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ऐसा था स्व. श्यामा शर्मा का राजनितिक सफर, PM मोदी के जन्मदिन पर शेयर की थी ये तस्वीरें

वर्तमान में भले ही श्यामा शर्मा लंबे समय से राजनीति से काफी दूर थीं, लेकिन हिमाचल की राजनीति में आज भी वह बड़ा नाम थीं. राजनीति में उन्होंने एक स्वाभिमानी नेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाई थी. श्यामा शर्मा ने सोमवार को पंचकुला के एक निजी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली.

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Published : Sep 21, 2020, 6:40 PM IST

Updated : Sep 26, 2020, 5:52 PM IST

Heavenly Shyama Sharma's political journey
फोटो.

नाहन: भले ही पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा आज दुनिया को अलविदा कह गई, लेकिन उनका राजनीति के क्षेत्र में वह एक तेजतर्रारी व स्वाभिमान नेत्री के रूप में अपनी पहचान रखती थी. वर्तमान में भले ही श्यामा शर्मा लंबे समय से राजनीति से काफी दूर थीं, लेकिन हिमाचल की राजनीति में आज भी वह बड़ा नाम थीं. राजनीति में उन्होंने एक स्वाभिमानी नेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाई थी. श्यामा शर्मा ने सोमवार को पंचकुला के एक निजी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली.

बता दें कि 4 दिन पहले पूर्व मंत्री श्यामा श्यामा ने अपने फेसबुक पेज पर अपडेट करते हुए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दी थी, वहीं पीएम मोदी के साथ अपनी 90 के दशक पुरानी तस्वीरों को भी सांझा किया था. ये तस्वीरें उस वक्त की थी, जब नरेंद्र मोदी हिमाचल के प्रभारी हुआ करते थे और वह नाहन पहुंचे थे. वर्ष 1948 में नाहन विधानसभा के अंतिम गांव सरोगा टिक्कर में जन्मी श्यामा शर्मा तीन बार विधायक रही.

इसके अलावा वह एक बार राज्य मंत्री व एक बार राज्य प्लानिंग बोर्ड की चेयरमैन भी रहीं. 1977 में वह पहली बार विधायक बनी. इसके बाद वह मंत्री पद पर भी आसीन रहीं. साल 1982 में वह दूसरी बार विधायक बनी. जबकि तीसरी बार 1990 में दोबारा विधायक बनीं.

नाहन की पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने 1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे पांवटा साहिब के समीप खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था. इस यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट में मजदूरों का शोषण होता था. देश के विभिन्न राज्यों से मजदूरों को 200 से 300 रुपए देकर लाया जाता था और छह महीने तक बिना वेतन के काम करवाया जाता था.

छह माह काम के बदले मजदूरों को कोई धनराशि नहीं दी जाती थी, जिस पर 1975 में 22 वर्षीय कुमारी श्यामा शर्मा ने मजदूरों के शोषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा. प्रदेश सरकार ने आंदोलन को कुचलने का पूरा प्रयास किया.श्यामा शर्मा के नेतृत्व में मजदूरों ने जमकर आंदोलन किया.

1975 में जब सिरमौर पुलिस श्यामा शर्मा को पकडने खोदरी माजरी पंहुची, तो उन्होंने उफनती हुई टोंस नदी को तैर कर पार किया. वह उत्तर प्रदेश के जौनसार बाबर जा पहुंची. जौनसार बाबर क्षेत्र अब उत्तराखंड राज्य में आता है. फिर एक वर्ष तक श्यामा शर्मा ने भूमिगत होकर जौनसार बाबर, दिल्ली व इलाहाबाद से मजदूरों के शोषण के प्रति आंदोलन को चलाए रखा.

खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट में आपातकाल के दौरान जब आंदोलन चल रहा था, तो सिरमौर पुलिस प्रशासन ने 600 से अधिक मजदूरों को अस्थायी जेल बनाकर बंद कर दिया था. जेल में कैदियों से बहुत बुरा व्यवहार होता था. उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती थी.

प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बन गई श्यामा शर्मा को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई बार जाल बिछाया, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आईं. इस पर पुलिस ने हर तीसरे दिन उनके घर पर छापामारी करनी शुरू कर दी. घर पर लगातार हो रही छापामारी से आहत होकर श्यामा शर्मा के पिता की मृत्यु हो गई.

इसके कुछ समय बाद वह नाहन पहुंची. जैसे ही श्यामा शर्मा नाहन पहुंची, तो प्रदेश सरकार ने उन पर मिसा व डीआईआर लगा दिया. मिसा के तहत हिरासत में लिए जाने के बाद कई दिनों तक पुलिस थाने के लॉकअप में रखा जाता था. उसके बाद डीआईआर लगा उन्हें नाहन सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया, क्योंकि वह एकमात्र आंदोलनकारी महिला थी. इसलिए उन्हें एक आजीवन कारावास महिला कैदी सिबिया के साथ लॉकअप में रखा गया. श्यामा शर्मा 30 जून 1975 को जेल गई थी.

इस दौरान वह जेल में शांता कुमार, स्व. जगत सिंह नेगी, महेंद्र नाथ सोफ्त व मुन्नीलाल वर्मा के साथ सेंट्रल जेल नाहन में कई महीनों तक रहीं. वह जेल में रह कर भी आंदोलन को चलाए रखने के लिए अपने सहयोगियों को निर्देश देती रहीं.श्यामा शर्मा जब शांता कुमार के साथ जेल में रही, तो उन्होंने कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार और उनकी स्थिति को अच्छी तरह से समझा.

जिस पर जब 1977 में शांता कुमार प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपना पहला कार्यक्रम नाहन सेंट्रल जेल में रखा. यही से प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के सुधार के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए, जिसमें नाहन जेल में कैदियों के लिए खड्डी का निर्माण व उनके लिए दैनिक कार्यों की व्यवस्था की गई, ताकि कैदियों के जीवन में सुधार आ सके.

श्यामा शर्मा जब जेल में रहीं और उन्होंने कैदियों के साथ भी जीवन बिताया. तो उससे प्रेरणा लेकर उन्होंने कभी भी एसी का प्रयोग नहीं किया. भीषण गर्मियों में वह केवल हवा के लिए पंखे का प्रयोग करती थीं. श्यामा शर्मा 1977, 1982 व 1990 में तीन बार नाहन की विधायक व मंत्री रही. सुविधा होने के बावजूद आज तक एसी का प्रयोग नहीं किया था. कुल मिलाकर राजनैतिक जीवन में तेजतर्रार नेत्री के रूप में अपनी पहचान रखने वाली श्यामा शर्मा के आकस्मिक निधन से पूरा क्षेत्र गमगीन है.

नाहन: भले ही पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा आज दुनिया को अलविदा कह गई, लेकिन उनका राजनीति के क्षेत्र में वह एक तेजतर्रारी व स्वाभिमान नेत्री के रूप में अपनी पहचान रखती थी. वर्तमान में भले ही श्यामा शर्मा लंबे समय से राजनीति से काफी दूर थीं, लेकिन हिमाचल की राजनीति में आज भी वह बड़ा नाम थीं. राजनीति में उन्होंने एक स्वाभिमानी नेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाई थी. श्यामा शर्मा ने सोमवार को पंचकुला के एक निजी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली.

बता दें कि 4 दिन पहले पूर्व मंत्री श्यामा श्यामा ने अपने फेसबुक पेज पर अपडेट करते हुए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दी थी, वहीं पीएम मोदी के साथ अपनी 90 के दशक पुरानी तस्वीरों को भी सांझा किया था. ये तस्वीरें उस वक्त की थी, जब नरेंद्र मोदी हिमाचल के प्रभारी हुआ करते थे और वह नाहन पहुंचे थे. वर्ष 1948 में नाहन विधानसभा के अंतिम गांव सरोगा टिक्कर में जन्मी श्यामा शर्मा तीन बार विधायक रही.

इसके अलावा वह एक बार राज्य मंत्री व एक बार राज्य प्लानिंग बोर्ड की चेयरमैन भी रहीं. 1977 में वह पहली बार विधायक बनी. इसके बाद वह मंत्री पद पर भी आसीन रहीं. साल 1982 में वह दूसरी बार विधायक बनी. जबकि तीसरी बार 1990 में दोबारा विधायक बनीं.

नाहन की पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने 1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे पांवटा साहिब के समीप खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था. इस यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट में मजदूरों का शोषण होता था. देश के विभिन्न राज्यों से मजदूरों को 200 से 300 रुपए देकर लाया जाता था और छह महीने तक बिना वेतन के काम करवाया जाता था.

छह माह काम के बदले मजदूरों को कोई धनराशि नहीं दी जाती थी, जिस पर 1975 में 22 वर्षीय कुमारी श्यामा शर्मा ने मजदूरों के शोषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा. प्रदेश सरकार ने आंदोलन को कुचलने का पूरा प्रयास किया.श्यामा शर्मा के नेतृत्व में मजदूरों ने जमकर आंदोलन किया.

1975 में जब सिरमौर पुलिस श्यामा शर्मा को पकडने खोदरी माजरी पंहुची, तो उन्होंने उफनती हुई टोंस नदी को तैर कर पार किया. वह उत्तर प्रदेश के जौनसार बाबर जा पहुंची. जौनसार बाबर क्षेत्र अब उत्तराखंड राज्य में आता है. फिर एक वर्ष तक श्यामा शर्मा ने भूमिगत होकर जौनसार बाबर, दिल्ली व इलाहाबाद से मजदूरों के शोषण के प्रति आंदोलन को चलाए रखा.

खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट में आपातकाल के दौरान जब आंदोलन चल रहा था, तो सिरमौर पुलिस प्रशासन ने 600 से अधिक मजदूरों को अस्थायी जेल बनाकर बंद कर दिया था. जेल में कैदियों से बहुत बुरा व्यवहार होता था. उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती थी.

प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बन गई श्यामा शर्मा को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई बार जाल बिछाया, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आईं. इस पर पुलिस ने हर तीसरे दिन उनके घर पर छापामारी करनी शुरू कर दी. घर पर लगातार हो रही छापामारी से आहत होकर श्यामा शर्मा के पिता की मृत्यु हो गई.

इसके कुछ समय बाद वह नाहन पहुंची. जैसे ही श्यामा शर्मा नाहन पहुंची, तो प्रदेश सरकार ने उन पर मिसा व डीआईआर लगा दिया. मिसा के तहत हिरासत में लिए जाने के बाद कई दिनों तक पुलिस थाने के लॉकअप में रखा जाता था. उसके बाद डीआईआर लगा उन्हें नाहन सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया, क्योंकि वह एकमात्र आंदोलनकारी महिला थी. इसलिए उन्हें एक आजीवन कारावास महिला कैदी सिबिया के साथ लॉकअप में रखा गया. श्यामा शर्मा 30 जून 1975 को जेल गई थी.

इस दौरान वह जेल में शांता कुमार, स्व. जगत सिंह नेगी, महेंद्र नाथ सोफ्त व मुन्नीलाल वर्मा के साथ सेंट्रल जेल नाहन में कई महीनों तक रहीं. वह जेल में रह कर भी आंदोलन को चलाए रखने के लिए अपने सहयोगियों को निर्देश देती रहीं.श्यामा शर्मा जब शांता कुमार के साथ जेल में रही, तो उन्होंने कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार और उनकी स्थिति को अच्छी तरह से समझा.

जिस पर जब 1977 में शांता कुमार प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपना पहला कार्यक्रम नाहन सेंट्रल जेल में रखा. यही से प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के सुधार के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए, जिसमें नाहन जेल में कैदियों के लिए खड्डी का निर्माण व उनके लिए दैनिक कार्यों की व्यवस्था की गई, ताकि कैदियों के जीवन में सुधार आ सके.

श्यामा शर्मा जब जेल में रहीं और उन्होंने कैदियों के साथ भी जीवन बिताया. तो उससे प्रेरणा लेकर उन्होंने कभी भी एसी का प्रयोग नहीं किया. भीषण गर्मियों में वह केवल हवा के लिए पंखे का प्रयोग करती थीं. श्यामा शर्मा 1977, 1982 व 1990 में तीन बार नाहन की विधायक व मंत्री रही. सुविधा होने के बावजूद आज तक एसी का प्रयोग नहीं किया था. कुल मिलाकर राजनैतिक जीवन में तेजतर्रार नेत्री के रूप में अपनी पहचान रखने वाली श्यामा शर्मा के आकस्मिक निधन से पूरा क्षेत्र गमगीन है.

Last Updated : Sep 26, 2020, 5:52 PM IST
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