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गिरिपार क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया खोड़ा त्यौहार, खूब चला नाटियों का दौर - पांवटा के गिरिपार क्षेत्र में खोड़ा त्यौहार

पांवटा के गिरिपार क्षेत्र में खोड़ा त्यौहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान भारी तादाद में उत्तराखंड के जौनसार से भी लोगों ने शिरकत की.

Khoda festival celebrated in Giripar region sirmpur
गिरिपार क्षेत्र में धूमधाम से मनाया खोड़ा त्यौहार
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Published : Jan 22, 2020, 1:19 PM IST

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के मुल्ला पंचायत में मंगलवार को खोड़ा उत्सव मनाया गया. इस दौरान सैकड़ों की तादाद में ग्रामीणों ने वाद्य यंत्रों की धुनों पर लोक नृत्य किया.

बता दें कि इस आयोजन को देखने के लिए शिलाई क्षेत्र के ही नहीं बल्कि जौनसार और मैदानी इलाकों के लोग भी पहुंचते हैं. इस आयोजन में धोड़ा, रासे, पुरवा,पहाड़ी नाटीयों का आयोजन किया जाता है ताकि आसपास के इलाकों के लोगों में भाईचारा बना रहे.

माघी त्योहार के 10 दिन बाद मुल्ला पंचायत में खोड़ा उत्सव का आयोजन होता है. गांव के लोग बताते हैं कि खोड़ा उत्सव के बाद गर्मियों के मौसम का आगाज हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि खोड़ा आयोजन के बाद बर्फ पिघलनी शुरू हो जाती है और ठंड में भी गिरावट आनी शुरू हो जाती है. जिसके उपलक्ष्य में यह आयोजन किया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

इस आयोजन की खास बात यह भी है कि पहाड़ों की सारी संस्कृतियों को इस आयोजन मे दर्शाया जाता है. पहाड़ी नाटी और पहाड़ी संस्कृति को ताजा किया जाता है.

ये भी पढ़ें: बर्फबारी के बाद किन्नौर में 80 से ज्यादा सड़कें बंद, ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों की आवाजाही ठप्प

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के मुल्ला पंचायत में मंगलवार को खोड़ा उत्सव मनाया गया. इस दौरान सैकड़ों की तादाद में ग्रामीणों ने वाद्य यंत्रों की धुनों पर लोक नृत्य किया.

बता दें कि इस आयोजन को देखने के लिए शिलाई क्षेत्र के ही नहीं बल्कि जौनसार और मैदानी इलाकों के लोग भी पहुंचते हैं. इस आयोजन में धोड़ा, रासे, पुरवा,पहाड़ी नाटीयों का आयोजन किया जाता है ताकि आसपास के इलाकों के लोगों में भाईचारा बना रहे.

माघी त्योहार के 10 दिन बाद मुल्ला पंचायत में खोड़ा उत्सव का आयोजन होता है. गांव के लोग बताते हैं कि खोड़ा उत्सव के बाद गर्मियों के मौसम का आगाज हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि खोड़ा आयोजन के बाद बर्फ पिघलनी शुरू हो जाती है और ठंड में भी गिरावट आनी शुरू हो जाती है. जिसके उपलक्ष्य में यह आयोजन किया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

इस आयोजन की खास बात यह भी है कि पहाड़ों की सारी संस्कृतियों को इस आयोजन मे दर्शाया जाता है. पहाड़ी नाटी और पहाड़ी संस्कृति को ताजा किया जाता है.

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Intro:पहाड़ी इलाकों में धूमधाम से मनाया खोड़ा त्यौहार
उत्तराखंड के जौनसार से भी पहुंचे लोग
लुप्त हो रहे पहाड़ी कल्चर को किया ताजा
कई लोगों ने लड़ाई नाटी ओर रासे।Body:
माघी के त्यौहार के बाद खोडा उत्सव भी जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के मुल्ला पंचायत में मंगलवार शाम से रात तक बड़ा धूमधाम से मनाया गया इस आयोजन को देखने के लिए शिलाई क्षेत्र के नहीं बल्कि जौनसार व मैदानी इलाकों के लोग पहुंचते हैं इन आयोजनों में धोड़ा, रासे, पुरवा,पहाड़ी नाटीयो का आयोजन किया जाता है ताकि आसपास के इलाकों के लोग इकट्ठे हो सभी से मिलजुल कर रह कर भाईचारा बना रहे

मनाया क्यों जाता है

माघी तयोहार के 10 दिन बाद पहाड़ी क्षेत्र खोडा उत्सव का आयोजन होता है गांव के लोग बताते हैं कि खोडा उत्सव के बाद गर्मियों का मौसम आगाज हो जाता है जिन इलाकों में बर्फवारी ज्यादा पढ़ी होती है उन इलाकों में ग्रामीण बकरे काटते हैं ओर 11 जनवरी को माघी त्यौहार मनाते हैं ताकि ठंड से काबू पाया जा सके खोडा आयोजन के बाद बर्फ पिघलना शुरू हो जाता है और ठंड में भी दिन-प्रतिदिन में गिरावट आनी शुरू हो जाती है इसीलिए आयोजन मनाया जाता है इस आयोजन की खास बात यह भी है कि पहाड़ों की सारी संस्कृतियों को इस आयोजन मे दर्शाया जाता है पहाड़ी नाटी व पहाड़ी कल्चर को ताजा किया जाता है आयोजन में दूर-दराज इलाकों के रिश्तेदारों को बुलाकर नाच गाना रासे थोड़ा आदि पहाड़ी क्लचरो को ताजा किया जाता है।Conclusion:गांव के युवाओं कपिल ने बताया कि जो लोग गाँव से प्लान हो रहे उन्हें रोकने के लिये गांव के युवाओं ने एकजुट होकर अपने पुराने संस्कृतियों को जिंदा रखने के लिए गाँव मे आयोजन कर रहे हैं लुप्त हो रही पुरानी पहाड़ी कल्चर को ताजा करें
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