शिलाई/नाहन: बेजुबान पशु कोई चीज नहीं, जीवित प्राणी हैं. हमारी करूणा, सम्मान, दोस्ती और समर्थन के योग्य हैं. सड़क किनारे घायल अवस्था में पड़े बेजुबान लंगूर को एक नया जीवन देकर शिलाई के युवक ने इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है. साथ ही मानवता की मिसाल भी पेश की है.
मानवता की मिसाल
उपमंडल शिलाई के गंगटोली गांव के रहने वाले कपिल देव पशु पालन विभाग में बतौर फार्मासिस्ट अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कुछ दिनों पहले कपिल देव को सड़क किनारे 2 लंगूर पड़े दिखाई दिए. नजदीक जाकर जब देखा तो एक मादा लंगूर और उसका बच्चा गंभीर घायल अवस्था में पड़े थे. मादा लंगूर की सांसें चल रही थी, उसके बच्चे की मौत हो चुकी थी. कपिल ने बिना देर किए सड़क किनारे ही मादा लंगूर को प्राथमिक उपचार देकर अपने घर पर ले आए, जहां उसका इलाज शुरू किया.
घायल लंगूर की हालत में सुधार
हादसे के बाद से लगातार 3-4 दिनों तक अचेत अवस्था में पड़े लंगूर की हालत में अब काफी सुधार देखने को मिला है. मादा लंगूर और उसके मृत बच्चे के सिर पर लगी गहरी चोट के निशान से इस बात का अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है कि उनकी ये हालात किसी अज्ञात वाहन की टक्कर से हुई है. लिहाजा शिलाई के कपिल ने एक बेजुबान को जीवनदान देकर इंसानियत के नाम पर एक बेहतरीन मिसाल पेश है.
पशु-पक्षियों की सहायता करना हमारा फर्ज
पशुपालन विभाग में तैनात फार्मासिस्ट कपिल देव ने कहा कि कहीं पर भी कोई पशु, पक्षी या जानवर घायल अवस्था में दिखे, तो उसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि इंसानियत के नाते बेजुबान पशु-पक्षियों की सहायता करना हम सभी का फर्ज बनता है. 5 दिन पहले एमरजेंसी केस के चलते वह फिल्ड में जा रहे थे. इसी बीच घायल अवस्था में 2 लंगूर क्रिटिकल अवस्था में पड़े थे, जिनमें से करीब एक महीने का छोटा बच्चा दम तोड़ चुका था. जबकि मादा लंगूर काफी गंभीर अवस्था में थी, जिसे वह अपने घर लाए. उपचार देने के 3 दिन बाद होश आया, जिसके स्वास्थ्य अब काफी सुधार है.
समाज के उस वर्ग को भी कपिल जैसे युवकों से सबक लेने की जरूरत है, जो वाहन चलाते समय ये भूल जाते हैं कि उनकी गाड़ी के लिए बनाई गई सड़क पर पहला हक बेजुबान जानवरों का है, जिन्हें जंगल में घर और सड़कें बनाकर हम इंसानों ने बेघर कर दिया है.
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