सोलन: हिमाचल प्रदेश की ग्राम पंचायतों में आज से कामकाज पूरी तरह से ठप्प हो गया है. जिला परिषद कैडर के कर्मचारी आज से हड़ताल पर चले गए हैं. सरकार से लगातार अपनी मांग रखने और पूरी न होने के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. हिमाचल प्रदेश में करीब 4700 जिला परिषद कैडर कर्मचारी पंचायती राज विभाग में मर्ज करने की मांग कर रहे हैं. मांगें पूरी न होने पर आज से जिला कैडर कर्मचारी हड़ताल पर बैठ गए हैं. ये प्रदर्शन आज से ब्लॉक लेवल पर शांतिपूर्वक किया जाएगा. वहीं, अब पंचायतों के कामकाज भी प्रभावित होंगे.
जिला परिषद कैडर कर्मचारियों की मांग: प्रदेश सरकार ने जिला परिषद कैडर कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान भी नहीं दिया है. अभी तक इन कर्मचारियों को डीए की किस्त भी नहीं मिली है. जिला परिषद के कर्मचारी लगातार सरकार से पंचायती राज विभाग में मर्ज करने की मांग उठाते रहे हैं. इसके अलावा अन्य सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर संशोधित वेतनमान देने की गुहार भी यह कर्मचारी सरकार से लगातार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर कोई गौर नहीं किया. इसके चलते हाल ही में मानसून सत्र के दौरान जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों ने विधानसभा के बाहर भी बड़ा प्रदर्शन किया था. जिसके बाद आज से कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.
पंचायतों में नहीं हो पाएंगे ये काम: कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से पंचायत स्तर पर सभी तरह का कामकाज पूरी तरह ठप्प हो गया है. पंचायत में विकासात्मक कार्यों के अलावा लोगों के रोजमर्रा के काम भी अब नहीं हो पा रहे हैं. जिला कैडर कर्मचारियों की पेन डाउन स्ट्राइक के बाद अब पंचायतों में जन्म-मृत्यु, बीपीएल सर्टिफिकेट, मैरिज रजिस्ट्रेशन, मनरेगा वर्क असेसमेंट जैसे कई काम ठप हो जाएंगे. मनरेगा के तहत विभिन्न कार्यों की असेसमेंट भी आज से नहीं होगी. इससे हिमाचल के करीब 13 लाख से ज्यादा मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी का देरी से भुगतान होगा है. राज्य सरकार इनकी मांगों को यदि जल्द पूरा नहीं करती तो इससे प्रदेशवासियों की दिक्कतें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं.
सरकार ने नहीं दिया न्यू पे स्केल: जिला परिषद कैडर कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि आज से हिमाचल प्रदेश के करीब 4700 कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. जिससे पंचायतों में कामकाज प्रभावित होगा. इसकी चेतावनी उन्होंने सरकार को पहले ही दे दी थी, लेकिन सरकार ने इसकी तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया. राजेश ठाकुर ने कहा कि उनके साथ सौतेला व्यवहार होता आया है. इसलिए ही पूर्व सरकार ने उन्हें नया पे स्केल भी नहीं दिया. इससे उन्हें वित्तीय हानि हो रही है. इन कर्मचारियों को महंगाई भत्ता डीए और एरियर भी नहीं दिया गया, जबकि ये लाभ दूसरे सभी कर्मचारियों को दिए गए.
2 साल बाद भी कर्मचारी नहीं हुए रेगुलर: राजेश ठाकुर ने कहा कि अब कांग्रेस भी जिला परिषद कैडर कर्मचारियों से किया अपना वादा भूल गई है, जो कांग्रेस ने बीते साल विधानसभा चुनाव के दौरान किया था. इन्हीं मांगों को लेकर जिला परिषद कैडर कर्मचारी पूर्व जयराम सरकार में भी लंबा आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन तब पूर्व सीएम जयराम के मौखिक आश्वासन के बाद इन्होंने अपनी पेन डाउन स्ट्राइक खत्म की थी. जबकि उनकी मांग कभी पूरी नहीं की गई. उन्होंने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी के तहत दो साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने वाले कर्मचारियों को 31 मार्च और 30 सितंबर को रेगुलर किया जाता है, लेकिन जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को रेगुलर भी नहीं किया गया.
2 अक्टूबर की ग्राम सभा होगी प्रभावित! गौरतलब है कि जिला परिषद कैडर कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से 2 अक्टूबर को प्रदेशभर में होने वाली विशेष ग्राम सभा में भी इसका असर पड़ेगा, क्योंकि कोई भी कर्मचारी इन ग्राम सभा में भाग नहीं लेंगे. ऐसे में ग्राम सभा में सभी विकास कार्य ठप पड़ जाएंगे. हालांकि कुछ प्रधान और पंचायत समिति सदस्य जिला परिषद कैडर कर्मचारियों के समर्थन से मुड़ रहे हैं, लेकिन अभी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल जारी रखने की बात की जा रही है.
हिमाचल में जिला कैडर परिषद कर्मचारी: बता दें कि हिमाचल प्रदेश की 3615 पंचायतों में 90 फीसदी कर्मचारी जिला कैडर के हैं. पंचायतों में तकनीकी सहायक, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, पंचायत सचिव और अन्य जिला परिषद कैडर में सेवारत है. इनमें से 10% पुराने कर्मचारी पंचायती राज विभाग में हैं, जबकि नई भर्तियां जिला परिषद कैडर में की जा रही हैं. ये कर्मचारी सरकार की सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को ग्राउंड लेवल पर उतारने का काम करते हैं. इन कर्मचारियों का कहना है कि जिस तरह के दोहरे मापदंड उनके साथ अपनाए जा रहे हैं, उससे उनको मजबूर होकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है.
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