शिलाई/सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में होने वाले पंचायतीराज चुनाव में मृतक भी मतदान करेंगे. हिमाचल में 10% मृतक पंचायती राज चुनावों के लिए मतदान करेंगे. जबकि जीवित नौजवान मतदान नहीं कर पाएंगे. जी, हां चौंकिए मत ये हालात हैं हिमाचल में नौकरशाह की मनमर्जी के जिसका खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है.
दरासल, इस बार मतदाता सूची में बहुत गड़बड़ी हुई है. एक ही परिवार के सदस्यों को अलग-अलग वार्डों में स्थानांतरित कर दिया गया है. नए वोटरों को सूची में जगह नही नहीं मिली है और जिनकी वर्षों पूर्व जिनकी मृत्यु हुई है वह इस सूची में शामिल किये गए हैं.
निर्विरोध चुने प्रतिनिधियों के नाम वोटर सूची से गायब
मतदाता सूची में भारी लापरवाही के चलते निर्विरोध चुने प्रतिनिधियों के नाम भी वोटर सूची से गायब हैं. चुनाव लड़ना तो दूर की बात इन्हें मतदान से भी वंचित रहना पड़ रहा है. जिससे युवाओं व आम लोगों में सरकारी बाबूओं के लिए भारी रोष देखने को मिल रहा है. इसका जिम्मेदार कौन है यह प्रश्न सरकार से किया जा रहा है.
अधिकारियों से इस बारे पूछा गया तो वह कर्मचारियों का बचाव करते नजर आते हैं. उल्टा जनता को इसका दोषी करार देते हुए उपदेश दिया जाता है कि निर्धारित समय पर अपना नाम मतदाता सूची में क्यों नही देखा.
मतदान कर चुके मतदाता भी सूची से गायब
पंचायतीराज चुनाव में तो एक-एक वोट का हिसाब रहता है. कई जगहों पर जीत-हार भी एक वोट से होती है. यहां 2017 में जिन्होंने वोट दिया, 2021 पंचायती चुनावों में उनका नाम मतदाता सूची से गायब हैं. जबकी वर्षों पहले से मृतक व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल है. ये डाटा भी न जाने कहां से इकट्ठा किया जा रहा है ओर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करके सरकार को भी बेवकूफ बनाया जा रहा है.
लोकतंत्र के लिए कैंसर के समान अधिकारी
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे अधिकारी लोकतंत्र के रक्षक नहीं हो सकते बल्की ऐसे अधिकारी व कर्मचारी लोकतंत्र के लिए कैंसर के समान हैं. एसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि चुनाव कितने लोकतांत्रिक हो सकते हैं.