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सोलन में लगी स्वदेशी राखियों की प्रदर्शनी, मंत्री राजीव सैजल ने किया निरीक्षण - Rakhi festival

रक्षाबंधन पर्व को लेकर इस साल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और सीएम ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं चीनी सामान का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियां बरक्षाबंधन पर्व को लेकर इस साल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और सीएम ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं चीनी सामान का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियां बना रही हैं.ना रही हैं.

Indigenous Rakhis being made in Solan
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Published : Jul 29, 2020, 4:57 PM IST

सोलन: तीन अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, रक्षाबंधन पर्व पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियों से इस बार बहन अपने भाई की कलाई की शोभा बढ़ाएगी. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं स्वदेशी राखियां बना रही हैं.

भारत-चीन तनाव के बीच इस साल रक्षाबंधन पर्व पर बहने अपने भाई की कलाई पर चीन में बनी राखी नहीं बांधेगी. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वदेशी सामानों को बढ़ावा देने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाने की कवायद भी शुरू हो चुकी है. वहीं, बुधवार को सोलन में भी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई, जहां सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने प्रदर्शनी का निरीक्षण किया.

वीडियो रिपोर्ट.

कुषा, चीड़ की पत्तियों और मौली के धागों से बनाई गई है राखियां

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा जिला भर में हर पंचायत में घर बैठे ही इस बार स्वदेशी राखियां बनाई जा रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने जो राखियां बनाई हैं, उनमें खास बात यह है कि इनमें चीड़ की पत्तियों से राखियां, फ्लावर पॉट और बैठने के लिए आसन बनाए गए हैं, जो कि पूरी तरह स्वदेशी है.

वहीं, इस बार 'कुषा' जो कि धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल की जाती हैं, उसके जरिए भी स्वयं सहायता समूह द्वारा राखियां बनाई गई हैं. वहीं, मौली के धागों और रेशम के धागों से भी घर बैठे ही महिलाओं द्वारा राखियां बनाई गई हैं.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री ग्रामीण कौशल योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि जो राखियां इस बार तैयार की जा रही है, वह पूरी तरह स्वदेशी है. उन्होंने बताया कि गांव में इस बार राखियों को स्वदेशी ढंग से बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस पहल से महिलाओं को घर बैठे ही रोजगार मिल रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना भी सच होता दिख रहा है.

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा जो राखियां बनाई गई हैं, उस प्रदर्शनी का निरीक्षण करते हुए मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत बनने की तरफ पहला कदम है. उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा घर बैठे ही राखियां बनाकर जहां रोजगार के अवसर ढूंढे जा रहे हैं, वहीं इस बार चीन के समान का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियों पर भी जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने. इसके लिए समय-समय पर प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए एक स्टेज मिल रहा है.

बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में चल रहे तनाव के बाद से चीन और चीनी सामानों के खिलाफ बने माहौल में चीनी सामानों के बहिष्कार के साथ ही स्वदेशी सामानों का उपयोग को प्रेरित किया जा रहा है. इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं.

ये भी पढ़ें:हिमाचल में TET की परीक्षाएं स्थगित, अगले आदेशों तक करना होगा इंतजार

सोलन: तीन अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, रक्षाबंधन पर्व पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियों से इस बार बहन अपने भाई की कलाई की शोभा बढ़ाएगी. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं स्वदेशी राखियां बना रही हैं.

भारत-चीन तनाव के बीच इस साल रक्षाबंधन पर्व पर बहने अपने भाई की कलाई पर चीन में बनी राखी नहीं बांधेगी. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वदेशी सामानों को बढ़ावा देने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाने की कवायद भी शुरू हो चुकी है. वहीं, बुधवार को सोलन में भी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई, जहां सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने प्रदर्शनी का निरीक्षण किया.

वीडियो रिपोर्ट.

कुषा, चीड़ की पत्तियों और मौली के धागों से बनाई गई है राखियां

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा जिला भर में हर पंचायत में घर बैठे ही इस बार स्वदेशी राखियां बनाई जा रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने जो राखियां बनाई हैं, उनमें खास बात यह है कि इनमें चीड़ की पत्तियों से राखियां, फ्लावर पॉट और बैठने के लिए आसन बनाए गए हैं, जो कि पूरी तरह स्वदेशी है.

वहीं, इस बार 'कुषा' जो कि धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल की जाती हैं, उसके जरिए भी स्वयं सहायता समूह द्वारा राखियां बनाई गई हैं. वहीं, मौली के धागों और रेशम के धागों से भी घर बैठे ही महिलाओं द्वारा राखियां बनाई गई हैं.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री ग्रामीण कौशल योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि जो राखियां इस बार तैयार की जा रही है, वह पूरी तरह स्वदेशी है. उन्होंने बताया कि गांव में इस बार राखियों को स्वदेशी ढंग से बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस पहल से महिलाओं को घर बैठे ही रोजगार मिल रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना भी सच होता दिख रहा है.

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा जो राखियां बनाई गई हैं, उस प्रदर्शनी का निरीक्षण करते हुए मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत बनने की तरफ पहला कदम है. उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा घर बैठे ही राखियां बनाकर जहां रोजगार के अवसर ढूंढे जा रहे हैं, वहीं इस बार चीन के समान का बहिष्कार कर स्वदेशी राखियों पर भी जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने. इसके लिए समय-समय पर प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए एक स्टेज मिल रहा है.

बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में चल रहे तनाव के बाद से चीन और चीनी सामानों के खिलाफ बने माहौल में चीनी सामानों के बहिष्कार के साथ ही स्वदेशी सामानों का उपयोग को प्रेरित किया जा रहा है. इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं.

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