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स्ट्रॉबेरी की खेती ने किसानों की तोड़ी कमर, लाखों का हो रहा नुकसान - कोरोना वायरस

पांवटा साहिब में खराब मौसम एक बार फिर किसानों की किस्मत पर कहर बन कर बरसा है. बारिश की वजह से पांवटा में स्ट्रॉबेरी की फसल को भारी नुकसान हुआ है.

rain damaged  Strawberry crop in Paonta Sahib
स्ट्रॉबेरी की खेती ने किसानों की तोड़ी कमर
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Published : May 23, 2020, 6:45 PM IST

पावंटा साहिब: विश्व भर में फैले कोविड-19 ने पहले जिला सिरमौर के पांवटा में स्ट्रॉबेरी की मिठास को फीका कर दिया और अब खराब मौसम की मार ने स्ट्रॉबेरी की फसल को तबाह कर दिया. कोरोना वायरस और भारी बारिश किसानों की किस्मत पर कहर बन कर टूटी है.

ईटीवी भारत ने बारिश से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए पांवटा साहिब के एक गांवा का रुख कर पीड़ित किसानों से बातचीत की. इस दौरान किसानों ने कहा कि पांवटा साहिब में भारी मात्रा में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है. यही उनकी आय का मुख्य साधन भी है, लेकिन फसल खराब होने से अब उन्हे भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

किसानों का कहना है कि स्ट्रॉबेरी की खेती मुख्य तौर पर दिसंबर से शुरू होकर मई तक चलती है. स्ट्रॉबेरी की फसलों को बाजार में लाने के लिए सबसे सही समय अप्रैल और मई है. किसानों ने बताया कि स्ट्रॉबेरी से हर साल 5 से 6 लाख रुपये तक की कमाई होती थी, लेकिन इस बार सिर्फ तीन हजार भी इकट्ठे नहीं हो पाए।

बता दें कि NH पांवटा-चंडीगढ़ किनारे दर्जनों लोग स्ट्रॉबेरी बेचकर लाखों का मुनाफा कमाते हैं. सैकड़ों की रोजी स्ट्रॉबेरी की पैदावार पर निर्भर करती है. ऐसे में बारिश और लॉकडाउन ने गरीब किसानों से उनकी आय का एक मात्र जरिया भी छिन लिया है.

पांवटा से देहरादून के किनारे दर्जनों लोग स्ट्रॉबेरी बेचकर लाखों का मुनाफा कमाते हैं लॉक डाउन से सभी स्ट्रॉबेरी पैदावार की रोजी-रोटी का जरिया खत्म हो गया.

पावंटा साहिब: विश्व भर में फैले कोविड-19 ने पहले जिला सिरमौर के पांवटा में स्ट्रॉबेरी की मिठास को फीका कर दिया और अब खराब मौसम की मार ने स्ट्रॉबेरी की फसल को तबाह कर दिया. कोरोना वायरस और भारी बारिश किसानों की किस्मत पर कहर बन कर टूटी है.

ईटीवी भारत ने बारिश से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए पांवटा साहिब के एक गांवा का रुख कर पीड़ित किसानों से बातचीत की. इस दौरान किसानों ने कहा कि पांवटा साहिब में भारी मात्रा में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है. यही उनकी आय का मुख्य साधन भी है, लेकिन फसल खराब होने से अब उन्हे भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

किसानों का कहना है कि स्ट्रॉबेरी की खेती मुख्य तौर पर दिसंबर से शुरू होकर मई तक चलती है. स्ट्रॉबेरी की फसलों को बाजार में लाने के लिए सबसे सही समय अप्रैल और मई है. किसानों ने बताया कि स्ट्रॉबेरी से हर साल 5 से 6 लाख रुपये तक की कमाई होती थी, लेकिन इस बार सिर्फ तीन हजार भी इकट्ठे नहीं हो पाए।

बता दें कि NH पांवटा-चंडीगढ़ किनारे दर्जनों लोग स्ट्रॉबेरी बेचकर लाखों का मुनाफा कमाते हैं. सैकड़ों की रोजी स्ट्रॉबेरी की पैदावार पर निर्भर करती है. ऐसे में बारिश और लॉकडाउन ने गरीब किसानों से उनकी आय का एक मात्र जरिया भी छिन लिया है.

पांवटा से देहरादून के किनारे दर्जनों लोग स्ट्रॉबेरी बेचकर लाखों का मुनाफा कमाते हैं लॉक डाउन से सभी स्ट्रॉबेरी पैदावार की रोजी-रोटी का जरिया खत्म हो गया.

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