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फूल खिले किसान मायूस: कोरोना की दूसरी लहर में फूल व्यवसाय पर पड़ी दोगुनी मार, नहीं मिल रहा खरीददार

कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन और कर्फ्यू का सिलसिला जारी है. इस वजह से शादी और दूसरे कार्यक्रमों पर सरकार की ओर से रोक लगाई गई है. कोरोना वायरस को डेढ़ साल के करीब होने आया है. इस दौरान शादियां बहुत छोटे स्तर पर आयोजित की गई और यह सिलसिला अभी भी जारी है. कार्यक्रम न होने की वजह से विभिन्न कारोबारियों को नुकसान पहुंचा है. शादियों में सजावट के लिए फूल पहुंचाने वाले कारोबारियों पर कोरोना वायरस ने ग्रहण लगा दिया है. इस डेढ़ साल में फूल उत्पादकों को लाखों का नुकसान हो चुका है.

Loss to flower business.
फूल कोरोबार को नुकसान।
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Published : May 28, 2021, 7:19 PM IST

Updated : May 28, 2021, 11:05 PM IST

सोलन: फूल उत्पादक पूरी मेहनत करके फूल उगा रहे हैं. इस मेहनत का फल उन्हें फूलों की बंपर पैदावार के रुप में मिल रहा है लेकिन यह बंपर पैदावार भी उनके किसी काम नहीं आ रही है. दरअसल कोरोना की वजह से शादी समारोह और दूसरे कार्यक्रमों पर रोक लगी हुई है. ऐसे में फूलों की बंपर पैदावार होने के बावजूद उत्पादकों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं. फूल उत्पादकों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

फूल उत्पादकों पर पड़ी कोरोना की मार

प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की मार हर वर्ग पर पड़ी है. फूल उत्पादकों को इस बार भी कोरोना वायरस की नजर लग चुकी है, लहलहाती फूलों की फसल को देखकर किसान इस बार परेशान हो चुके हैं. फसल तो इस बार अच्छी है लेकिन करोड़ों की फसल का कोई खरीदार नहीं है. प्रदेश में प्रतिवर्ष 100 से 150 करोड़ रुपए तक फूलों का कारोबार होता है जो पिछले साल नहीं हो सका था. गत वर्ष भी देश में लगे लाकडाउन के दौरान फूलों की खेती करने वालो को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा था. इस कारण कई किसान बैंक के कर्ज तले दब गए थे. इसकी भरपाई के लिए कुछ किसानों ने अपनी निजी जमीन तक बेच डाली.

शादी समारोह पर रोक से फूलों की मांग में गिरावट

चायल के महोगबाग का फूल पूरे देश में मशहूर है और यहां का अधिकतर फूल दिल्ली जाता है. यहां का फूल बड़े-बड़े कार्यक्रमों की शान बनता है. लॉकडाउन के कारण दिल्ली बंद होने और विवाह सहित अन्य समारोह न होने के कारण फूलों की डिमांड नहीं रही और फूल उत्पादकों को अपनी फसल को पशुओं को खिलाना पड़ा या फेंकने पर मजबूर होना पड़ा. दिल्ली सहित कई राज्यों में लॉकडाउन और शादी समारोह में रोक के कारण फूलों की मांग में गिरावट आई है. सोलन जिले में कई महंगे किस्म के फूलों की खेती होती है. यहां से फूल दिल्ली समेत बड़ी मंडियों में भेजे जाते हैं. इस बार फूल उत्पादकों को बेहतर कारोबार की उम्मीद थी.

12 स्टिक का गुच्छा 300 रुपये में बिकता है

शादी और अन्य कार्यक्रमों में फूलों की भारी मांग रहती है. 12 स्टिक का गुच्छा 250 से 300 रुपए में बिक जाता है. पिछले साल की तरह इस बार फसल खेतों और पॉलीहाउस में खराब होने की कगार पर है. 150-200 रुपए प्रति बंच बिकने वाला कारनेशन फूल इस बार दिल्ली में 20 से 50 रुपए तक बिक रहा था. दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद फूल उत्पादकों की चिंता और बढ़ गई है.

बैंक से लिए गए क्रॉप लोन को चुकाना मुश्किल

चायल के फूल उत्पादक रवि शर्मा और अक्षय शर्मा का कहना है कि फसलों के लिए किसानों ने बैंकों से लोन लिया है लेकिन फसल बर्बाद होने की वजह से लोन चुका नहीं पाएंगे. उन्होंने कहा कि अप्रैल से जून तक उनके फूलों की बहुत डिमांड रहती थी. इन महीनों में पूरे साल की कमाई कर सकते थे लेकिन आजकल सबकुछ बंद होने के कारण उनका व्यवसाय ठप हो चुका है.

किसान परिवारों ने बेच दी अपनी निजी जमीनें

कुनिहार क्षेत्र से महज 3 किलोमीटर दूर खरडहट्टी पंचायत के अंतर्गत आने वाले काटल गांव में करीब 3 वर्ष पूर्व एक किसान परिवार ने उद्यान विभाग से एमआईडीएच के तहत अनुदान राशि ली थी और अपनी निजी जमीन पर लगभग 4 हजार स्क्वायर मीटर पॉली हाउस में गुलाब के फूलों की खेती शुरू कर दी. गत वर्ष देश में लगे लॉकडाउन के दौरान उक्त परिवार को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था. आर्थिक नुकसान और बैंक कर्ज की भरपाई के लिए उक्त परिवार को अपनी कुछ निजी जमीन तक बेचनी पड गई थी. इस वर्ष भी कोरोना कर्फ्यू किसान परिवार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है.

बाजार में फूलों की डिमांड न के बराबार

कुनिहार निवासी फूल किसान कृष्ण दत्त ने कहा कि उनका परिवार पिछले करीब 3 वर्षों से फूलों की खेती कर रहा है. इसके लिए उद्यान विभाग से अनुदान राशि लेकर लगभग 4 हजार स्क्वायर मीटर पॉली हाउस में गुलाब के अतिरिक्त अन्य फूलों की खेती कर रखी है. पिछले वर्ष देश में जारी लॉकडाउन के दौरान फूलों का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. कोरोना महामारी के चलते अधिकतर राज्यों में कोरोना कर्फ्यू है. कहीं से फूलों की डिमांड नहीं आ रही है. फूलों की खड़ी फसल बर्बाद हो रही है. किसान परिवार के आजीविका का एक मात्र सहारा फूलों की खेती ही है. ऐसे में किसानों ने सरकार से राहत दिए जाने की गुहार लगाई है.

यहां होती है फूलों की खेती

सोलन जिले के कंडाघाट के चायल सहित कई क्षेत्रों में कारनेशन और गुलदाउदी किस्म के फूलों की फसल तैयार है. ग्लैड, लिलियम, एस्टोमेरिया और गेंदा सहित कई किस्मों के फूल भी तैयार होने वाले हैं. हिमाचल में तैयार होने वाले बेमौसमी फूलों की उत्तरी भारत में भारी मांग रहती है. प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में ट्यूलिप, लीलियम, कारनेशन, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी, गुडेशिया, गुलाब, एस्ट्रोमेरिया समेत कई किस्मों के फूलों की खेती होती है. चायल, महोग, झाझा, दंघील, कुरगल, साधुपुल, वाकनाघाट, अर्की, कुनिहार, धर्मपुर, कसौली-गढ़खल व बीबीएन में भी फूलों की खेती होती है.

ये भी पढ़ें: DC कुल्लू से मिले ऑटो यूनियन के सदस्य, दिन में काम करने की उठाई मांग

सोलन: फूल उत्पादक पूरी मेहनत करके फूल उगा रहे हैं. इस मेहनत का फल उन्हें फूलों की बंपर पैदावार के रुप में मिल रहा है लेकिन यह बंपर पैदावार भी उनके किसी काम नहीं आ रही है. दरअसल कोरोना की वजह से शादी समारोह और दूसरे कार्यक्रमों पर रोक लगी हुई है. ऐसे में फूलों की बंपर पैदावार होने के बावजूद उत्पादकों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं. फूल उत्पादकों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

फूल उत्पादकों पर पड़ी कोरोना की मार

प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की मार हर वर्ग पर पड़ी है. फूल उत्पादकों को इस बार भी कोरोना वायरस की नजर लग चुकी है, लहलहाती फूलों की फसल को देखकर किसान इस बार परेशान हो चुके हैं. फसल तो इस बार अच्छी है लेकिन करोड़ों की फसल का कोई खरीदार नहीं है. प्रदेश में प्रतिवर्ष 100 से 150 करोड़ रुपए तक फूलों का कारोबार होता है जो पिछले साल नहीं हो सका था. गत वर्ष भी देश में लगे लाकडाउन के दौरान फूलों की खेती करने वालो को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा था. इस कारण कई किसान बैंक के कर्ज तले दब गए थे. इसकी भरपाई के लिए कुछ किसानों ने अपनी निजी जमीन तक बेच डाली.

शादी समारोह पर रोक से फूलों की मांग में गिरावट

चायल के महोगबाग का फूल पूरे देश में मशहूर है और यहां का अधिकतर फूल दिल्ली जाता है. यहां का फूल बड़े-बड़े कार्यक्रमों की शान बनता है. लॉकडाउन के कारण दिल्ली बंद होने और विवाह सहित अन्य समारोह न होने के कारण फूलों की डिमांड नहीं रही और फूल उत्पादकों को अपनी फसल को पशुओं को खिलाना पड़ा या फेंकने पर मजबूर होना पड़ा. दिल्ली सहित कई राज्यों में लॉकडाउन और शादी समारोह में रोक के कारण फूलों की मांग में गिरावट आई है. सोलन जिले में कई महंगे किस्म के फूलों की खेती होती है. यहां से फूल दिल्ली समेत बड़ी मंडियों में भेजे जाते हैं. इस बार फूल उत्पादकों को बेहतर कारोबार की उम्मीद थी.

12 स्टिक का गुच्छा 300 रुपये में बिकता है

शादी और अन्य कार्यक्रमों में फूलों की भारी मांग रहती है. 12 स्टिक का गुच्छा 250 से 300 रुपए में बिक जाता है. पिछले साल की तरह इस बार फसल खेतों और पॉलीहाउस में खराब होने की कगार पर है. 150-200 रुपए प्रति बंच बिकने वाला कारनेशन फूल इस बार दिल्ली में 20 से 50 रुपए तक बिक रहा था. दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद फूल उत्पादकों की चिंता और बढ़ गई है.

बैंक से लिए गए क्रॉप लोन को चुकाना मुश्किल

चायल के फूल उत्पादक रवि शर्मा और अक्षय शर्मा का कहना है कि फसलों के लिए किसानों ने बैंकों से लोन लिया है लेकिन फसल बर्बाद होने की वजह से लोन चुका नहीं पाएंगे. उन्होंने कहा कि अप्रैल से जून तक उनके फूलों की बहुत डिमांड रहती थी. इन महीनों में पूरे साल की कमाई कर सकते थे लेकिन आजकल सबकुछ बंद होने के कारण उनका व्यवसाय ठप हो चुका है.

किसान परिवारों ने बेच दी अपनी निजी जमीनें

कुनिहार क्षेत्र से महज 3 किलोमीटर दूर खरडहट्टी पंचायत के अंतर्गत आने वाले काटल गांव में करीब 3 वर्ष पूर्व एक किसान परिवार ने उद्यान विभाग से एमआईडीएच के तहत अनुदान राशि ली थी और अपनी निजी जमीन पर लगभग 4 हजार स्क्वायर मीटर पॉली हाउस में गुलाब के फूलों की खेती शुरू कर दी. गत वर्ष देश में लगे लॉकडाउन के दौरान उक्त परिवार को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था. आर्थिक नुकसान और बैंक कर्ज की भरपाई के लिए उक्त परिवार को अपनी कुछ निजी जमीन तक बेचनी पड गई थी. इस वर्ष भी कोरोना कर्फ्यू किसान परिवार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है.

बाजार में फूलों की डिमांड न के बराबार

कुनिहार निवासी फूल किसान कृष्ण दत्त ने कहा कि उनका परिवार पिछले करीब 3 वर्षों से फूलों की खेती कर रहा है. इसके लिए उद्यान विभाग से अनुदान राशि लेकर लगभग 4 हजार स्क्वायर मीटर पॉली हाउस में गुलाब के अतिरिक्त अन्य फूलों की खेती कर रखी है. पिछले वर्ष देश में जारी लॉकडाउन के दौरान फूलों का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. कोरोना महामारी के चलते अधिकतर राज्यों में कोरोना कर्फ्यू है. कहीं से फूलों की डिमांड नहीं आ रही है. फूलों की खड़ी फसल बर्बाद हो रही है. किसान परिवार के आजीविका का एक मात्र सहारा फूलों की खेती ही है. ऐसे में किसानों ने सरकार से राहत दिए जाने की गुहार लगाई है.

यहां होती है फूलों की खेती

सोलन जिले के कंडाघाट के चायल सहित कई क्षेत्रों में कारनेशन और गुलदाउदी किस्म के फूलों की फसल तैयार है. ग्लैड, लिलियम, एस्टोमेरिया और गेंदा सहित कई किस्मों के फूल भी तैयार होने वाले हैं. हिमाचल में तैयार होने वाले बेमौसमी फूलों की उत्तरी भारत में भारी मांग रहती है. प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में ट्यूलिप, लीलियम, कारनेशन, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी, गुडेशिया, गुलाब, एस्ट्रोमेरिया समेत कई किस्मों के फूलों की खेती होती है. चायल, महोग, झाझा, दंघील, कुरगल, साधुपुल, वाकनाघाट, अर्की, कुनिहार, धर्मपुर, कसौली-गढ़खल व बीबीएन में भी फूलों की खेती होती है.

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Last Updated : May 28, 2021, 11:05 PM IST
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