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बचपन के दिनों की याद दिला देगा बच्चों का यह प्रोजेक्ट, पारंपरिक खेलों को पुर्नजीवित करने का प्रयास

मोगीनंद सरकारी स्कूल ने एक प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसमें प्राचीन खेलों जैसे कंचे खेलना, गिट्टे, पिठू, स्टेपू आदि खेलों के बारे बताया गया है. इसके लिए स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री की देख-रेख में प्राचीन खेलों के बारे में बताया जा रहा है, ताकि ज्यादा बच्चे मैदानों में निकलें और वह पारंपरिक खेल खेलें.

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल मोगीनंद
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Published : Aug 31, 2019, 11:49 PM IST

नाहन: जिला सिरमौर में औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल मोगीनंद के बच्चों ने एक खेल प्रोजेक्ट तैयार किया है. इस स्कूल के बच्चे विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री के नेतृत्व में पुराने खेलों को पुर्नजीवित करने का प्रयास कर रहे हैं. खास बात यह है कि स्कूल परिसर में बच्चे पुराने खेल ही खेल रहे .

मोगीनंद सरकारी स्कूल ने एक प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसमें प्राचीन खेलों जैसे कंचे खेलना, गिट्टे, पिठू, स्टेपू आदि खेलों के बारे बताया गया है. इसके लिए स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री की देख-रेख में प्राचीन खेलों के बारे में बताया जा रहा है, ताकि ज्यादा बच्चे मैदानों में निकलें और वह पारंपरिक खेल खेलें.

खेल हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे हैं. कबड्डी, खो-खो जैसे खेल काफी प्रचलित रहे हैं, जिनसे न केवल बच्चों का शारीरिक विकास होता है बल्कि मानसिक विकास भी होता है. आज बच्चे ज्यादातर वीडियो और मोबाइल पर गेम्स खेलते नजर आते हैं. साथ ही पब्जी एक लोकप्रिय खेल बनता जा रहा है, जोकि बच्चों के लिए खतरनाक भी साबित होता है.

विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री ने बताया कि हमारे पारंपरिक खेल शारीरिक और मानसिक विकास के मद्देनजर बनाए गए थे. अब प्रयास है कि बच्चे मोबाइल से ध्यान हटाकर इन खेलों में रूचि लें. इसलिए यह प्रयास एक प्रोजेक्ट के माध्यम से किया जा रहा है.

वहीं स्कूली छात्राओं ने बताया कि पारंपरिक खेलों को खेलकर बहुत अच्छा लग रहा है. वहीं दूसरी छात्रा ने कहा कि पुराने खेल बहुत अच्छे थे और इसे पूरा विकास होता था. कुल मिलाकर आज के दौर में बच्चे अपने पारंपरिक खेलों को भूल चुके हैं, वहीं मोगीनंद स्कूल के बच्चें इन्हें पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे है.

वीडियो

ये भी पढ़ें: जानें अपराधियों पर कैसे शिकंजा कसेगी पुलिस, एसपी सिरमौर ने बनाई ये खास योजना

नाहन: जिला सिरमौर में औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल मोगीनंद के बच्चों ने एक खेल प्रोजेक्ट तैयार किया है. इस स्कूल के बच्चे विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री के नेतृत्व में पुराने खेलों को पुर्नजीवित करने का प्रयास कर रहे हैं. खास बात यह है कि स्कूल परिसर में बच्चे पुराने खेल ही खेल रहे .

मोगीनंद सरकारी स्कूल ने एक प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसमें प्राचीन खेलों जैसे कंचे खेलना, गिट्टे, पिठू, स्टेपू आदि खेलों के बारे बताया गया है. इसके लिए स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री की देख-रेख में प्राचीन खेलों के बारे में बताया जा रहा है, ताकि ज्यादा बच्चे मैदानों में निकलें और वह पारंपरिक खेल खेलें.

खेल हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे हैं. कबड्डी, खो-खो जैसे खेल काफी प्रचलित रहे हैं, जिनसे न केवल बच्चों का शारीरिक विकास होता है बल्कि मानसिक विकास भी होता है. आज बच्चे ज्यादातर वीडियो और मोबाइल पर गेम्स खेलते नजर आते हैं. साथ ही पब्जी एक लोकप्रिय खेल बनता जा रहा है, जोकि बच्चों के लिए खतरनाक भी साबित होता है.

विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री ने बताया कि हमारे पारंपरिक खेल शारीरिक और मानसिक विकास के मद्देनजर बनाए गए थे. अब प्रयास है कि बच्चे मोबाइल से ध्यान हटाकर इन खेलों में रूचि लें. इसलिए यह प्रयास एक प्रोजेक्ट के माध्यम से किया जा रहा है.

वहीं स्कूली छात्राओं ने बताया कि पारंपरिक खेलों को खेलकर बहुत अच्छा लग रहा है. वहीं दूसरी छात्रा ने कहा कि पुराने खेल बहुत अच्छे थे और इसे पूरा विकास होता था. कुल मिलाकर आज के दौर में बच्चे अपने पारंपरिक खेलों को भूल चुके हैं, वहीं मोगीनंद स्कूल के बच्चें इन्हें पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे है.

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Intro:-पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए मोगीनंद स्कूल ने बनाया एक खेल प्रोजेक्ट
-कबड्डी, खोखो, गुल्ली डंडा, कंचे जैसे खेलों को प्राथमिकता दें तो होगा संपूर्ण विकास
-स्कूल में बच्चें भी खेल रहे यह ही पुराने खेल
नाहन। औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल मोगीनंद का बच्चों द्वारा तैयार किया गया खेल प्रोजेक्ट आपको भी बचपन के दिनों का याद दिला देगा। यहां के बच्चे विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री के नेतृत्व में पुराने खेलों को पुर्नजीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। खास बात यह है कि स्कूल परिसर में भी बच्चे भी पुराने खेल ही खेल रहे हैं।

Body:दरअसल खेल हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहे है। कबड्डी, खो खो जैसे खेल काफी प्रचलित रहे हैं, जिनसे न केवल बच्चों का शारीरिक विकास होता था अपितु मानसिक विकास भी होता था। आधुनिक समय में बच्चे अधिकतर वीडियो व मोबाइल पर गेम्स खेलते नजर आते हैं और पबजी एक लोकप्रिय खेल बनता जा रहा है, जोकि बच्चों के लिए खतरनाक भी साबित होता है। लिहाजा बच्चों को खुले में खेलने के लिए प्रेरित करने के उददेश्य से सिरमौर जिला के मोगीनंद सरकारी स्कूल ने एक प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसमें प्राचीन खेलों जैसे कंचे खेलना, गिटटे, पिठू, स्टेपू आदि खेलने बारे बताया गया है। इसके लिए स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री की देखरेख में इन प्राचीन खेलों बारे बताया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक बच्चे मैदानों में निकलें और वह पारंपरिक खेल खेलें।
उधर विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री ने बताया कि हमारे पारंपरिक खेल शारीरिक एवं मानसिक सुदृढ़ता के मद्देनजर बनाए गए थे और अब प्रयास है कि बच्चे मोबाइल से ध्यान हटाकर इन खेलों में रूचि लें। इसी के चलते यह प्रयास एक प्रोजेक्ट के माध्यम से किया जा रहा है।
बाइट 1: संजीव अत्री, विज्ञान प्रवक्ता, मोगीनंद स्कूल
वहीं स्कूली छात्राओं ने बताया कि वो लोग इन पारंपरिक खेलों को खेल रहे हैं और बहुत आनंद मिल रहा है। वहीं अन्य छात्रा के अनुसार पुराने खेल बहुत अच्छे थे और इसे संपूर्ण विकास होता था। अब उन्हीं को लेकर वह लोग प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं।
बाइट 2 व 3: स्कूली छात्रा, मोगीनंद स्कूल
Conclusion:कुल मिलाकर आज के दौर में जहां बच्चे अपने पारंपरिक खेलों को भूल चुके हैं, वहीं मोगीनंद स्कूल के बच्चों द्वारा इन्हें पुर्नजीवित करने के प्रयास सराहनीय कदम है।
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