सोलन: केन्द्रीय ओषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में केन्द्र के विभिन्न राज्यों के दवा उद्योगों में निर्मित 22 तरह की दवाएं खरी नहीं उतर पाई है. इन 22 उद्योगों में से प्रदेश में तीन दवा उद्योगों में निर्मित दो दवाएं और सेनिटाइजर शामिल हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीऔ) नें देश के अलग-अलग राज्यों से 843 दवाइयों के सैंपल एकत्रित किये थे, जिनमें से जांच के दौरान 22 दवायें व अन्य उत्पाद मानकों पर खरे नहीं उतर पाए, जबकि 821 सैंपल गुणवत्ता में खरे उतरे हैं.
हिमाचल के काला अंब स्थित दो दवा उद्योगों में निर्मित एंटिबायोटिक व चिकन पॉक्स की दवा सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं, जबकि उना के टाहलीवाल स्थित उद्योग में निर्मित हैंड सेनिटाइजर गुणवत्ता मानकों पर सही नहीं उतर पाए हैं. राज्य दवा नियंत्रक प्रधिकरण ने एहतियात के तौर पर दवा कंपनियों को सभी दवाओं के बैच मार्किट से हटाने के दिशा-निर्देश जारी कर दिये हैं. वहीं, इस बार जिला सोलन में फार्मा हब के नाम से जाने वाले बीबीएन (बद्दी- बरोटीवाला- नालागढ़) में एक भी उद्योग की दवा का सैंपल इस बार फेल नहीं हुआ है.
जानकारी देते हुए हिमाचल प्रदेश सहायक दवा नियंत्रक डॉक्टर कमलेश नायक ने बताया कि इस बार दवा की गुणवत्ता पर जिला सोलन के दवा उद्योगों का एक भी सैंपल फेल नहीं हुआ है, जबकि हिमाचल के अन्य दो राज्यों ऊना एव अंब में सैंपल फेल होने का मामला सामनें आया है. जिसमें सेनेटाइजर और कुछ अन्य दवाइयां शामिल हैं.
इस बार हिमाचल प्रदेश सहायक दवा नियंत्रक द्वारा दवा निर्माता उद्योगों के लिए एक विशेष अभियान चलाया गया है. जिसमें पिछले लंबे समय से कई उद्योगों के दवाइयों के सैंपल फेल हो रहे थे.
जिला सोलन में 700 के करीब दवा उद्यौग दवाइयों का निर्माण कर रहे हैं और इस बार हिमाचल से बाहरी देशों में दवाइयां एक्सपोर्ट की जा रही हैं. बाहरी देशों में दवाएं एक्सपोर्ट होने के चलते दवाइयों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए वह और उनके साथ-साथ छह ड्रग इंस्पेक्टर भी शामिल हैं.
जिनके कठिन प्रयासों के चलते आज हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योगों की निर्मित दवाइयों की गुणवत्ता जांच में खरी उतरी है. जिसके चलते बाहरी राज्यों से हिमाचल में निर्मित दवाइयों की मांग बढ़ रही है. डॉक्टर कमलेश नायक नें कहा कि भविष्य में भी हिमाचल प्रदेश सहायक दवा नियंत्रक अपना यह अभियान जारी रखेगा, जिससे प्रदेश में बनी दवाइयों की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा.
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