राजगढ़/सिरमौर: सरकार व शिक्षा विभाग प्रदेश में नई-नई योजनाओं को संचालित कर रही है. वहीं, स्कूलों में स्टाफ न होने के चलते बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस बार पहले ही बच्चों की पढ़ाई कोरोना के कारण ठप पड़ी है और अब अगर स्कूल खुलने पर उनमें अध्यापक नहीं है.
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल लाना चेता में अध्यापकों के 13 पद स्वीकृत है और उसमें से 11 पद खाली चल रहे हैं, जिससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. कोविड-19 के चलते 2 नवंबर से स्कूल दोबारा खुलने पर स्कूल में विभिन्न समस्याओं के चलते अभिभावक चिंतित है. यह स्कूल एसएमसी अध्यापकों के सहारे चल रहा है.
इस स्कूल में सिर्फ एक अध्यापक रेगुलर है और बाकि एसएमसी अध्यापक स्कूल चला रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कई कठिनाइयां सामने आई थी. बच्चों को बिना अध्यापकों के ऑनलाइन मटेरियल नहीं मिला था, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ रहा है.
इस साल के 10 महीने बीत चुके हैं, लेकिन बच्चों की पढ़ाई न के बराबर है. अभिभावकों ने चिंता जताते हुए कहा कि बच्चे पढ़ाई के बिना बोर्ड की परीक्षा कैसे देंगे. हाल ही में सरकार ने मुख्याध्यापकों के पद भरे थे, जिसमें लाना चेता के लिए भी मुख्याध्यापक की नियुक्ति हुई थी. उक्त मुख्याध्यापक ने इस विद्यालय में ज्वाइन न करते हुए कहीं और सेटलमेंट कर ली.
बता दें कि स्कूल में स्वीकृत अध्यापकों के कुल 13 पदों में से अभी सिर्फ एसएमसी अध्यापक ही स्कूल चला रहे हैं. प्रधानाचार्य सहित अन्य अधिकांश महत्वपूर्ण विषयों के पद खाली चल रहे हैं. एसएमसी प्रबंधन कमेटी व अविभावकों ने खाली पड़े अध्यापकों के पदों की शीघ्र व्यवस्था की मांग की है, जिससे स्कूल खुलने पर छात्रों की कोरोना से बाधित पढ़ाई पर और बुरा असर न पड़े.