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पुलिस स्टेशन में नहीं सुनी जाती महिलाओं की फरियाद! महिला आयोग ने जताई चिंता

शिमला में महिला आयोग द्वारा पुलिस का महिलाओं के प्रति पुलिस थाने में मानवीय स्वरूप विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ न्यायिक अधिकारी और चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद रहे.

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Published : Jul 5, 2019, 11:28 PM IST

डेजी ठाकुर, महिला आयोग की अध्यक्ष

शिमला: पुलिस का महिलाओं के प्रति पुलिस थाने में मानवीय स्वरूप विषय पर शिमला में महिला आयोग द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के दौरान इस बात पर बल दिया गया कि महिला जब पुलिस स्टेशन आती है तो उनके साथ मैत्रीपूर्ण तरीके से व्यवहार किया जाना चाहिए.

महिला आयोग की अध्यक्ष डेजी ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर से आयोग के पास ऐसे मामले आते हैं, जिसमें महिलाओं के मामले पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं किए जाते हैं. आयोग द्वारा उच्च अधिकारियों के माध्यम से मामले दर्ज करवाने पड़ते हैं. उन्होंने कहा थानों में पुलिस अधिकारी और कर्मी महिलाओं के प्रति संवेदनशील नहीं होते हैं.

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डेजी ठाकुर का कहना है कि जब महिलाएं मामला दर्ज करवाने के लिए पुलिस स्टेशन जाती हैं तो वे पहले ही डरी होती हैं और फिर वहां पर पुलिस का व्यवहार भी अलग होता है. इसको देखते हुए ही शुक्रवार को शिमला में कार्यशाला का आयोजन किया गया. उन्होंने कहा कि महिलाओं से कैसे पेश आए और जब वे थाने में आए तो क्या किया जाना चाहिए, इसको लेकर प्रदेश के थानों के स्तर पर जागरूकता करने की जरूरत है.

वीडियो

डेजी ठाकुर ने कहा कि महिलाओं को अपराधी न समझा जाए, बल्कि प्राथमिकता के आधार पर उनकी शिकायत सुनी जाए और उस पर करवाई की जानी चाहिए. उन्होंने महिला सुरक्षा के प्रति वर्तमान प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दोहराया ताकि निर्बल एवं उपेक्षित ग्रामीण महिलाओं को न्याय मिल सके और भारतीय संविधान के प्रति उनके विश्वास में बढ़ोतरी दर्ज हो सके.

बता दें कि इस कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ न्यायिक अधिकारी और चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद रहे.

ये भी पढे़ं-सोलन में एक औरत ने मां की ममता को किया शर्मसार, 3 महीने के शिशु को उतारा मौत के घाट

शिमला: पुलिस का महिलाओं के प्रति पुलिस थाने में मानवीय स्वरूप विषय पर शिमला में महिला आयोग द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के दौरान इस बात पर बल दिया गया कि महिला जब पुलिस स्टेशन आती है तो उनके साथ मैत्रीपूर्ण तरीके से व्यवहार किया जाना चाहिए.

महिला आयोग की अध्यक्ष डेजी ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर से आयोग के पास ऐसे मामले आते हैं, जिसमें महिलाओं के मामले पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं किए जाते हैं. आयोग द्वारा उच्च अधिकारियों के माध्यम से मामले दर्ज करवाने पड़ते हैं. उन्होंने कहा थानों में पुलिस अधिकारी और कर्मी महिलाओं के प्रति संवेदनशील नहीं होते हैं.

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डेजी ठाकुर का कहना है कि जब महिलाएं मामला दर्ज करवाने के लिए पुलिस स्टेशन जाती हैं तो वे पहले ही डरी होती हैं और फिर वहां पर पुलिस का व्यवहार भी अलग होता है. इसको देखते हुए ही शुक्रवार को शिमला में कार्यशाला का आयोजन किया गया. उन्होंने कहा कि महिलाओं से कैसे पेश आए और जब वे थाने में आए तो क्या किया जाना चाहिए, इसको लेकर प्रदेश के थानों के स्तर पर जागरूकता करने की जरूरत है.

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डेजी ठाकुर ने कहा कि महिलाओं को अपराधी न समझा जाए, बल्कि प्राथमिकता के आधार पर उनकी शिकायत सुनी जाए और उस पर करवाई की जानी चाहिए. उन्होंने महिला सुरक्षा के प्रति वर्तमान प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दोहराया ताकि निर्बल एवं उपेक्षित ग्रामीण महिलाओं को न्याय मिल सके और भारतीय संविधान के प्रति उनके विश्वास में बढ़ोतरी दर्ज हो सके.

बता दें कि इस कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ न्यायिक अधिकारी और चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद रहे.

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Intro: हिमाचल में महिलाओ को पुलिस स्टेशन में इंसान नही मिल पता है! पुलिस महिलाओ की ऍफ़ आई आर तक दर्ज नही करती है ! पुलिस का महिलाओं के प्रति पुलिस थाने में मानवीय स्वरूप’ विषय पर शिमला में महिला आयोग द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमे पुलिस अधिकारियों के साथ साथ न्यायिक अधिकारी और चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद रहे ! कार्यशाला के दौरान इस बात पर बल दिया गया की महिला जब पुलिस स्टेशन आती है तो उनके साथ मैत्रीपूर्ण तरीके से व्यवहार किया जाना चाहिए ! महिला आयोग की अध्यक्ष डेजी ठाकुर ने कहा की प्रदेश भर से आयोग के पास ऐसे मामले आते है जिसमे महिलाओ के मामले पुलिस स्टेशन में दर्ज नही किये जाते है और आयोग द्वारा उच्च अधिकारियों के माध्यम से मामले दर्ज करवाने पढ़ते है ! Body:उन्होंने कहा थानों में पुलिस अधिकारी और कर्मी महिलाओ के प्रति संवेदनशील नही होते है ! जब महिलाएं मामला दर्ज करवाने के लिए पुलिस स्टेशन जाती है तो वे पहले ही डरी होती है और फिर वहा पर पुलिस का व्यवहार भी अलग होता है ! इसको देखते हुए ही आज यहा कार्यशाला का आयोजन किया गया है जिसमे पुलिस कर्मियों अधिकारियो को कानून की जग्कारी हो और जब महिला थाने में आये तो उसकी उसी समय शिकायत सुनी जाए और मामला दर्ज कर जाँच की जाये ! उन्होंने कहा की महिलाओ से कैसे पेश आये और जब वे थाने में आये तो क्या किया जाना चाहिए इसको लेकर प्रदेश के थानों के स्तर पर जागरूकता करने की जरूरत है !
Conclusion:उन्होंने कहा की महिलाओ को अपराधी न समझा जाये बल्कि प्राथमिकता के आधार पर उनकी शिकायत सुनी जाये और उस पर करवाई की जानी चाहिए !उन्होंने महिला सुरक्षा के प्रति वर्तमान प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दोहराया ताकि निर्बल एवं उपेक्षित ग्रामीण महिलाओं को न्याय मिल सके और भारतीय संविधान के प्रति उनके विश्वास में बढ़ोतरी दर्ज हो सके।
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