कसौली/सोलन: देश में आठ साल बाद छावनी परिषदों में 30 अप्रैल को एक साथ चुनाव होंगे. वहीं, एक मई को मतगणना के साथ ही देर रात तक परिणाम भी आ जाएंगे. इसके लिए रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव राकेश मित्तल ने अधिसूचना जारी कर दी है. इस अधिसूचना के मुताबिक प्रदेश की छह छावनी क्षेत्र भी शामिल हैं. जबकि देश के 57 छावनी परिषदों में चुनाव होंगे. हालांकि 10 फरवरी को ही रक्षा मंत्रालय ने बीते डेढ़ साल से नियुक्त किए मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ाया था. लेकिन अब यहां पर चुनाव की तारीख रक्षा मंत्रालय ने जारी कर दी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि अब कुछ दिनों में छावनी क्षेत्रों में चुनावी सरगर्मियां तेज हो जाएंगी.
विकास कार्यों में बड़ी बाधा: छावनी क्षेत्रों में चुनाव न होने से विकास कार्यों में बड़ी बाधा आ गई थी. हालांकि केंद्र सरकार ने छावनी क्षेत्रों में चुनाव न होने पर सदस्यों को मनोनीत किया था. लेकिन मनोनीत सदस्यों को अधिक खर्चा करने की शक्ति नहीं दी थी. जिस कारण छावनी क्षेत्रों में सड़कों समेत कई कार्य रुके हुए थे. इसी के साथ लोगों के भी निर्माण से सम्बंधित कार्य ठप पड़े हुए थे.
2015 में हुए थे चुनाव: छावनी क्षेत्रों में 11 जनवरी 2015 को चुनाव हुए थे. पांच वर्ष बाद 2020 में चुनाव होने थे, लेकिन कोरोना का हवाला देकर चुने गए सदस्यों का कार्यकाल कुछ समय के लिए बढ़ा दिया गया था. इसके बाद 10 फरवरी 2021 को बोर्ड की कार्यकारिणी भंग हो गई थी और मनोनीत सदस्यों को नियुक्ति किया गया था. छह-छह माह के लिए मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाया गया था.
प्रदेश में इन छावनियों में होने हैं चुनाव: प्रदेश में सात छावनी क्षेत्र हैं, लेकिन इनमें से छह में चुनाव होने हैं. कांगड़ा के योल कैंट के सिविल क्षेत्र को पंचायतों में मर्ज कर दिया गया है. जिसके चलते यहां चुनाव नहीं होंगे. इसके अलावा प्रदेश के सोलन जिला के कसौली, डगशाई और सुबाथू, बकलोह, डलहौजी और जतोग कैंट में चुनाव होंगे.
स्थानीय निकायों में विलय करने की भी चल रही प्रक्रिया: छावनी के सिविल क्षेत्र को रक्षा संपदा मंत्रालय की ओर से स्थानीय निकायों में विलय की तैयार भी चली हुई है. हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने रंगीन नक्शों को तैयार करने के लिए कहा था, ताकि सिविल एरिया की सही जानकारी मिल सके. लेकिन चुनाव की अधिसूचना होने के साथ ही सिविल क्षेत्र को स्थानीय निकायों में विलय की प्रक्रिया पर भी असमंजस बन गया है.
क्या कहती है एसोसिएशन: हिमाचल छावनी वेलफेर एसोसिएशन ने जारी अधिसूचना पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं. एसोसिएशन के सभी सदस्यों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय ने अचानक चुनाव करवाने का निर्णय क्यों लिया ? ये समझ से परे है. उन्होंने कहा कि एक ओर सिविल क्षेत्र को बाहर करने की कवायद चली हुई है, तो वहीं मनोनीत सदस्यों के कार्यकाल को भी बढ़ाया गया है. लेकिन इस तरह से हफ्ते भर में ही चुनाव की अधिसूचना जारी करना सही नहीं है. सदस्यों का कहना है कि इस अधिसूचना को वापस लिया जाना चाहिए.
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