पांवटा साहिब: हिमाचल में प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर कई प्रकार के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. आज के समय में भी प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस सरकार की अनदेखी के चलते स्कूली शिक्षा का ढांचा चरमराता दिख रहा है, जिसकी मुख्य वजह विद्यालय में शिक्षकों की कमी हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं जो की जिला सरमौर में स्थित है. सिरमौर जिले के सलवाला हाई स्कूल में अध्यापक ना होने की वजह से रोजाना छात्रों को मायूस होकर वापस घर लौटना पड़ता है, जिससे सरकार के शैक्षणिक ढांचे की नींव हिलती हुई नजर आती है.
'शिक्षकों की कमी, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़': यहां के ग्रामीणों की मानें तो भाजपा और कांग्रेस के नेता चुनावों के दौरान तो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन चुनावों के बाद सब भूल जाते हैं. जिसका खामियाजा यहां के छात्रों को झेलना पड़ता है. ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों को स्कूल में शिक्षकों की कमी से अवगत करवाया, लेकिन अभी तक स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है. शिक्षकों की कमी से शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है, जिसके चलते अभिभावक अपने बच्चों को इस स्कूल से निकालकर अब निजी स्कूलों में दाखिल करवा रहे हैं. वहीं, अगर बात की जाए इस बार रिजल्ट की तो दसवीं कक्षा में 77 विद्यार्थियों में से 20 विद्यार्थी पास हैं, बाकि 56 विद्यार्थी फेल हुए हैं और एक ही कंपार्टमेंट है.
स्कूल में अध्यापकों के 4 पद खाली: बता दें की सलवाला हाई स्कूल में 31 मार्च 2023 तक 267 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे, लेकिन अध्यापकों की कमी के चलते अब 205 छात्र ही छठी कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक यहां पढ़ रहे हैं. स्कूल में इस समय सिर्फ 5 अध्यापक हैं और 4 अध्यापकों के पद खाली हैं. इनमें मैथ और सांइस के अध्यापकों के पद खाली हैं, इसके अलावा पीटीआई का पद भी स्कूल में खाली चल रहा है.
'प्रवेश का लक्ष्य, स्टाफ की नहीं हो रही भरपाई': वहीं, हर साल सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने को लेकर लक्ष्य दिया जाता है. इसे लेकर शिक्षक गांव में अभिभावकों से संपर्क कर नए छात्रों को दाखिला भी दिलाते हैं, लेकिन अध्यापकों के खाली पदों के चलते शिक्षण व्यवस्था प्रभावित होने से अभिभावकों को अपने बच्चों के मजबूरन सरकारी स्कूलों से निकालकर निजी स्कूलों में दाखिल करवाना पड़ रहा है. बता दें की सलवाला हाई स्कूल में दो कमरों में 77 बच्चों को बिठाया जाता है. जबकि एक कमरे में 20 बच्चों को रखने की क्षमता है. स्कूल प्रधानाचार्य दलीप ने बताया कि अपने स्तर पर उन्होंने लगातार प्रयास किए हैं. उच्च अधिकारियों को पत्र भेजे हैं लेकिन अभी तक अध्यापकों के पद नहीं भरे गए हैं जिसके चलते एक अध्यापक को दो-दो सब्जेक्ट पढ़ाने पड़ रहे हैं.
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