नाहन: कहा जाता है कि यदि एकता व उचित उद्देश्य की पूर्ति के लिए मिलकर कोई प्रयास किया जाए, तो उसके परिणाम बेहतर ही निकलकर सामने आते हैं. ऐसा ही कुछ नाहन विकास खंड की आम्बवाला-सैनवाला पंचायत के युवाओं ने भी कर दिखाया है. दरअसल यह पंचायत चंडीगढ़-कालाअम्ब-पांवटा साहिब-देहरादून नेशनल हाइवे-07 से सटी है. जिला मुख्यालय नाहन और औद्योगिक क्षेत्र कालाअम्ब के बीच पंचायत स्थित है. यहां पर युवाओं को खेलने, प्रतियोगी परीक्षाओं की भर्ती इत्यादि की तैयारी को लेकर कोई मैदान नहीं था. सरकारी स्कूल में एक मैदान है, लेकिन वह भी काफी छोटा है. इसके चलते यहां के युवाओं को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.
वहीं, युवा वर्ग को नशे से दूर रखने के लक्ष्य को लेकर भी स्थानीय ग्रामीणों ने गांव में एक खेल का मैदान बनाने का निर्णय लिया, लेकिन ऐसा कोई स्थान नहीं मिल रहा था. फिर सभी ने सैनवाला गांव के साथ लगते हाइवे पर स्थित मंदिर के नीचे वाले हिस्से में झाड़ियों से भरे स्थान को देखा और वहीं पर खेल मैदान बनाने का फैसला किया गया. चूंकि यह जंगल वाला क्षेत्र है. ऐसे में निर्णय लिया गया कि सभी युवा इस कार्य को श्रमदान से पूरा करेंगे. पिछले करीब 6 महीनों से लगातार युवाओं व ग्रामीणों ने सामूहिक श्रमदान किया और आज यह बेहतर खेल मैदान बनकर तैयार हो रहा है. अब इस मैदान में खेलों के साथ-साथ युवा भर्ती इत्यादि की तैयारी करते भी देखे जा सकते हैं. सभी के सामूहिक श्रमदान से आज यह मैदान खेलने योग्य बन चुका है. हालांकि मैदान को और बेहतर बनाने के लिए युवा अब भी सुधार कार्यों में जुटे हुए है.
'युवाओं को खेलों से जोड़ने का लिया फैसला': स्थानीय ग्रामीण सुरेंद्र मोहन ने बताया कि गांव में युवाओं को खेलों से जोड़ने और नशे से दूर रखने के उद्देश्य के साथ युवाओं ने श्रमदान किया. ग्रामीणों ने पूरा सहयोग दिया और आज यह मैदान बनकर तैयार हो गया है. हरियाणा के साथ औद्योगिक क्षेत्र से सटे होने के कारण यहां नशा फैलने की संभावना थी. ऐसे में सभी ने युवाओं को खेलों से जोड़ने का फैसला किया और आज सब ठीक हो रहा है.
'मैदान न होने से आ रही थी काफी परेशानी': स्थानीय युवा बललिंद्र कुमार व शिवम गुप्ता ने बताया कि पंचायत में कोई भी खेल मैदान न होने के कारण बड़ी दिक्कत होती थी. सेना, पुलिस भर्ती इत्यादि की तैयारियों में मुश्किल आती थी. मजबूरन युवाओं को हाइवे के साथ ही दौड़ लगानी पड़ती थी. साथ ही क्रिकेट या अन्य किसी भी खेल के लिए भी मैदान नहीं था. इसलिए सभी ने श्रमदान से झाड़ीनुमा स्थान को साफ कर यहां से मिट्टी इत्यादि को निकाल स्थान को समतल करते हुए खेल का मैदान बनाया. अभी भी वह इसे और बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है.
'सभी के परिश्रम का फल': आम्बवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने बताया कि युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर इस कंटीले झाड़ियों से भरे स्थान पर सभी ने परिश्रम कर श्रमदान किया और आज यह सुंदर मैदान बन गया है, जो आने वाले दिनों में स्कूली बच्चों के भी काम आएगा. इसका लक्ष्य सिर्फ युवाओं को नशे की प्रवृति से दूर रखना और खेलों से जोड़ना है. कुल मिलाकर आम्बवाला-सैनवाला पंचायत ने श्रमदान से विकास और सरकार पर निर्भरता को दूर करने का एक अच्छा उदाहरण पेश किया है, जो अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहा है.
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