शिमला: हिमाचल प्रदेश में फिर से मौसम करवट बदलने वाला है. आज से प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है. जिसके चलते प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बर्फबारी की संभावना मौसम विभाग की ओर से जताई गई है. इस दौरान प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी की आशंका है. इसके अलावा निचले क्षेत्रों में भी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है.
27 जनवरी तक मौसम रहेगा खराब: प्रदेश में 27 जनवरी तक मौसम खराब बना रहेगा. मौसम विभाग ने मंगलवार को शिमला सहित प्रदेश के कई हिस्सों में बर्फबारी की संभावना जताई है. हालांकि सोमवार को शिमला सहित प्रदेश भर में मौसम साफ बना रहा, जिसके चलते तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. लेकिन आगामी दिनों में यदि बर्फबारी होती है तो प्रदेश में तापमान में भी गिरावट आएगी. जिससे ठंड में भी काफी इजाफा होगा.
मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने कहा कि प्रदेश में बीते 24 घंटों के दौरान मौसम बिल्कुल साफ बना रहा. लेकिन मंगलवार से प्रदेश में फिर से मौसम करवट बदलेगा और प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है. इस दौरान खासकर शिमला, चंबा, मंडी, कुल्लू, लाहौल स्पीति, किन्नौर में भारी बर्फबारी की आशंका है. उन्होंने कहा कि 24 जनवरी से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है और यह पश्चिमी विक्षोभ काफी प्रभावशाली है.
मंडी जिला प्रशासन ने जनता से की अपील: मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आगामी दो दिनों तक मंडी जिला में बारिश व बर्फबारी की चेतावनी दी है. मौसम विज्ञान केंद्र की चेतावनी के बाद जिला प्रशासन ने पर्यटकों व सैलानियों से ऊंचाई वाले इलाकों में ना जाने की हिदायत दी है. जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मंडी के अध्यक्ष एवं उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने 24 व 25 जनवरी को सभी नागरिकों व पर्यटकों से अधिक उंचाई वाले इलाकों में जाने से परहेज करने एवं अपने घरों में सुरक्षित स्थानों पर रहने का आग्रह किया है. उपायुक्त ने जिला के पंचायत प्रधानों, गैर सरकारी संगठनों, ट्रेकर्स एवं नागरिकों से भी अनुरोध किया है कि वे इस बारे लोगों को जानकारी प्रदान करें ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके. उन्होंने आग्रह किया कि आपदा की स्थिति में सहायता के लिए पर्यटक व आम नागरिक जिला आपदा प्रबंधन परिचालन केंद्र के दूरभाष नंबर 1905-226201, 202, 203, 204 अथवा टोल फ्री नंबर 1077 पर संपर्क कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: जोशीमठ की तरह नैना देवी मंदिर का अस्तित्व खतरे में, क्या फिर होगी 1978 जैसी तबाही?