करसोग: विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कुफरी समेत आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में याक कमाई का एक अच्छा साधन बन गया है. गर्मियों के इस मौसम में देश-विदेश के अलग-अलग कोनों से सैलानी याक की सवारी का मजा लेने आते हैं. जिसके चलते याक कारोबारियों को अच्छी कमाई होती है.
बता दें कि मैदानी क्षेत्रों में पड़ रही भीषण गर्मी से बचने के लिए शिमला की अपर ग्रीन वैली से कुफरी में हर रोज करीब 2 हजार पर्यटक आ रहे हैं. ऐसे में स्थानीय स्तर पर याक पालक रोजाना हजार 12 सौ रुपये रुपये कमा रहे हैं. ये परिवार याक से न केवल परिवार की रोजी रोटी चला रहे हैं, बल्कि लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहे हैं.
इस ठंडे क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए याक कमाई एक बड़ा जरिया बनता जा रहा है. कई परिवारों में तो उच्च शिक्षा प्राप्त युवा सफेद कॉलर नौकरी के पीछे न भागकर याक कारोबार को ही अपनी आजीविका चलाने का साधन बना रहे हैं.
वहीं, कई पर्यटकों को पहाड़ी वेशभूषा के वस्त्र पहनकर याक पर बैठकर फोटो खिंचवानी भी पसंद है. ऐसे में लोग पहाड़ी वस्त्र के कारोबार से भी अच्छी कमाई कर रहे हैं. स्थानीय स्तर पर याक कारोबार से 45 से ज्यादा परिवार जुड़े हुए हैं. यहां के लोगों के लिए याक रोजगार का अच्छा साधन बन गया है.
लेह-लद्दाख से लाए जाते हैं याक
याक ठंडे क्षेत्रों में ही रहने के आदि होते हैं. ग्रीन वैली से कुफरी तक के सभी याक जनजातीय क्षेत्र लेह-लद्दाख, सांगला व छीतकुल जैसे ठंडे क्षेत्रों से लाए गए हैं. घने देवदारों से घिरे कुफरी और आसपास के क्षेत्रों में याक के लिए वातावरण अनुकूल है. जिस कारण बड़ी संख्या में स्थानीय लोग इस कारोबार से जुड़ रहे हैं. लोग इस कारोबार में सरकार से सहयोग की मांग कर रही हैं.