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सिरमौर में बुरांश की लालिमा मोह रही पर्यटकों का मन, सरकार नहीं उठा रही कारगर कदम

बुरांश की लालिमा पर्यटकों का मन मोह रही है. सिरमौर जिले के डल्यानु से लेकर चूड़धार तक लगभग 50 वर्ग किमी लंबा क्षेत्र हर साल बुरांश के फूलों से गुलजार होता है. इन वादियों में बुरांश के फूल लगभग तीन महीने तक अपना अदूभुत सौंदर्य बिखेरते हैं.

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Published : Mar 30, 2019, 3:12 PM IST

सिरमौर में बुरांश


नाहन: सिरमौर जिले के ऊपरी क्षेत्रों की सुंदर वादियां इन दिनों बुरांश के फूलों से गुलजार हो रही हैं. वादियों में इस बार बर्फ को देखने के लिए भले ही पर्यटक तरस कर रहे गए हैं, लेकिन वादियों में फैली बुरांश की लालिमा पर्यटकों का मन मोह रही है.

buransh juice
सिरमौर में बुरांश

क्षेत्र के एक बड़े भू-भाग पर बुरांश के रुप में रोजगार का एक बड़ा खजाना छुपा है. इस खजाने की और आज तक सरकार की नजर नहीं गई है. इसलिए इस खजाने को तलाशने के लिए सरकार की और से अब तक कोई प्रयास नहीं किए गए है. सरकार यदि बुरांश के दोहन के लिए कोई कारगर कदम उठाती है तो इससे सरकारी खजाने में जहां भारी इजाफा हो सकता है. वहीं क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान हो सकते हैं.

सिरमौर में बुरांश

हरिपुरधार घाटी में सबसे अधिक बुरांश होने के कारण इसे प्रदेश की सबसे बड़ी बुरांश घाटी मानी जाती है. क्षेत्र के जंगलों में लगभग 30 फीसदी पेड़ बुरांश के हैं. सिरमौर जिले के डल्यानु से लेकर चूड़धार तक लगभग 50 वर्ग किमी लंबा क्षेत्र हर साल बुरांश के फूलों से गुलजार होता है. हरिपुरधार के अलावा नौहराधार व राजगढ़ की वादियां भी बुरांश के लाल रंगों के फूलों से महक उठती है. इन वादियों में बुरांश के फूल लगभग तीन महीने तक अपना अदूभुत सौंदर्य बिखेरते हैं. बुरांश के फूलों से लदी वादियों को देखकर पर्यटकों के चेहरे भी खुशी से खिल उठते हैं. विडंबना ये है कि सरकार की और से इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित न किए जाने, सुविधाओं की भारी कमी व प्रचार व प्रसार के अभाव के चलते कम संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
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सिरमौर में बुरांश

औषधीय गुणों का है खजाना
बुरांश के फूलों में कई प्रकार के औषधीय गुण विद्यमान हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि बुरांश के फूल जहां हार्ट और केंसर जैसी खतरनाक बीमारी की दवा बनाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं. वहीं इसका उपयोग स्कवैश बनाने के साथ-साथ जैम और चटनी बनाने में किया जाता है. इसके अलावा बुरांश के रस से अन्य कई प्रकार की दवाइयों को बनाया जा सकता है. जानकारों का कहना है कि बुरांश के दोहन के लिए यदि सरकार कोई प्रोजेक्ट तैयार करती है तो उससे क्षेत्र के सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को जहां रोजगार के अवसर प्रदान हो सकते हैं. वहीं सरकार को राजस्व के रुप में करोड़ों रुपये की आमदनी हो सकती है.


नाहन: सिरमौर जिले के ऊपरी क्षेत्रों की सुंदर वादियां इन दिनों बुरांश के फूलों से गुलजार हो रही हैं. वादियों में इस बार बर्फ को देखने के लिए भले ही पर्यटक तरस कर रहे गए हैं, लेकिन वादियों में फैली बुरांश की लालिमा पर्यटकों का मन मोह रही है.

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सिरमौर में बुरांश

क्षेत्र के एक बड़े भू-भाग पर बुरांश के रुप में रोजगार का एक बड़ा खजाना छुपा है. इस खजाने की और आज तक सरकार की नजर नहीं गई है. इसलिए इस खजाने को तलाशने के लिए सरकार की और से अब तक कोई प्रयास नहीं किए गए है. सरकार यदि बुरांश के दोहन के लिए कोई कारगर कदम उठाती है तो इससे सरकारी खजाने में जहां भारी इजाफा हो सकता है. वहीं क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान हो सकते हैं.

सिरमौर में बुरांश

हरिपुरधार घाटी में सबसे अधिक बुरांश होने के कारण इसे प्रदेश की सबसे बड़ी बुरांश घाटी मानी जाती है. क्षेत्र के जंगलों में लगभग 30 फीसदी पेड़ बुरांश के हैं. सिरमौर जिले के डल्यानु से लेकर चूड़धार तक लगभग 50 वर्ग किमी लंबा क्षेत्र हर साल बुरांश के फूलों से गुलजार होता है. हरिपुरधार के अलावा नौहराधार व राजगढ़ की वादियां भी बुरांश के लाल रंगों के फूलों से महक उठती है. इन वादियों में बुरांश के फूल लगभग तीन महीने तक अपना अदूभुत सौंदर्य बिखेरते हैं. बुरांश के फूलों से लदी वादियों को देखकर पर्यटकों के चेहरे भी खुशी से खिल उठते हैं. विडंबना ये है कि सरकार की और से इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित न किए जाने, सुविधाओं की भारी कमी व प्रचार व प्रसार के अभाव के चलते कम संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
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सिरमौर में बुरांश

औषधीय गुणों का है खजाना
बुरांश के फूलों में कई प्रकार के औषधीय गुण विद्यमान हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि बुरांश के फूल जहां हार्ट और केंसर जैसी खतरनाक बीमारी की दवा बनाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं. वहीं इसका उपयोग स्कवैश बनाने के साथ-साथ जैम और चटनी बनाने में किया जाता है. इसके अलावा बुरांश के रस से अन्य कई प्रकार की दवाइयों को बनाया जा सकता है. जानकारों का कहना है कि बुरांश के दोहन के लिए यदि सरकार कोई प्रोजेक्ट तैयार करती है तो उससे क्षेत्र के सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को जहां रोजगार के अवसर प्रदान हो सकते हैं. वहीं सरकार को राजस्व के रुप में करोड़ों रुपये की आमदनी हो सकती है.
सिरमौर में बुरास की लालिमा मोह रही पर्यटकों का मन, सरकार नहीं उठा रही कारगर कदम 
नाहन। सिरमौर जिले के ऊपरी क्षेत्रों की सुंदर वादियां इन दिनों बुरास के फू लों से गुलजार हो रही है। वादियों में इस बार बर्फ  को देखने के लिए भले ही पर्यटक तरस कर रहे गए हैं। मगर वादियों में फैली बुरास  की लालिमा पर्यटकों का मन मोह रही है। क्षेत्र के एक बड़े भू-भाग पर बुरास के रुप में रोजगार का एक बड़ा खजाना छुपा है। इस खजाने की और आज तक सरकार की नजर नहीं गई है। इसलिए इस खजाने को तलाशने के लिए सरकार की और से अब तक कोई प्रयास नहीं किए गए है। सरकार यदि बुरास के दोहन के लिए कोई कारगर कदम उठाती है तो इससे सरकारी खजाने में जहां भारी इजाफा हो सकता है। वहीं क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान हो सकते हैं। हरिपुरधार घाटी में सबसे अधिक बुरास होने के कारण इसे प्रदेश की सबसे बड़ी बुरास घाटी मानी जाती है। क्षेत्र के जंगलों में लगभग 30 फीसदी पेड़ बुरास के है। सिरमौर जिले के डल्यानु से लेकर चूड़धार तक लगभग 50 वर्ग किमी लंबा क्षेत्र हर साल बुरास के फू लों से गुलजार होता है। हरिपुरधार के अलावा नौहराधार व राजगढ़ की वादियां भी बुरास के लाल रंगों के फूलों से महक उठती है। इन वादियों में बुरास के फू ल लगभग तीन महीने तक अपना अद्वभूत सौंदर्य बिखेरते है। बुरास के फू लों से लदी वादियों को देखकर पर्यटकों के चेहरे भी खुशी से खिल उठते है। मगर विडंबना यह है कि सरकार की और से इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित न किए जाने, सुविधाओं की भारी कमी व प्रचार व प्रसार के अभाव के चलते कम सं या में पर्यटक यहां पहुंचते है।
औषधीय गुणों का है खजाना
बुरास के फू लों में कई प्रकार के औषधीय गुण विद्यमान है। विशेषज्ञों का मानना है कि बुरास के फू ल जहां हार्ट व केंसर जैसी खतरनाक बीमारी की दवा बनाने के लिए लिए कारगर साबित हो सकते हैं। वहीं इसका उपयोग स्कवॉश बनाने के साथ-साथ जैम व चटनी बनाने में किया जाता है। इसके अलावा बुरास के रस से अन्य कई प्रकार की दवाइयों को बनाया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि बुरास के दोहन के लिए यदि सरकार कोई प्रोजेक्ट तैयार करती है तो उससे क्षेत्र के सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को जहां रोजगार के अवसर प्रदान हो सकते है। वही सरकार को राजस्व के रुप में करोड़ों रुपए की आमदनी हो सकती है।
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