शिलाई: हिमाचल में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर 2018-19 में एक सर्वे किया गया था. इसके तहत प्रदेश में कच्चे मकानों में रह रहे लोगों को पक्का मकान दिया जाना तय किया गया था. वहीं, सरकार ने सर्वे करने के बाद हर ब्लॉक में जियो टैगिंग भी करवा ली है. इसके बावजूद भी गरीब लोगों को पक्का मकान नहीं दिया गया है.
जिला सिरमौर के गिरी पार क्षेत्र के उपमंडल शिलाई के तहत शिलाई पंचायत में कई गरीब अपने कच्चे मकान में रह रहे हैं. इन लोगों को हमेशा ही अपने मकानों के गिरने का डर लगा रहता है. ऐसे में ये लोग सरकार से पक्का मकान मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
कुछ परिवारों को बीपीएल में शामिल हुए 10 साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं. इन 10 सालों में दो बार पंचायत प्रधान बन गए हैं और तीसरी बार चुनाव आने वाले हैं. इसके बावजूद गरीबों को रहने के लिए पक्का मकान नहीं मिल पाया है.
इसके अलावा प्रधान और उनके सचिव के मनचाहे लोगों के चयन की बातें भी सामने आती रहती हैं. वहीं, कच्चे मकान में रह रहे वीरेंद्र सिंह को प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल ही नहीं किया गया है. उनके घर की छत बारिश होने पर टपकने लगती है. ऐसे में बारिश के दौरान चार सदस्यों वाला ये परिवार एक कोने में रात बिताने को मजबूर है.
2018 19 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ ग्रामीणों का चयन हुआ है, लेकिन इन लोगों को भी अभी तक पक्का मकान नहीं मिल पाया है. आज भी ये लोग टूटे फूटे कच्चे मकान में गुजारा कर रहे हैं और सरकार की ओर से इन लोगों को कोई मदद नहीं मिल पाई है.
वहीं, शिलाई ग्राम पंचायत के प्रधान देवेंद्र धीमान का कहना है कि अभी पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 81 लोगों का चयन हुआ है. इसमें छूट गए लोगों का आने वाली ग्राम सभा में उनका अनुमोदन किया जाएगा और इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी.
विकास खंड अधिकारी शिलाई कंवर तन्मय ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को मकान देने के बारे में सरकार ही तय करेगी. उन्होंने कहा कि 2018-19 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सर्वे किया गया था. इसके बाद कच्चे मकानों की जियो टैगिंग की जा चुकी है.
सरकार गरीबों को पक्का मकान देने के बड़े बड़े वायदे करती है. वहीं, जब बात जमीनी स्तर पर काम करने की आती है, तो देखने में कुछ और ही नजर आता है. इसी का नतीजा है कि लोगों को आज टूटे फूटे कच्चे मकानों में रहने को मजबूर है.
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