पांवटा साहिब: कोरोना वायरस की मार त्यौहारों पर पड़ती दिखाई दे रही है. कोरोना के हर वर्ग आर्थिक तंगी झेल रहा है. लोगों की जेब खाली हो चुकी है. खाली जेब के साथ ना कोई त्यौहार मनाया जा सकता है और ना ही कोई उत्सव. मुस्लिम समुदाय का त्यौहार बकरीद आने वाला है. बकरीद के लिए मुस्लिम समुदाय कई दिन पहले ही कुर्बानी के लिए बकरे की खरीददारी करते थे, लेकिन पैसों से हाथ तंग होने के कारण इस बार बकरों की खरीददारी कम हो गई है. मुस्लिम समुदाय के लोग ना तो कुर्बानी के लिए बकरे खरीद पाए हैं.
सिरमौर के गुलाबगढ़, टोका मिश्रवाला, पुरुवाला और नवादा में बकरीद से पहले कई व्यापारी बकरे लेकर पहुंचते थे, लेकिन कोरोना का खौफ इतना है कि बकरे बेचने वाले व्यापारी भी इस बार बकरे बेचने के लिए नहीं निकले. बस गांव में ही कुछ लोग के पास बकरे हैं. ऐसे में मुस्लिम समुदाय के अधिकतर लोगों की ईद फीकी हो गई है.
सिरमौर के ग्रामीणों इलाकों में कुछ लोग बकरों का व्यापार करते हैं, लेकिन बकरे खरीदने के लिए भी लोगों के पास पैसे नहीं है. ऐसे में इस बार बकरीद मनाना बहुत मुश्किल हो गया है. कुछ लोगों ने अपने घरों में बकरे पाले हैं. इन्हीं से इस इस बार काम चलाया जाएगा.
ईद पर अक्सर भारी संख्या में लोग जुटते थे. एक साथ इक्ट्ठा होकर ईदगाह में नमाज पढ़ी जाती थी. नमाज के बाद लोग एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद देते थे और कुर्बानी की बाद जरूरतमंदों में जकात बांटी जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करना है.
ग्रामीणों का कहना है कि रोजगार न मिलने के कारण त्योहार को मनाना बहुत मुश्किल हो गया है. बकरीद में बकरों की कुर्बानी दी जाती है, लेकिन इस साल आमदनी न होने के कारण बकरे नहीं खरीद पा रहे हैं. हर साल की तरह इस साल भी ईद पर सुबह अपने मदरसे में नमाजपढ़ी जाएगी. साथ ही देश में फैल रही कोरोना महामारी के जल्द खत्म होने और देश में भाईचारा बने रहने की दुआएं मांगी जाएंगी.
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