था. एक पिल्लर के टूटने पर यह पूरा भवन दाहिनी ओर को भरभरा कर गिर गया.

सबसे बड़ी बात ये है कि इस भवन का निर्माण 6 सालों में पूरा हुआ है. इसकी एक मंजिल बेच दी गई थी, जबकि 2 मंजिलें अपने पास ही रखी हुई थीं. इसकी एक मंजिल पर ढाबा चला हुआ था. जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि भरभरा गिरा 4 मंजिला भवन महज 2 बिस्वा भूमि पर बना हुआ था.

राजस्व रिकॉर्ड में भवन मालिक एक बिस्वा का मालिक है जबकि शेष भूमि एग्रीमेंट के आधार पर खरीदी हुई है. जिस जगह पर ये हादसा हुआ था, वह पंचायत क्षेत्र में है. इसलिए टीसीपी और साडा वहां पर लागू नहीं है. यहां पर विदित रहे कि 14 जुलाई को हुए इस हादसे में एक महिला समेत 14 सैनिकों की मौत हो गई जबकि 28 अन्य घायल हो गए थे.

ये भी पढ़ें - कुमारहट्टी हादसा: खनन और एनएचएआई एक्सपर्ट टीम करेगी जांच

Intro:कुमारहट्टी हादसे की मजिस्ट्रेट जांच में कई चौंकाने वाले हुए खुलासे

:-4 मंजिला भवन था अनडिजाइंड
:-मिट्टी की क्षमता 4 मंजिला भवन का भार उठाने की नहीं थी
:-55 पन्नों की जांच रिपोर्ट डीसी सोलन को सौंपी गयी।

कुमारहट्टी हादसे की मजिस्ट्रेट जांच पूरी हो गई है। एस.डी.एम. सोलन ने डी.सी. सोलन को करीब 55 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि प्रशासन ने इसे सार्वजनिक नहीं किया है। डी.सी. सोलन मंगलवार को सरकार को बंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप दी है। मैजिस्ट्रेट जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। यह 4 मंजिला भवन अनडिजाइंड था। यही सबसे बड़ा हादसे का कारण बना। इस भवन में वैली की तरह सैप्टिक टैंक बना हुआ था, जो आधा भवन के पिल्लर के नीचे था और आधा बाहर को था। जांच में इसे डी 3 क्लास दी गई। जांच के दौरान वहां पर खुदाई करने पर पाया गया कि सैप्टिक टैंक में भी लगातार रिसाव हो रहा था।Body:इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया। इसके अलावा इस 4 मंजिला भवन का ड्रेनेज सिस्टम भी खराब था। नींव में ही पानी का रिसाव हो रहा था। यह क्षेत्र टी.सी.पी. में न होने के कारण भवन मालिक ने भवन का निर्माण करने से पूर्व स्ट्रक्चर इंजीनियर से मिट्टी की भार क्षमता की जांच नहीं करवाई। जिस जगह पर इस भवन का निर्माण हुआ है, उसकी मिट्टी की क्षमता 4 मंजिला भवन का भार उठाने की नहीं थी। इस 4 मंजिला भवन में एक मंजिला राइजिंग स्ट्रक्चर है। पिल्लरों के बीच में ईंट की चिनाई नहीं की गई है। पूरा भार पिल्लरों पर ही था। एक पिल्लर के टूटने पर यह पूरा भवन दाहिनी ओर को भरभरा कर गिर गया।
Conclusion:सबसे बड़ी बात यह है कि इस भवन का निर्माण 6 वर्षों में पूरा हुआ है। इसकी एक मंजिल बेच दी गई थी, जबकि 2 मंजिलें अपने पास ही रखी हुई थीं। इसकी एक मंजिल पर ढाबा चला हुआ था। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि भरभरा गिरा 4 मंजिला भवन महज 2 बिस्वा भूमि पर बना हुआ था। राजस्व रिकॉर्ड में भवन मालिक एक बिस्वा का मालिक है जबकि शेष भूमि एग्रीमैंट के आधार पर खरीदी हुई है। जिस जगह पर यह हादसा हुआ था, वह पंचायत क्षेत्र में है। इसलिए टी.सी.पी. व साडा वहां पर लागू नहीं है। यहां पर विदित रहे कि 14 जुलाई को हुए इस हादसे में एक महिला समेत 14 सैनिकों की मौत हो गई जबकि 28 अन्य घायल हो गए थे
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