सोलन: हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन शुरू हो चुका है. सेब मंडी सोलन में भी सोमवार को सेब की पहली खेप पहुंची है. सोलन मंडी में सेब का भाव अभी तक 1200 से 1500 रुपये तक मिला है. सेब की यह खेप करसोग से आई है. टाइडमैन वैरायटी के सेब की 400 पेटियां मंडी में पहुंची हैं. बता दें कि टाइडमैन सेब 70 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है. वहीं, अभी प्रदेश के निचले हिस्सों कुल्लू, चौपाल, करसोग, कुमारसैन, सिरमौर के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों का सेब मंडी में बिक्री के लिए आएगा व इसके बाद ऊंचाई वाले क्षेत्रों से सेब की फसल शुरू होगी.
'मंडी में कम जगह और वजन करने में लग रहा समय': कई सालों से सब्जी मंडी सोलन में सेब का काम कर रहे आढ़ती स्वरूप ठाकुर का कहना है कि वे वजन के हिसाब से सेब लेने को तैयार हैं, लेकिन इसमें उनको बहुत दिक्कत आ रही है. मंडी में जगह कम है. वजन करने में समय लग रहा है. गाड़ी उतारने में काफी समय लग रहा है. बागवानों को सेब पैक करने से पहले तोलना पड़ रहा है तो दूसरी ओर मंडियों में भी सेब को तोलकर लेना पड़ रहा है. आगे खरीदार भी अब तोलकर ही सेब मांग रहा है. इस तरह लंबी प्रक्रिया हो गई है.
'जब सेब सीजन चरम पर होगी तो होगी और ज्यादा दिक्कत': आढ़ती स्वरूप ठाकुर ने कहा कि जब सरकार ने वजन के हिसाब से सेब लेने की व्यवस्था कर दी है तो साइज के हिसाब से भी इसका अलग रेट तय होता, उनका कहना है कि वजन के हिसाब से सेब की व्यवस्था करने से आगे भी खरीदार इसी व्यवस्था से सेब ले रहे हैं. इससे सेब की पेटियों को बार-बार तोलना पड़ रहा है. इससे सेब के डैमेज होने की संभावना ज्यादा बढ़ गई है. स्वरूप ठाकुर ने कहा कि सरकार ने इस सिस्टम के लिए समय रहते तैयारियां नहीं की. उनका कहना है कि आने वाले समय में जब सेब सीजन चरम पर होगा तो बहुत ज्यादा दिक्कत मंडियों में आएगी.
'एक कार्टन में नहीं पैक हो पा रहे 24 किलो सेब': बता दें कि हिमाचल में पहली बार वजन के हिसाब से सेब बिक रहा है. अन्य मंडियों की तरह सोलन में भी वजन के हिसाब से अब सेब के दाम तय हो रहे हैं. वजन के हिसाब से दाम मिलना बागवानों के हित में है. अब सेब के दाम बागवानों को किलो के हिसाब से मिलने लगे हैं. जिसकी बागवान मांग भी कर रहे थे, लेकिन उनकी परेशानी अभी भी कम नहीं हुई है. बागवान बार-बार तौलकर भी कार्टन में निर्धारित 24 किलो तक सेब पैकिंग नहीं कर पा रहे.
आढ़ती और बागवान दोनों हो रहे परेशान: सेब का वजन और साइज अलग-अलग होने से एक फिक्स पैकिंग करना संभव नहीं है. इसके बाद मंडियों में अब उनको वजन के हिसाब से रेट के लिए जूझना पड़ रहा है. बहरहाल आगामी दिनों में सेब सीजन को लेकर आढ़ती और बागवानों को क्या दिक्कतें पेश आती हैं यह देखने लायक होगा और सरकार इस विषय में क्या कदम उठाती है इसका इंतजार सबको रहने वाला है.
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