शिलाई: पंचायत प्रधानों की संपत्ति पांच साल में करोड़ों रुपये कैसे हो जाती है, इसका तरीका खण्ड की पंचायत झकाण्ड़ो में देखने को मिल है. आरोप है कि पंचायत प्रधान ने तकनीकी सहायत व कनिष्ठ अभियंता की मिलीभगत से बीते सालों में करोड़ों रुपये के विकास्तमक कार्य स्वीकृत करवाए हैं, मौका पर मात्र औपचारिकताएं पूरी की गई हैं.
बता दें कि पंचायत के अंदर सामूहिक पैयजल टैंक, छतजल संग्रह टैंक रामूराम, पेयजल टैंक, छिबराण बैडा, गली, सुरक्षा दीवार, गली प्लग, केंचुआ पिट, भूमि सुधार के अतिरिक्त दर्जनों स्कीमें ऐसी हैं जो सिर्फ फाइलों के पेज में ही हैं. आरोप है कि इन स्कीमों में सरकारी धन का गबन हुआ है. दर्जनों स्कीमें स्वीकृत स्कीमों का काम ही नहीं हुआ है. कई स्कीमें एसी हैं जो बनी तो हैं, लेकिन इसे बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है.
ग्रामीणों का कहना है कि वह मामले को उठाते हैं तो प्रतिनिधियों, सत्ताधारी नेताओं सहित क्षेत्र में तेनात कर्मचारियों का दबाव उनपर आ जाता है. कर्मचारियों, अधिकारियों की मिली भगत होती है. सबकी अलग-2 कमीशन निर्धारित है. स्वीकृत हुई स्कीम में सीधा 30 प्रतिशत जीआरएस से लेकर सहायक अभियंता तक जाता है. अगर किसी स्कीम पर शिकायत की जाए तो अधिकारी उन्हीं लोगों को जांच करने भेजते हैं, जो भ्रष्टाचार में संलिप्त होते हैं.
बता दें कि पंचायत के अंदर बड़ीधार ऐसा गांव हैं, जहां 300 लोगों के लिए 250 मीटर के दायरे मे तीन पेयजल टैंक बनाकर लाखों रुपये डकारे गए हैं, जबकि छतजल संग्रह टैंक रामूराम ऐसी स्कीम हैं, जो बनी ही नहीं है. मामले को लेकर पंचायत प्रधान उमा देवी ने बताया कि उनके कार्यकाल में सभी काम अच्छे हुए हैं. उन्होने पूरी पंचायत को एक समान देखा है. इसलिए अधिकारी पूरी पंचायत में जांच कर सकते हैं. यह उनके खिलाफ साजिश है, जिसका कोई आधार नहीं है.
मामले की पुष्टि करते हुए विकास खण्ड अधिकारी कवंर तमन्य ने बताया कि झकाण्ड़ो पंचायत में विकास्तमक कार्यों में सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला संज्ञान में आया है. जिस पर उचित कार्रवाई की जाएगी.