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ऐसे कैसे देश-विदेश पहुंचेगा हिमाचल का सेब, सालों से अधर में लटका है ठियोग-हाटकोटी सड़क का काम

पिछले डेढ से दो सालों से पुलों का निर्माण कार्य ठप्प पड़ा हुआ है. प्रशासन पुलों के निर्माण कार्यों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. पुलों का निर्माण 60 प्रतिशत से अधिक हो चुका है, लेकिन इसके बाद कंपनी ने काम बंद कर दिया है और प्रशासन अब नई कंपनी को टेंडर नहीं दे रहा है.

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Published : Jun 3, 2019, 12:01 PM IST

शिमलाः ठियोग-हाटकोटी सड़क पिछले 10 सालों से क्षेत्र की जनता के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. यह सड़क सूबे में प्रशासन की अनदेखी की सबसे बड़ी मिसाल बन चुकी है. सड़क पर बनने वाले करीब 7 पुलों का निर्माण कार्य पिछले लंबे समय से अधर में लटका हुआ है. जिससे लोगों को कई घंटों जाम से जुझना पड़ता है.

कई स्थानों पर सड़क संकरी होने का कारण कई लोग हादसों में अपनी जान तक गवा चुके हैं. फिर भी प्रशासन इन पुलों के जल्द निर्माण की ओर कोई दिल्चस्पी नहीं दिखा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण का कार्य कई कंपनियां छोड़ कर जा चुकी हैं. अब भी काम अधूरा पड़ा हुआ है.

बता दें कि आने वाले करीब डेढ महीने में सेब का सीजन शुरू होने वाल है. ऐसे में क्षेत्र की जनता को फिर से भारी परेशानी झेलनी पड़ेगी. सड़क तंग है, सड़क के किनारे कहीं भी पैराफिट नहीं है, ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके.

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स्थनीय लोगों का कहना है कि पिछले डेढ से दो सालों से पुलों का निर्माण कार्य ठप्प पड़ा हुआ है. प्रशासन पुलों के निर्माण कार्यों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. पुलों का निर्माण 60 प्रतिशत से अधिक हो चुका है, लेकिन इसके बाद कंपनी ने काम बंद कर दिया है और प्रशासन अब नई कंपनी को टेंडर नहीं दे रहा है.

दरअसल ठियोग हाटकोटी खड़ा पत्थर सड़क निर्माण का कार्य कर रही कंपनी सीएंडसी कंपनी को दिए कॉन्ट्रैक्ट को टर्मिनेट कर दिया है. टेंडर अलॉट करते वक्त सरकार ने कंपनी से 37 करोड़ की राशि सिक्योरिटी के तौर पर ली थी, उसे जब्त कर दिया गया है.

सड़क को बनाने का कार्य अभी 9 फीसदी बचा हुआ है. इसके अलावा 7 पुल भी बनाए जाने प्रस्तावित हैं. काम में देरी और घटिया क्वालिटी मैटेरियल इस्तेमाल करने को लेकर राज्य लोक निर्माण विभाग ने हाल ही में कंपनी पर 20 करोड़ का जुर्माना लगाया था. विभाग की इस कार्रवाई के बाद सड़क निर्माण का कार्य लटक गया है.

गौर रहे कि ठियोग-हाटकोटी खड़ा पत्थर सड़क का यह प्रोजेक्ट विश्व बैंक फंडिड है. 2008 में चाइना की कंपनी को इसका काम सौंपा गया था. इसे 2013 तक पूरा करना था. ठियोग-हाटकोटी सड़क को छोड़कर सभी प्रोजेक्ट का काम निर्धारित समय में पूरा कर लिया गया.

चीन की कंपनी ने महज 20 फीसदी काम ही किया. पूर्व सरकार ने 2014 में सीएंडसी कंपनी को निर्माण का कार्य सौंपा था. कंपनी को 2016 तक सड़क का काम पूरा करना था.

पढ़ेंः हिमाचल में विकास की 'कछुआ रफ्तार', 8 सालों में खुदा तो सिर्फ गड्ढा, भवन का नहीं कोई पता

शिमलाः ठियोग-हाटकोटी सड़क पिछले 10 सालों से क्षेत्र की जनता के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. यह सड़क सूबे में प्रशासन की अनदेखी की सबसे बड़ी मिसाल बन चुकी है. सड़क पर बनने वाले करीब 7 पुलों का निर्माण कार्य पिछले लंबे समय से अधर में लटका हुआ है. जिससे लोगों को कई घंटों जाम से जुझना पड़ता है.

कई स्थानों पर सड़क संकरी होने का कारण कई लोग हादसों में अपनी जान तक गवा चुके हैं. फिर भी प्रशासन इन पुलों के जल्द निर्माण की ओर कोई दिल्चस्पी नहीं दिखा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण का कार्य कई कंपनियां छोड़ कर जा चुकी हैं. अब भी काम अधूरा पड़ा हुआ है.

बता दें कि आने वाले करीब डेढ महीने में सेब का सीजन शुरू होने वाल है. ऐसे में क्षेत्र की जनता को फिर से भारी परेशानी झेलनी पड़ेगी. सड़क तंग है, सड़क के किनारे कहीं भी पैराफिट नहीं है, ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके.

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स्थनीय लोगों का कहना है कि पिछले डेढ से दो सालों से पुलों का निर्माण कार्य ठप्प पड़ा हुआ है. प्रशासन पुलों के निर्माण कार्यों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. पुलों का निर्माण 60 प्रतिशत से अधिक हो चुका है, लेकिन इसके बाद कंपनी ने काम बंद कर दिया है और प्रशासन अब नई कंपनी को टेंडर नहीं दे रहा है.

दरअसल ठियोग हाटकोटी खड़ा पत्थर सड़क निर्माण का कार्य कर रही कंपनी सीएंडसी कंपनी को दिए कॉन्ट्रैक्ट को टर्मिनेट कर दिया है. टेंडर अलॉट करते वक्त सरकार ने कंपनी से 37 करोड़ की राशि सिक्योरिटी के तौर पर ली थी, उसे जब्त कर दिया गया है.

सड़क को बनाने का कार्य अभी 9 फीसदी बचा हुआ है. इसके अलावा 7 पुल भी बनाए जाने प्रस्तावित हैं. काम में देरी और घटिया क्वालिटी मैटेरियल इस्तेमाल करने को लेकर राज्य लोक निर्माण विभाग ने हाल ही में कंपनी पर 20 करोड़ का जुर्माना लगाया था. विभाग की इस कार्रवाई के बाद सड़क निर्माण का कार्य लटक गया है.

गौर रहे कि ठियोग-हाटकोटी खड़ा पत्थर सड़क का यह प्रोजेक्ट विश्व बैंक फंडिड है. 2008 में चाइना की कंपनी को इसका काम सौंपा गया था. इसे 2013 तक पूरा करना था. ठियोग-हाटकोटी सड़क को छोड़कर सभी प्रोजेक्ट का काम निर्धारित समय में पूरा कर लिया गया.

चीन की कंपनी ने महज 20 फीसदी काम ही किया. पूर्व सरकार ने 2014 में सीएंडसी कंपनी को निर्माण का कार्य सौंपा था. कंपनी को 2016 तक सड़क का काम पूरा करना था.

पढ़ेंः हिमाचल में विकास की 'कछुआ रफ्तार', 8 सालों में खुदा तो सिर्फ गड्ढा, भवन का नहीं कोई पता

शिमला. ठियोग-हाटकोटी सड़क पिछले 10 सालों से क्षेत्र की जनता के परेशानी का सबब हुई है. यह सड़क सूबे में प्रशासन की अनदेखी की सबसे बड़ी मिसाल बन चुकी है. सड़क पर बनने वाले करीब 7 पुलों का निर्माण कार्य पिछले लंबे समय से अधर में लटका हुआ है जिससे लोगों को कई घंटों जाम से जुझना पड़ता है. कई स्थानों पर सड़क संकरी होने का कारण कई लोग हादसों में अपनी जान तक गवा चुके हैं. फिर भी प्रशासन इन पुलों के जल्द निर्माण की ओर कोई दिल्चस्पी नहीं दिखा रहा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण का कार्य कई कंपनियां छोड़ कर जा चुकी हैं. अब भी काम अधूरा पड़ा हुआ है आने वाल करीब डेढ महीने में सेब का सीजन शुरू होने वाल है ऐसे में क्षेत्र की जनता को फिर से भारी परेशानी झेलनी पड़ेगी. सड़क तंग है सड़क के किनारे कहीं भी पैराफिट नहीं है, ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके. इस सड़क से लोगों की जिंदगी दुर्भर हो गई है. लोगों ने कहा कि पिछले डेढ से दो सालों से पुलों का निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है. प्रशासन पुलों के निर्माण कार्यों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. लोगों का कहना है कि पुलों का निर्माण 60 प्रतिशत से अधिक हो चुका है लेकिन इसके बाद कंपनी ने काम बंद कर दिया है और प्रशासन अब नई कंपनी को टेंडर नहीं दे रहा है.     

दरअसल ठियोग हाटकोटी खड़ा पत्थर सड़क निर्माण का कार्य कर रही कंपनी सीएंडसी कंपनी को दिए कॉन्ट्रैक्ट को टर्मिनेट कर दिया है। टेंडर अलॉट करते वक्त सरकार ने कंपनी से 37 करोड़ की राशि सिक्योरिटी के तौर पर ली थी उसे जब्त कर दिया गया है। सड़क को बनाने का कार्य अभी 9 फीसदी बचा हुआ है। इसके अलावा 7 पुल भी बनाए जाने प्रस्तावित हैं। काम में देरी और घटिया क्वालिटी मैटेरियल इस्तेमाल करने को लेकर राज्य लोक निर्माण विभाग ने हाल ही में कंपनी पर 20 करोड़ का जुर्माना लगाया था। विभाग की इस कार्रवाई के बाद सड़क निर्माण का कार्य लटक गया है। 

ठियोग-हाटकोटी खड़ा पत्थर सड़क का यह प्रोजेक्ट विश्व बैंक फंडिड है। 2008 में चाइना की कंपनी को इसका काम सौंपा गया था। 2013 तक पूरा करना था। ठियोग-हाटकोटी सड़क को छोड़कर सभी प्रोजेक्ट का काम निर्धारित समय में पूरा कर लिया गया। चाइना की कंपनी ने महज 20 फीसदी काम ही किया। पूर्व सरकार ने 2014 में सीएंडसी कंपनी को निर्माण का कार्य सौंपा था। कंपनी को 2016 तक सड़क का काम पूरा करना था।

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