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हिमाचल में SMC टीचर्स की भर्ती पर ब्रेक, सरकार ने HC में दिया भरोसा

एस.एम.सी शिक्षकों की भर्ती पर फिलहाल ब्रेक लग गयी है. बता दें कि प्रार्थियों ने 17 जुलाई 2012 को जारी एसएमसी शिक्षक भर्ती नीति व इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के 16 अगस्त 2014 के आदेशों के साथ साथ समय समय पर इस संदर्भ में जारी सरकारी आदेशों को निरस्त करने की मांग की है.

हिमाचल में smc टीचर्स की भर्ती पर ब्रेक, सरकार ने HC में दिया भरोसा
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Published : Aug 8, 2019, 7:58 PM IST

शिमला: प्रदेश में एस.एम.सी शिक्षकों की भर्ती पर फिलहाल ब्रेक लग गयी है. सरकार की ओर से हाईकोर्ट को दिए आश्वासन में कहा गया कि कोर्ट के आगामी आदेशों तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में किसी भी नए एसएमसी अध्यापक की नियुक्ति या चयन नहीं किया जाएगा.

न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एसएमसी नीति के तहत शिक्षकों की भर्ती के खिलाफ दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि 3 सप्ताह के भीतर प्रदेश में एसएमसी नीति के तहत अभी तक लगाए गए अध्यापकों का पूरा ब्यौरा कोर्ट के समक्ष रखे.

कोर्ट ने शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या व उन्हें आरएंडपी नियमों के तहत भरने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने के आदेश भी दिए. कोर्ट ने कहा कि स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर की जा रही एसएमसी भर्तियां कतई प्रशंसनीय कदम नहीं है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान खेद प्रकट किया कि सरकार हर बार कोर्ट को नियमों के तहत शिक्षकों की भर्त्तियां करने का आश्वासन देती है परंतु इसके सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं हो रहे हैं.

कोर्ट ने पाया कि एसएमसी भर्त्तियां न केवल सरकार के अपने निर्णयों के विरुद्ध है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ भी है. प्रार्थी कुलदीप कुमार व अन्यों द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा की गई एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां गैरकानूनी है. सरकार अभी फिर से स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां करने जा रही है वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है.

प्रार्थियों की ओर से यह दलील दी गई है कि राज्य सरकार द्वारा लंबे समय से एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को दरकिनार कर हो रही है और सभी को समान अवसर जैसे मूलभूत अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. यह भर्तियां शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के भी विपरीत है. प्रार्थियों ने हाल ही में जारी अधिसूचना को रद्द करने व भर्ती प्रक्रिया को अंजाम न देने की गुहार लगाई है.

बता दें कि प्रार्थियों ने 17 जुलाई 2012 को जारी एसएमसी शिक्षक भर्ती नीति व इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के 16 अगस्त 2014 के आदेशों के साथ साथ समय समय पर इस संदर्भ में जारी सरकारी आदेशों को निरस्त करने की मांग की है. मामले पर सुनवाई 5 सितंबर को होगी.

ये भी पढ़े: विक्रमादित्य सिंह का सरकार पर निशाना, 'हिमाचल के हितों के साथ खिलवाड़ सहन नहीं किया जाएगा'

शिमला: प्रदेश में एस.एम.सी शिक्षकों की भर्ती पर फिलहाल ब्रेक लग गयी है. सरकार की ओर से हाईकोर्ट को दिए आश्वासन में कहा गया कि कोर्ट के आगामी आदेशों तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में किसी भी नए एसएमसी अध्यापक की नियुक्ति या चयन नहीं किया जाएगा.

न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एसएमसी नीति के तहत शिक्षकों की भर्ती के खिलाफ दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि 3 सप्ताह के भीतर प्रदेश में एसएमसी नीति के तहत अभी तक लगाए गए अध्यापकों का पूरा ब्यौरा कोर्ट के समक्ष रखे.

कोर्ट ने शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या व उन्हें आरएंडपी नियमों के तहत भरने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने के आदेश भी दिए. कोर्ट ने कहा कि स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर की जा रही एसएमसी भर्तियां कतई प्रशंसनीय कदम नहीं है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान खेद प्रकट किया कि सरकार हर बार कोर्ट को नियमों के तहत शिक्षकों की भर्त्तियां करने का आश्वासन देती है परंतु इसके सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं हो रहे हैं.

कोर्ट ने पाया कि एसएमसी भर्त्तियां न केवल सरकार के अपने निर्णयों के विरुद्ध है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ भी है. प्रार्थी कुलदीप कुमार व अन्यों द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा की गई एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां गैरकानूनी है. सरकार अभी फिर से स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां करने जा रही है वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है.

प्रार्थियों की ओर से यह दलील दी गई है कि राज्य सरकार द्वारा लंबे समय से एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को दरकिनार कर हो रही है और सभी को समान अवसर जैसे मूलभूत अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. यह भर्तियां शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के भी विपरीत है. प्रार्थियों ने हाल ही में जारी अधिसूचना को रद्द करने व भर्ती प्रक्रिया को अंजाम न देने की गुहार लगाई है.

बता दें कि प्रार्थियों ने 17 जुलाई 2012 को जारी एसएमसी शिक्षक भर्ती नीति व इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के 16 अगस्त 2014 के आदेशों के साथ साथ समय समय पर इस संदर्भ में जारी सरकारी आदेशों को निरस्त करने की मांग की है. मामले पर सुनवाई 5 सितंबर को होगी.

ये भी पढ़े: विक्रमादित्य सिंह का सरकार पर निशाना, 'हिमाचल के हितों के साथ खिलवाड़ सहन नहीं किया जाएगा'

प्रदेश में एस एम सी शिक्षकों की भर्ती पर फिलहाल ब्रेक लग गयी है। सरकार की ओर से हाईकोर्ट को दिए आश्वासन में कहा गया कि कोर्ट के आगामी आदेशों तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में किसी भी नए एसएमसी अध्यापक की नियुक्ति अथवा चयन नहीं किया जाएगा। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एसएमसी नीति के तहत शिक्षकों की भर्ती के खिलाफ दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि 3 सप्ताह के भीतर प्रदेश में एसएमसी नीति के तहत अभी तक लगाए गए अध्यापकों का पूरा ब्यौरा कोर्ट के समक्ष रखे। कोर्ट ने शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या व उन्हें आरएण्डपी नियमों के तहत भरने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने कहा कि स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर की जा रही एसएमसी भर्तियां कतई प्रशंसनीय कदम नहीं है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान खेद प्रकट किया कि सरकार हर बार कोर्ट को नियमों के तहत शिक्षकों की भर्तियां करने का आश्वासन देती है परंतु इसके सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने पाया कि एसएमसी भर्तियां न केवल सरकार के अपने निर्णयों के विरुद्ध है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ भी है। प्रार्थि कुलदीप कुमार व अन्यों द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा की गई एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां गैरकानूनी है। सरकार अभी फिर से स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां करने जा रही है वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है। प्रार्थियों की ओर से यह दलील दी गई है कि राज्य सरकार द्वारा लम्बे समय से एस एम सी शिक्षकों की भर्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को दरकिनार कर हो रही है और सभी को समान अवसर जैसे मूलभूत अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। यह भर्तीयां शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के भी विपरीत है। प्रार्थियों ने हाल ही में जारी अधिसूचना को रद्द करने व भर्ती प्रक्रिया को अंजाम न देने की गुहार लगाई है। प्रार्थियों ने 17 जुलाई 2012 को जारी एसएमसी शिक्षक भर्ती नीति व इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के 16 अगस्त 2014 के आदेशों के साथ साथ समय समय पर इस संदर्भ में जारी सरकारी आदेशों को निरस्त करने की मांग की है। मामले पर सुनवाई 5 सितम्बर को होगी।
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