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जल्द हिमाचल को मिलेगी 'गौरी', गौ संवर्धन केंद्र बागथन में विकसित हो रही गाय की नई नस्ल

सिरमौर जिला के पशु पालन विभाग ने हिमाचल की अपनी गाय की नस्ल विकसित करने की कार्य योजना बनाई है. जल्द ही प्रदेश को विशुद्ध अपनी गाय मिल जाएगी, जिसका नाम है गौरी.

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Published : Jun 21, 2019, 11:53 AM IST

गौ संवर्धन केंद्र बागथन

नाहन: सिरमौर जिला के पशु पालन विभाग ने सरकार के निर्देशों के अनुरूप हिमाचल की अपनी गाय की नस्ल विकसित करने की कार्य योजना बनाई है. इसके तहत यहां पर कार्य चल रहा है. जल्द ही ये नस्ल विकसित होकर सामने आने वाली है.

cow's new breed developing in baghthan cow centre
गौ संवर्धन केंद्र बागथन

बता दें कि जल्द ही प्रदेश को विशुद्ध अपनी गाय मिल जाएगी, जिसका नाम है गौरी. गौरतलब है कि गौ संवर्धन को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है. हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार का गृह क्षेत्र बागथन जोकि दुग्ध उत्पादन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, यहां पर पशु पालन विभाग का गौ संवर्धन केंद्र 1967 से कार्य कर रहा है. यहां पर ऑस्ट्रेलिया से खास विदेशी नस्ल की गाय लाई गई हैं. इस समय यहां पर 13 गाय व 7 बैलों समेत 24 पशु रखे गए हैं.

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पशुपालन विभाग सिरमौर की उपनिदेशक डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि इस दिशा में काफी कार्य हो चुका है. जल्द ही प्रदेश की अपनी गाय गौरी मिलने वाली है. उन्होंने बताया कि वर्ष 1967 में स्थापित इस केंद्र में लोगों को दुग्ध उत्पादन के बारे में भी जानकारी दी जाती है. साथ ही अन्य जागरूकता शिविर भी लगाए जाते हैं. अब यहां पर हिमाचल की अपनी गाय गौरी को लेकर कार्य योजना पर काम चल रहा है, जोकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विकसित की जा रही है.

नाहन: सिरमौर जिला के पशु पालन विभाग ने सरकार के निर्देशों के अनुरूप हिमाचल की अपनी गाय की नस्ल विकसित करने की कार्य योजना बनाई है. इसके तहत यहां पर कार्य चल रहा है. जल्द ही ये नस्ल विकसित होकर सामने आने वाली है.

cow's new breed developing in baghthan cow centre
गौ संवर्धन केंद्र बागथन

बता दें कि जल्द ही प्रदेश को विशुद्ध अपनी गाय मिल जाएगी, जिसका नाम है गौरी. गौरतलब है कि गौ संवर्धन को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है. हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार का गृह क्षेत्र बागथन जोकि दुग्ध उत्पादन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, यहां पर पशु पालन विभाग का गौ संवर्धन केंद्र 1967 से कार्य कर रहा है. यहां पर ऑस्ट्रेलिया से खास विदेशी नस्ल की गाय लाई गई हैं. इस समय यहां पर 13 गाय व 7 बैलों समेत 24 पशु रखे गए हैं.

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पशुपालन विभाग सिरमौर की उपनिदेशक डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि इस दिशा में काफी कार्य हो चुका है. जल्द ही प्रदेश की अपनी गाय गौरी मिलने वाली है. उन्होंने बताया कि वर्ष 1967 में स्थापित इस केंद्र में लोगों को दुग्ध उत्पादन के बारे में भी जानकारी दी जाती है. साथ ही अन्य जागरूकता शिविर भी लगाए जाते हैं. अब यहां पर हिमाचल की अपनी गाय गौरी को लेकर कार्य योजना पर काम चल रहा है, जोकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विकसित की जा रही है.

Intro:-1967 से बागथन में स्थापित है यह केंद्र, विदेशी नस्ल की हैं 24 गाय 
-हिमाचल निर्माता डा. परमार के गृह क्षेत्र में स्थित है यह गौ संवर्धन केंद्र 
नाहन। गौ संवर्धन को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है और इस दिशा में कार्य भी चल रहा है। हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार का गृह क्षेत्र बागथन जोकि दुग्ध उत्पादन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, यहां पर पशु पालन विभाग का गौ संवर्धन केंद्र 1967 से कार्य कर रहा है। यहां पर ऑस्ट्रेलिया से खास विदेशी नस्ल की गाय लाई गई हैं। इस समय यहां पर 13 गाय व 7 बैलों सहित 24 पशु रखे गए हैं। लोगों को दुग्ध उत्पादन बारे भी जानकारी यहां दी जाती है और साथ ही अन्य जागरूकता शिविर भी लगाए जाते हैं। 


Body:अब सिरमौर जिला के पशु पालन विभाग ने सरकार के निर्देशों के अनुरूप हिमाचल की अपनी नस्ल विकसित करने की कार्य योजना बनाई है। इसके तहत यहां पर कार्य चल रहा है और जल्द ही प्रदेश को विशुद्ध अपनी गाय मिल जाएगी, जिसका नाम है गौरी। जल्द ही यह नस्ल विकसित होकर सामने आने वाली है। 

पशुपालन विभाग सिरमौर की उपनिदेशक डा. नीरू शबनम के अनुसार इस दिशा में काफी कार्य हो चुका है और जल्द ही प्रदेश की अपनी गाय गौरी मिलने वाली है। डा. शबनम बताती हैं कि वर्ष 1967 में स्थापित इस गौ केंद्र में दुग्ध उत्पादन बारे लोगो को जानकारियां दी जाती हैं, लेकिन अब यहां पर हिमाचल की अपनी गाय गौरी को लेकर कार्य योजना पर काम चल रहा है। जल्द ही प्रदेश को अपनी गाय मिल जाएगी, जोकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विकसित की जा रही है।


Conclusion:कुल मिलाकर पशुपालन विभाग की यदि यह योजना सिरे चढ़ती है, तो हिमाचल को जल्द ही बागथन गौसंवर्धन केंद्र से विशुद्ध गाय गौरी मिल पाएंगी।
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