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आशा वर्कर्स ने की मंत्री सुखराम चौधरी से मुलाकात, सरकार से की ये मांग - asha workers in paonta sahib

हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर कोरोना संकट का खतरा बढ़ गया है जिसके लिए आशा वर्कर्स को सक्रिय भूमिका निभाने की आदेश दिये गये हैं. इसके बाद आशा वर्कर्स ने कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी से मुलाकात कर अपनी अपनी समस्याओं को रखा.

asha workers met cabinet minister sukhram chaudhary
आशा वर्कर्स ने की मंत्री सुखराम चौधरी से मुलाकात
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Published : Nov 26, 2020, 11:05 AM IST

Updated : Nov 26, 2020, 11:37 AM IST

पांवटा साहिब : प्रदेश में कोरोना का कहर जारी है. कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं. इसी कड़ी में सरकार ने आशा वर्कर्स को सक्रिय भूमिका निभाने के आदेश दिए हैं. इसके बाद जिला सिरमौर की आशा वर्कर्स ने कैबिनेट मंत्री के सामने अपनी समस्याओं को रखा.

उन्होंने कहा कि उनके पास किसी तरह की कोई भी सुरक्षा इंतजाम नहीं है और सीधे तौर पर उन्हें संक्रमित लोगों से मिलना होता है. वहीं, उन्हें पूरा दिन फील्ड में काम करने के बाद केवल 100 रुपये मिल रहे हैं जो कि सरकार द्वारा निर्धारित डेली वेज 255 रुपए से भी बेहद कम है. इतना ही नहीं इस कोरोना काल में आशा वर्कर्स को सीधे संक्रमितों के सामने झोंक दिया जाता है ना तो इनके लिए कोई नीति है और ना ही उन्हें सम्मान पूर्वक मानदेय दिया जा रहा है.

आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.
आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.
ऊर्जा मंत्री से आशा वर्कर्स की मुलाकात

फ्रंट लाइन पर काम कर रही आशा वर्कर्स ने कहा कि गर्भवती जनरल महिलाओं की देखभाल की 600 रुपये उन्हें 9 माह बाद मिलते थे वह भी अब बंद कर दिए गए हैं, जबकि हमारी जिम्मेदारी अब भी सभी गर्भवती महिलाओं की देखभाल की रखी गई है.

आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.
आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.

अगस्त के बाद कोरोना संकट का मानदेय नहीं मिला

कोरोना संकट में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली आशा वर्कर्स को अब तक अगस्त के बाद कोरोना संकट का मानदेय नहीं मिल पाया है. वहीं, एक बार फिर सरकार चाहती है कि आशा वर्कर्स इस वक्त हिमाचल प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर मैदान में उतरे और सर्वे कर लोगों का विवरण सरकार तक पहुंचाए. उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के दौरान उन्हें प्रति माह केवल 1000 रुपया मानदेय दिया गया. अगस्त के बाद वह भी नहीं आ रहा है.

वीडियो.

ये है आशा वर्कर्स की जिम्मेदारी

दूसरी ओर कोरोना संकट व हिम सुरक्षा अभियान के दौरान भी आशा वर्कर्स को न केवल कोरोना संक्रमित का पता लगाना है बल्कि साथ ही टीवी, हाइपरटेंशन, शुगर, कुष्ठ रोगियों आदि घातक बीमारियों का विवरण भी सरकार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है अगले 1 महीने में आशाओं को अपने वार्ड और पंचायत का विवरण सरकार को सौंपना है.

आशा वर्कर्स इसलिए हैं नाराज
इस खतरे भरे काम के आशा वर्कर्स को 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिए जाने हैं. वहीं दूसरी ओर आशा वर्कर्स की मानदेय को लगातार कम किया जा रहा है जिसके कारण सभी आशाओं में रोष व्याप्त है.

क्या कहते हैं कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी

वहीं, दूसरी ओर कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी ने आश्वासन दिया है कि वह आशाओं की सभी समस्याएं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने रखेंगे और जो भी संभावित मानी जा सकने वाली मांगें होंगी उन्हें पूरा करवाया जाएगा.

पांवटा साहिब : प्रदेश में कोरोना का कहर जारी है. कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं. इसी कड़ी में सरकार ने आशा वर्कर्स को सक्रिय भूमिका निभाने के आदेश दिए हैं. इसके बाद जिला सिरमौर की आशा वर्कर्स ने कैबिनेट मंत्री के सामने अपनी समस्याओं को रखा.

उन्होंने कहा कि उनके पास किसी तरह की कोई भी सुरक्षा इंतजाम नहीं है और सीधे तौर पर उन्हें संक्रमित लोगों से मिलना होता है. वहीं, उन्हें पूरा दिन फील्ड में काम करने के बाद केवल 100 रुपये मिल रहे हैं जो कि सरकार द्वारा निर्धारित डेली वेज 255 रुपए से भी बेहद कम है. इतना ही नहीं इस कोरोना काल में आशा वर्कर्स को सीधे संक्रमितों के सामने झोंक दिया जाता है ना तो इनके लिए कोई नीति है और ना ही उन्हें सम्मान पूर्वक मानदेय दिया जा रहा है.

आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.
आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.
ऊर्जा मंत्री से आशा वर्कर्स की मुलाकात

फ्रंट लाइन पर काम कर रही आशा वर्कर्स ने कहा कि गर्भवती जनरल महिलाओं की देखभाल की 600 रुपये उन्हें 9 माह बाद मिलते थे वह भी अब बंद कर दिए गए हैं, जबकि हमारी जिम्मेदारी अब भी सभी गर्भवती महिलाओं की देखभाल की रखी गई है.

आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.
आशा वर्कर्स ने की ऊर्जा मंत्री से मुलाकात.

अगस्त के बाद कोरोना संकट का मानदेय नहीं मिला

कोरोना संकट में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली आशा वर्कर्स को अब तक अगस्त के बाद कोरोना संकट का मानदेय नहीं मिल पाया है. वहीं, एक बार फिर सरकार चाहती है कि आशा वर्कर्स इस वक्त हिमाचल प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर मैदान में उतरे और सर्वे कर लोगों का विवरण सरकार तक पहुंचाए. उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के दौरान उन्हें प्रति माह केवल 1000 रुपया मानदेय दिया गया. अगस्त के बाद वह भी नहीं आ रहा है.

वीडियो.

ये है आशा वर्कर्स की जिम्मेदारी

दूसरी ओर कोरोना संकट व हिम सुरक्षा अभियान के दौरान भी आशा वर्कर्स को न केवल कोरोना संक्रमित का पता लगाना है बल्कि साथ ही टीवी, हाइपरटेंशन, शुगर, कुष्ठ रोगियों आदि घातक बीमारियों का विवरण भी सरकार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है अगले 1 महीने में आशाओं को अपने वार्ड और पंचायत का विवरण सरकार को सौंपना है.

आशा वर्कर्स इसलिए हैं नाराज
इस खतरे भरे काम के आशा वर्कर्स को 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिए जाने हैं. वहीं दूसरी ओर आशा वर्कर्स की मानदेय को लगातार कम किया जा रहा है जिसके कारण सभी आशाओं में रोष व्याप्त है.

क्या कहते हैं कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी

वहीं, दूसरी ओर कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी ने आश्वासन दिया है कि वह आशाओं की सभी समस्याएं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने रखेंगे और जो भी संभावित मानी जा सकने वाली मांगें होंगी उन्हें पूरा करवाया जाएगा.

Last Updated : Nov 26, 2020, 11:37 AM IST
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