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अद्भुत हिमाचल: क्या है लूण लोटा...क्यों कोई झूठ बोलने की नहीं करता हिम्मत

ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज अद्भुत हिमाचल में आपकों अबतक कई अद्भुत परंपराओं के बारे में बता चुके है, अब आपकों एक ऐसी प्रथा के बारे में बताएंगे जहां पानी से भरा एक लोटा सच और झूठ का फैसला करने के साथ बफादारी का तमगा भी देता है.

Adhbhut himachal
अद्भुत हिमाचल
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Published : Feb 7, 2020, 12:43 PM IST

Updated : Feb 7, 2020, 4:13 PM IST

पांवटा साहिब: अद्भुत हिमाचल में आपकों लूण और लोटा प्रथा के बारे में बताएंगे. ये प्रथा उस दौर से चली आ रही है जब सच और झूठ का फैसला करने के लिए न कोर्ट होता था न पंचायत. लूण लोटा एक समय में न्याय व्यवस्था का एक हिस्सा था. लोग लोटा लूण की प्रथा से ही खुद को सच्चा झूठा साबित करते थे.

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लूण लोटा

आधुनिकता के दौर में आज भी ये प्रथा सिरमौर के गिरिपार, शिमला, मंडी समेत हिमाचल के कई इलाकों में चली आ रही है. लूण का मतलब है नमक और लोटा मतलब कलश. पानी से भरे कलश में लोग नमक डालकर अपनी सत्यता का प्रमाणा देने के साथ साथ दूसरे के साथ अपनी बफादारी साबित करते हैं.

वीडियो.

दरअसल, जब एक शख्स पानी से भरे लोटे में नमक डालते हुए देवता को साक्षी मानकर कसम लेता है, तब वह एक वादा कर रहा होता, जिसे उसे निभाना ही होता है. अगर उसने नहीं निभाया तो जिस तरह पानी में नमक घुल गया और खत्म हो गया. उसी तरह अगर वचन या वादा पूरा नहीं किया तो वचन देने वाला शख्स भी इसी तरह खत्म हो जाएगा.

Adhbhut himachal
‘लूण लोटा’ एक ऐसी प्रथा जिससे डराकर की जाती है वोट लेने की कोशिश

हैरी पॉटर फ़िल्म की सीरीज बल्ड पैक्ट जैसे दो लोग अपने खून से शपथ लेकर एक दूसरे के साथ हमेशा के लिए बंधकर किए गए वायदे को निभाने की कसम खाते थे. ठीक उसी तरह पहले लूण लोटा मालिक नौकर और पति-पत्नी के बीच एक दूसरे के लिए वफादार रहने के लिए भी किया जाता था.

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जनता के चुने हुए प्रतिनिधी ही शासन करते हैं. पंचायत से लेकर लोकसभा तक का चुनाव मतदान के जरिए होता है. चुनाव के दौरान वोट खरीदने के लिए कई उम्मीदवार नोट का सहारा लेते हैं, लेकिन गिरीपार और हिमाचल के कुछ इलाकों में वोट नोट से नहीं लूण लोटा से पक्का किया जाता है.

जब इस प्रथा की शुरुआत हुई थी, तब इसका इस्तेमाल विवादों का निपटारा करने के लिए किया गया. विवादों को सुलझाने का यह एक शांतिपूर्ण तरीका था, लेकिन वक्त के साथ लोगों ने इसका गलत इस्तेमाल भी करना शुरू कर दिया. चुनाव के समय वोट पक्का करने के लिए लूण लोटा की ये परंपरा एकदम घातक है.

ये भी पढ़ें: अद्भुत हिमाचल: यहां अश्लील गालियां देकर भगाई जाती हैं बुरी शक्तियां!

पांवटा साहिब: अद्भुत हिमाचल में आपकों लूण और लोटा प्रथा के बारे में बताएंगे. ये प्रथा उस दौर से चली आ रही है जब सच और झूठ का फैसला करने के लिए न कोर्ट होता था न पंचायत. लूण लोटा एक समय में न्याय व्यवस्था का एक हिस्सा था. लोग लोटा लूण की प्रथा से ही खुद को सच्चा झूठा साबित करते थे.

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लूण लोटा

आधुनिकता के दौर में आज भी ये प्रथा सिरमौर के गिरिपार, शिमला, मंडी समेत हिमाचल के कई इलाकों में चली आ रही है. लूण का मतलब है नमक और लोटा मतलब कलश. पानी से भरे कलश में लोग नमक डालकर अपनी सत्यता का प्रमाणा देने के साथ साथ दूसरे के साथ अपनी बफादारी साबित करते हैं.

वीडियो.

दरअसल, जब एक शख्स पानी से भरे लोटे में नमक डालते हुए देवता को साक्षी मानकर कसम लेता है, तब वह एक वादा कर रहा होता, जिसे उसे निभाना ही होता है. अगर उसने नहीं निभाया तो जिस तरह पानी में नमक घुल गया और खत्म हो गया. उसी तरह अगर वचन या वादा पूरा नहीं किया तो वचन देने वाला शख्स भी इसी तरह खत्म हो जाएगा.

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‘लूण लोटा’ एक ऐसी प्रथा जिससे डराकर की जाती है वोट लेने की कोशिश

हैरी पॉटर फ़िल्म की सीरीज बल्ड पैक्ट जैसे दो लोग अपने खून से शपथ लेकर एक दूसरे के साथ हमेशा के लिए बंधकर किए गए वायदे को निभाने की कसम खाते थे. ठीक उसी तरह पहले लूण लोटा मालिक नौकर और पति-पत्नी के बीच एक दूसरे के लिए वफादार रहने के लिए भी किया जाता था.

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जनता के चुने हुए प्रतिनिधी ही शासन करते हैं. पंचायत से लेकर लोकसभा तक का चुनाव मतदान के जरिए होता है. चुनाव के दौरान वोट खरीदने के लिए कई उम्मीदवार नोट का सहारा लेते हैं, लेकिन गिरीपार और हिमाचल के कुछ इलाकों में वोट नोट से नहीं लूण लोटा से पक्का किया जाता है.

जब इस प्रथा की शुरुआत हुई थी, तब इसका इस्तेमाल विवादों का निपटारा करने के लिए किया गया. विवादों को सुलझाने का यह एक शांतिपूर्ण तरीका था, लेकिन वक्त के साथ लोगों ने इसका गलत इस्तेमाल भी करना शुरू कर दिया. चुनाव के समय वोट पक्का करने के लिए लूण लोटा की ये परंपरा एकदम घातक है.

ये भी पढ़ें: अद्भुत हिमाचल: यहां अश्लील गालियां देकर भगाई जाती हैं बुरी शक्तियां!

Intro:आज भी कायम है पहाड़ी इलाकों में लौटा नुन पार्था
हिंदू संस्कृति का प्रतीक है कलर्स के रूप में लोटा कलर्स
अगर किसी व्यक्ति ने यह कसम को झूठ लाए तो उसका पूरा कुटुंब का नाशBody:




गिरिपार इलाकों में सदियों से चली आ रही लोटा नुन प्रथा आज भी कायम है ग्रामीण आज भी इस सदियों पुरानी प्रथा पर अटूट विश्वास करते हैं हालांकि पहले बड़े पैमाने पर लौटे नून प्रथा चलती थी अब थोड़ी कम हो रही है जिला सिरमौर का गिरीपार छात्र आज भी अपनी रीति रिवाज पुरानी संस्कृति आज भी विश्व में विख्यात है गिरिपार इलाके में जहां दीपावली से हटकर एक महीना बाद बूढ़ी दिवाली का त्यौहार का आयोजन किया जाता है वही 11 जनवरी को माघी त्यौहार मनाया जाता है जिसमें कि लगभग 50,000 से अधिक बकरों एक ही दिन में काटे जाते हैं यही नहीं गोगा नवमी के दिन भक्त अपने आप को लोहे की छड़ी से पीटते हैं वही आज भी विद्यमान है वही आज भी अपना वादा निभाने के लिए लोग लोटा नून प्रथा को निभाते हैं

देवभूमि हिमाचल मैं देवी देवता का वास है पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा देवी देवताओं को ही माना जाता है देवी देवताओं की पूजा आज भी ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा की जाती है पहाड़ी इलाकों में अपने स्थानीय देवी देवता का मंदिर पर लोग अटूट विश्वास करते हैं और यह बात झूठ लाई नहीं जा सकती इसी अटूट विश्वास को लेकर ग्रामीण इलाकों में लौटा नून प्रथा चली थी कहा जाता है कि जैसे पानी में नमक घुल जाता है वैसे ही अगर किसी व्यक्ति ने यह कसम को झूठ लाए तो उसका पूरा कुटुंब का नाश होना चाहिए।


सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र में बहुत पहले से पुराने समय में न्याय व्यवस्था का एक अभिन्न अंग था यह लौटा नुन इसके अनुसार जो व्यक्ति पानी भरे लोटे में नमक डाल देगा तो वह इस बात का द्योतक है कि वह अपनी बात कह रहा है वह बिल्कुल सत्य कह रहा है प्रामाणिकता के लिए किसी भी विवाद के समय में एक कसौटी थी कि जो व्यक्ति अपने आप को सच्चा साबित करता था उसे एक पानी भरे लोटे में नमक डालना होता था जिससे कि उसकी सभ्यता की प्रामाणिकता हो जाती थी आज भी हमारे क्षेत्र में आपन दस्तूर है जिसे हमारे राजनीतिक क्षेत्र के नेता है वह अपने वोट सिक्योर करने के लिए यूज कर रहे हैं क्योंकि मैं मानता हूं कि वह गलत है क्योंकि लोगों को उनकी भावनाओं के खिलाफ से लेना मेरे विचार से गलत है

बाइट इंदर सिंह राणा

हिंदू संस्कृति का प्रतीक है कलर्स के रूप में लोटा कलर्स के रूप में रखा जाता है और जब वह पानी से भरपूर होता है तो उसे समुंद्र और उसके कुक्षी में सारे रत्न जड़ित होते हैं इसलिए जब भी कभी लोटे के संबंध में बात आती है और उसमें पानी हो तो उसके आगे संकल्प ले करके हम अपने पूजा-पाठ पद्धति का आरंभ करते हैं साथ ही जब कभी न्याय वाली बात है या पक्ष वाली बात है तो हम उसके साथ संकल्प भी करते हैं क्योंकि नमक हराम एक शब्द है कोई भी व्यक्ति यदि पानी में नमक डालकर के यह प्रण करता है कि मैं कभी भी आपको धोखा नहीं दूंगा और आपके साथ रहूंगा तो उसका वह और सारी जितनी भी अपने आकांक्षा है उसमें उड़ेल दें

बाइट रामभज बुद्धिजीवी

लोग आज एक दूसरे से जितने भी जुड़े हुए होते हैं उनकी गारंटी लेने के लिए लोटन नून का इस्तेमाल करते हैं ताकि उन्हें यकीन हो जाए कि वह उनके साथ खड़े होकर रहेंगे यही हाल पति पत्नी के बीच में है रिश्ता मजबूत बनाने के लिए लौटे नून का इस्तेमाल किया जाता था ताकि पति पत्नी का संबंध अटूट बना रहे लेकिन समय के साथ-साथ यह प्रथा कम होती गई और लोगों ने इस लौटा नुन का इस्तेमाल वोटों की राजनीति के लिए शुरू कर दिया

बाइट गत वाल रिटायर्ड अध्यापक


Conclusion:
Last Updated : Feb 7, 2020, 4:13 PM IST
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